प्राचीन तीर्थ मीरपुर में मुनिराज का हुआ चार्तुमास मंगल प्रवेश

( 8974 बार पढ़ी गयी)
Published on : 26 Jun, 23 01:06

प्राचीन तीर्थ मीरपुर में मुनिराज का हुआ चार्तुमास मंगल प्रवेश

सिरोही। सिराही जिले में सम्प्रतिकाल के प्राचीन जैन तीर्थ मीरपुर में रविवार को मुनिराज पुन्यरत्नचन्द्र एवं नयशेखर विजय जी म. सा. का चार्तुमास मंगल प्रवेश गाजते बाजते हुआ। 1665 वर्ष प्राचीन इस तीर्थ में भीड़ भंजन पाश्र्वनाथ मूलनायक के रूप में विराजित हैं ओर इस तीर्थ का संचालन सेठ कल्याणजी परमानंदजी पेढी, सिरोही करती हैं। पूर्व में इसका नाम हमीरपुर पाश्र्वनाथ था जो अब मीरपुर पाश्र्वनाथ के नाम से जाना जाता हैं। प्राकृतिक पहाडियों के बीच बसे इस तीर्थ में कुल 5 जिनालय हैं। मूल जिनालय में प्राचीन शिल्पकला अति मनमोहक एंव अद्वितीय हैं। यह भूमि आचार्य भगवंत पाश्र्वचन्द्रसूरी की जन्म एवं कर्म स्थली होने से उनके भक्त अब यंहा तीर्थकर मुनिसुव्रतस्वामी का भव्य नया मंदिर का निर्माण नागौर के श्री जैन श्वेताम्बर पाश्र्वचन्द्रसूरीश्वर धाम ट्रस्ट की ओर से करवाया जा रहा हैं। ट्रस्ट के अध्यक्ष विजयराज चैधरी एवं सचिव प्रेमचन्द्र छल्लानी ने बताया कि नये जिनालय की प्रतिष्ठा 2024 में करवाई जायेगी।

साधना का अनुपम स्थल हैं मीरपुर

चार्तुमास प्रवेश पर मुनिराज का सेठ कल्याणजी परमानंदजी पेढी के सचिव दिनेश बोबावत व ट्रस्टी दिनेश कांगटानी ने ढोल ढमाको के साथ सामैया किया। सामूहिक गुरूवदंन के बाद मुनिराज नयशेखर विजय ने कहा कि साधना के लिए मीरपुर की भूमि बहुत ही ऊर्जावान हैं। एक दम शांत एवं प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण वातावरण में साधना व जाप करने के लिए मीरपुर एक अनुपम तीर्थ स्थल हैं। इसके अणु-परमाणु से साधना में एक नई ऊर्जा का संचार होता हैं। उन्होंने कहा कि चार्तुमास में किसी प्रकार की विराधना नही हो उसके लिए जैन मुनि चार मास तक विहार नही करते हैं। तीर्थ भूमि की महिमा से अवगत कराते हुऐ मुनिराज ने कहा कि तीर्थ पर अनेक गुरूदेवो ने गहन साधना कर अपने जीवन को धन्य बनाया हैं। मीरपुर तीर्थ के इतिहास की जानकारी देने के लिए शनिवार को अहमदाबाद में रिवर फ्रन्ट पर एक शानदार भक्ति संध्या हुई जिसमे हजारों तीर्थ प्रेमियों ने भाग लेकर सम्प्रतिकाल के इस तीर्थ के बारे में जानकारी हासिल की।

चार्तुमास प्रवेश पर मीरपुर ट्रस्ट के ट्रस्टी दिनेश कांगटानी ने मुनिराज का आर्शीवाद लेते हुऐ अपार प्रसन्नता व्यक्त की कि इतने प्राचीन तीर्थ पर चार्तुमास होने से साधको को शंात वातावरण में साधना का बड़ा अवसर मिलेगा। मुनिराज पुण्यरत्नचन्द्र म. सा. ने मांगलिक सुनाकर सब को आर्शीवाद दिया। इस अवसर पर मुनिराज को काम्बली ओढ़ाकर व गुरू-पूजन कर वंदना एवं प्रभावना का लाभ नागौर से पधारे गुरूभक्तो ने लिया। गुरूभक्त पप्पुभाई ने मुनिराज की साधना आधारित भक्तिगीत प्रस्तुत कर सबको भाव विभोर कर मुनिराज के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.