उदयपुर | भारतीय लोक कला मण्डल के संस्थापक स्व. पद्मश्री देवीलाल सामर की स्मृति में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है इन कार्यक्रमों के तहत दो दिवसीय लोक नाट्य समारोह के पहले दिन लोक नाट्य अमर सिंह राठौड़ का भावपूर्ण मंचन हुआ।
भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर एवं राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर के संयुक्त तत्वावधान में किये जा रहे दो दिवसीय लोक नाट्य समारोह का उद्घाटन दिनांक 08 दिसम्बर 2023 को हुआ इस अवसर पर कार्यक्रम कि मुख्य अतिथि श्रीमती बिनाका जैश मालु -अध्यक्ष राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर, रमेश बौराणा- वरिष्ठ रंगकर्मी, भारतीय लोक कला मण्डल के मानद सचिव -सत्य प्रकाश गौड़ आदि ने पद्मश्री देवीलाल सामर की तस्वीर पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की।
उन्होंने बताया कि लोक नाट्य समारोह के पहले दिन राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नाट्य अमर सिहं राठौड़ का मंचन कुचामणी ख्याल शैली में राजस्थान के वरिष्ठ लोक नाट्य कलाकार 90 वर्षीय बंशी लाल खिलाड़ी के निर्देशन में किया गया।
राजस्थान के मध्यकालीन इतिहास के नायकों में नागौर के अमर सिंह राठौड़ का नाम भी लोकप्रिय है, जिन्हे आज भी याद किया जाता है। अमर सिंह, राठौड़ राजवंश के राजा गज सिंह प्रथम के पुत्र थे परन्तु गज सिंह जी की मृत्यु के बाद अमर सिंह बड़ा पुत्र होने के बावजूद मारवाड़ के सिंहासन पर नहीं बैठ पाए थे। उन्हें मारवाड़ से निकाल दिया गया था और वो मुगलों के पास गए। शाहजहाँ ने उन्हें नागौर की जागीर दी। लेकिन, अमर सिंह स्वतंत्र विचारों वाले और स्वाभिमानी किस्म के व्यक्ति थे। मारवाड़ में भले ही वो राजा नहीं बन पाए लेकिन वो राजा से भी ज्यादा लोकप्रिय थे। दक्षिण में उनके पिता ने जितने भी युद्ध लड़े थे, उसमें अमर सिंह ने अदम्य सहस और पराक्रम दिखाया था। फिर भी बाहर निकाले जाने पर उन्होंने आगरा के मुग़ल दरबाद में शरण ली। उनके साथ राठौड़ राजवंश के कई अन्य लोग भी अगवा आए।
अमर सिंह की बहादुरी से प्रभावित होकर शाहजहाँ ने उन्हें 3000 घोड़ों वाली सेना का कमांडर बनाया। उन्हें ‘मंसब’ और ‘राव’ के टाइटल से नवाजा गया। नागौर एक स्वतंत्र जागीर थी, जिसे शाहजहाँ की गद्दी से चलाया जाता था। अमर सिंह का बढ़ता क़द कई दरबारियों को रास नहीं आया और वो उनसे जलने लगे। शाहजहाँ के दरबार के अन्य दरबारी उन्हें ठिकाने लगाने का उपाय तलाशने लगे। एक बार वो शिकार पर गए और 2 सप्ताह तक नहीं लौटे। अमर सिंह इस दौरान शाहजहाँ के दरबार से भी ग़ैर-हाजिर रहे।सलावत ख़ान जो शाहजहाँ का कोषाधिकारी था जो उनसे हसद रखता था। जब अमर सिंह वापस आए तो सलावत ख़ान उन पर हुक्म चलाने लगा। उसने दादागिरी दिखाते हुए पूछा कि वो इतने दिनों तक कहाँ थे और दरबार से अनुपस्थित क्यों रहे। अमर सिंह को ये पसंद नहीं आया और उन्होंने कहा कि वो सीधे बादशाह को जवाब देंगे। लेकिन, सलावत खान उनसे जुर्माना वसूलने की बात करने लगा। अमर सिंह ने अपनी तलवार और म्यान दिखाते हुए कहा कि उनके पास यही एक धन है और अगर चाहिए तो सलावत ख़ान आकर ले जाए। जब यह सब हो रहा था, तब पूरा दरबार भरा हुआ था। शाहजहाँ ख़ुद गद्दी पर बैठा हुआ था। सलावत ख़ान ने अमर सिंह को गँवार बताया और पूछा कि वो बादशाह के सामने अपनी आवाज़ ऊँची कैसे कर सकता है? इसके बाद अमर सिंह ने तुरंत अपने म्यान में से तलवार निकाली और अगले ही क्षण उनकी तलवार सलावत खान के दिल को छेद कर पार निकल गई।
इस अवसर पर लोक नाट्य कलाकार श्री बंशी लाल खिलाड़ी को भारतीय लोक कला मण्डल द्वारा वर्ष 2023 के ‘‘पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति लाईफ टाइम अचीवमेन्ट सम्मान’’ से सम्मानित किया गया।
अंत में उन्होंने बताया कि लोक नाट्य समारोह के दूसरे दिन आज दिनांक 09 दिसम्बर 2023 को सायं 07 बजे मुक्ताकाशी रंगमंच पर गौसुन्डा, चित्तोड़ के कलाकारों द्वारा तुर्रा कलंगी नाट्य शैली में ‘‘रानी फुलवंती’’ का मचंन किया जाएगा।