30 को धूमधाम से मनेगी मिश्रीमल म.सा. एवं रूपमुनि रजत की जन्म जयन्ती

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Published on : 28 Aug, 23 14:08

30 को धूमधाम से मनेगी मिश्रीमल म.सा. एवं रूपमुनि रजत की जन्म जयन्ती


उदयपुर श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ द्वारा आगामी 30 अगस्त को सिंधी बाजार स्थित पंचायती नोहरे में मरूधर केसरी मिश्रीमल जी म.सा. एवं रूपमुनि रजत महाराज की जन्म जयन्ती का विशाल स्तर पर आयोजन किया जायेगा। जिसमें देश भर से 700 श्रावकों के भाग लेने की सभावना है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि असम के महामहिम राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया होंगे जबकि विशिष्ट अतिथि राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया होंगे। कार्यक्रम में विशेष उपस्थिति प्रसिद्ध फिल्मकार के सी बोकाड़िया की रहेगी। अध्यक्षता चेन्नई के आनंदमल छल्लानी करेंगे। समारोह रत्न मोहनलाल गड़वानी होंगे।
इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए मंत्री रोशन लाल जैन ने बताया कि इस संबंध में सुकुन मुनि जी महाराज के सानिध्य में चल रहे सात दिवसीय आयोजनों के अंतिम दिन 30 अगस्त को मरुधर केसरी मिश्रीमल जी महाराज साहब एवं रूप मुनि रजत महाराज के जन्म जयंती पर उनकी गुणानुवाद सभा आयोजित की जाएगी। उन्होंने बताया कि 29 अगस्त को सह जोड़े लोगस्स जाप एवं भक्ति संध्या के आयोजन होंगे जबकि कार्यक्रम के अंतिम दिन मुख्य समारोह होगा जिसमें सामूहिक तेला तथा गुरुजनों का गुणानुवाद होगा। आज 28 अगस्त को सह जोड़े नमोत्थुनम जाप के आयोजन हुए।
इससे पूर्व कार्यक्रम के प्रथम दिन 24 अगस्त को उपवास एवं अन्नदान का आयोजन हुआ,25 अगस्त को विशाल रक्तदान, शिविर 26 अगस्त को तेला एवं मेडिकल कैंप, 27 अगस्त को सामूहिक पारणा एवं नवकार जाप हुआ।
इस अवसर पर सुकुन मुनि जी महाराज ने लोकमान्य संत शेरे राजस्थान अहिंसा दिवाकर श्री रूपचंद जी महाराज रजत एवं श्रमण सूर्य दिव्य विभूति भारत भूषण श्रमण संघीय गुरुदेव मरुधर केसरी श्री मिश्रीमल जी महाराज साहब का संक्षिप्त जीवन परिचय दिया।
इदस अवसर पर सुकनमुनि महाराज ने कहा कि श्री रूपचंद जी महाराज साहब रजत का जन्म विक्रम संवत 1986 श्रावण सुद दशम दिनांक 14 अगस्त 1929 बुधवार को नाडोल जिला पाली में हुआ। माता का नाम श्रीमती मोती भाई चौहान एवं पिता का नाम भैरूपुरी जी चौहान था। जाति से वे गोस्वामी थे। उनका सांसारिक नाम रूप पूरी था। उन्होंने विक्रम संवत 1999 सन 1938 बाल्यकाल से ही वैराग्य धारण किया एवं उनकी दीक्षा विक्रम संवत 1999 माघ सुद 13 शुक्रवार दिनांक 30 जनवरी 1942 को जोधपुर में हुई। उनके दादा गुरु श्री संतोष चंद जी महाराज थे जबकि दीक्षा गुरु शांत मूर्ति कविवर्य स्वामी जी श्री मोतीलाल जी महाराज साहब एवं उनके शिक्षा गुरु मरुधर केसरी श्रवण सूर्य प्रवर्तक श्री मिश्रीमल जी महाराज साहब थे। उनका विहार क्षेत्र मुख्य रूप से राजस्थान दिल्ली पंजाब महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश तमिलनाडु कर्नाटक मध्य प्रदेश गुजरात हरियाणा उत्तर प्रदेश एवं उत्तरांचल रहे।
भारत के प्रमुख संघ और संस्थान द्वारा आपके जनकल्याण हेतु किए गए कार्य के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान, अहिंसा दिवाकर प्रज्ञा पुरुषोत्तम, धर्म दिवाकर, राष्ट्र संत एवं दायित्व पूर्ण प्रवर्तक आदि पद पर विभिन्न अलंकरणों से सुशोभित किया।
