GMCH :डॉ. अतुल लुहाड़िया बीकानेर में आयोजित राज्य चेस्ट सम्मेलन में बने विशिष्ट वक्ता

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Published on : 21 Jul, 23 13:07

GMCH :डॉ. अतुल लुहाड़िया बीकानेर में आयोजित राज्य चेस्ट सम्मेलन में बने विशिष्ट वक्ता

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के चेस्ट एवं टीबी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अतुल लुहाड़िया को बीकानेर में आयोजित राजपल्मोकॉन- 2023 राज्य चेस्ट सम्मेलन में उदयपुर से विशिष्ट वक्ता के रूप में चुना गया । डॉ.लुहाड़िया ने सीने में बार-बार पानी भरने के निदान और इलाज में काम आने वाली मेडिकल थोरैकोस्कोपी तकनीक की करंट गाइडलाइंस के बारे में बताया एवं अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि यदि किसी के सीने में दर्द ,सांस में तकलीफ हो और सीने से 2 -3 बार पानी निकालने की जरूरत पड़े और बार-बार पानी भरने का कारण पता नहीं चल रहा हो तो उसे यह जांच करवा लेनी चाहिए ताकि जटिलताएं कम हो , समय पर उपचार हो सके व ओपन सर्जरी करवाने की जरूरत ना पड़े l डॉ.लुहाड़िया ने बताया कि अगर मरीज सही समय पर चिकित्सक के पास पहुंच जाता है तो सीने में जमे पानी एवं जालो का मेडिकल थोरैकोस्कोपी द्वारा सफल निदान एवं इलाज किया जा सकता है। मेडिकल थोरैकोस्कोपी एक प्रकार की सीने की एंडोस्कोपी है जिसमें सीने में एक छोटा सा छेद करके थोरैकोस्कोप सीने के अंदर डाला जाता है और सीने के अंदर क्या खराबी है उसको दूरबीन द्वारा देखा जाता है, सीने में जमे हुए पानी एवं जालों को निकाला जाता है और बायोप्सी ली जाती है।इसमें जटिलताएं ,खर्च ,जोखिम कम होता है, भर्ती कम दिन रहना पड़ता है, निशान कम रहता है, छोटे से भाग को सुन किया जाता है व छोटा सा छेद करके ही थोरैकोस्कोपी की जाती है ।इसके विपरीत सामान्यतः होने वाली ओपन सर्जरी में सीने में जिस तरफ बीमारी होती है, उस तरफ की छाती के भाग को खोल के ऑपरेशन करते हैं l इसमें जटिलताएं, खर्च ,जोखिम ज्यादा होता है ,मरीज को बेहोश करना होता है और निशान भी ज्यादा रह जाता है l सामान्यतः ओपन सर्जरी कार्डियोथोरेसिक सर्जन करते हैं लेकिन यह थोरैकोस्कोपी द्वारा उपचार श्वास रोग चिकित्सकों द्वारा संभव है। डॉ. लुहाड़िया ने चिकित्सकों से अपील की है कि सीने में पानी भरने के निदान के लिए बार-बार सुई से पानी निकालने की बजाए थोरैकोस्कोपी कर बायोप्सी करनी चाहिए ताकि समय पर निदान एवं इलाज आरंभ किया जा सके। गीतांजली अस्पताल में डॉ.अतुल एवं उनकी टीम अब तक लगभग 550 मरीजों की सफल थोरैकोस्कोपी कर निदान एवं इलाज कर चुकी हैं।


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