उन्होंने गद्य पद के रूप में 3000 से अधिक सृष्टि ग्रंथ की सर्जन की जिसमें मारवाड़ी भाषा को खास महत्व दिया। उनकी प्रेरणा से 170 से अधिक संस्थान गतिमान है जहां एक लाख से ज्यादा गायों का पालन पोषण होता है। उन्होंने व्यसनमुक्ति की प्रेरणा एवं बलि प्रथा बंद करने के विशेष प्रयास किये। 36 कौम में उनकी मान्यता रही है। किसी भी तरह की समस्याओं का वह चुटकियों में समाधान करते थे। संघीय व्यवस्था व श्रमण संघ की दृढ़ता और विकास में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। श्रावण शुक्ल दिनांक 18 अगस्त 2018 शनिवार को जैतारण में आपका देवलोक गमन हुआ।
श्री मिश्रीमल जी महाराज साहब का जीवन परिचय देते हुए महाराज ने कहा कि आपका जन्म विक्रम संवत 1948 श्रावण सूत्द 14 मंगलवार दिनांक 18 अगस्त 1891 में हुआ। आपका जन्म स्थान पाली मारवाड़ था। पिता का नाम श्री शेषमल जी सोलंकी एवं माता का नाम श्रीमती केसर कंवर था।जाती ओसवाल सोलंकी मेहता। सांसारिक नाम मिश्रीमल था।उन्होंने वैराग्य का धारण विक्रम संवत 1969 अक्षय तृतीया 20 अप्रैल 1912 को किया। उनकी दीक्षा विक्रम संवत 1975 अक्षय तृतीया सोमवार दिनांक 13 जून 1918 सोजत सिटी में हुई।उनके दादा गुरु स्वामी जी श्रीमानमल जी महाराज साहब, गुरु स्वामी जी श्री बुद्धमल जी महाराज साहब थे। आपका विहार क्षेत्र मुख्यतः राजस्थान के पाली जोधपुर अजमेर जिले में रहा। अआपने इन जिलों में करीब 65 चातुर्मास किये।
महाराज श्री ने बताया कि देश की स्वतंत्रता में आपका विशेष योगदान रहा है। देश के स्वतंत्रता के लिए महात्मा गांधी जी से ब्यावर में, नेहरू जी से सोजत रोड में व सरदार वल्लभभाई पटेल से मिलना व परामर्श के साथ स्वतंत्रता सेनानियों में जय नारायण व्यास दामोदर व्यास मथुरा दास माथुर आदि को संरक्षण देना और स्वतंत्रता के लिए उनको प्रोत्साहन देना रहा है।
आपको संघ व समाज के विशेष अधिकारियों द्वारा आपके कार्य व गुणानुरूप पूज्य रघुनाथ संप्रदाय शिरोमणि श्रमण सूर्य दिव्य विभूति भारत भूषण आशु कवि विश्व संत श्रमण संस्था भीष्म पितामह आदि अलंकरण एवं सामाजिक दायित्व निर्वाह हेतु मंत्री व प्रवर्तन पद से सुशोभित किया गया।
आपने हिंदी मारवाड़ी भाषा में 50000 से अधिक पृष्ठों में रामायण महाभारत जैसे विशाल महाकाव्य, दोहा कविता आदि कुल 181 पुस्तकों का सर्जन कर महामनीषी बने। वर्तमान में आपकी प्रेरणा से 300 से अधिक छात्रावास, चिकित्सालय, गौशाला, बकरा शाला, वृद्धाश्रम, विद्यापीठ, मानव सेवा केंद्र आदि प्रकल्प गतिमान है। अपने जगह-जगह अहिंसा धर्म की प्रेरणा दी एवं बलि प्रथा बंद करवाई। विक्रम संवत 2048 वर्ष 1991 जैन संतों में प्रथम बार आपश्री का केंद्र सरकार द्वारा डाक टिकट जन्म शताब्दी पर पाली में जारी किया गया। आपका देवलोक गमन पोष सुदी चौदस विक्रम संवत 2040 मंगलवार दिनांक 17 जनवरी 1984 को शाम 4रू30 बजे संतरा सहित जैतारण में स्वर्ग प्रयाण हुआ।
संघ के अध्यक्ष एडवोकेट सुरेश नागौरी ने बताया कि मंगलवार शाम भक्ति संध्या का आयोजन किया जाएगा। इसमें प्रसिद्ध गायक इंदौर के लवेश बुरड़ एवं उनकी टीम भाग लेंगी। महोत्सव का समापन बुधवार को होगा।


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