मिर्गी की सर्जरी- मिर्गी के रोगियों के लिए इलाज की उम्मीद

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Published on : 10 Jun, 23 15:06

मिर्गी की सर्जरी- मिर्गी के रोगियों के लिए इलाज की उम्मीद

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में जालोर के रहने वाले 9 वर्षीय मास्टर वैभव (परिवर्तित नाम) का न्यूरोसाइंसेज की अनुभवी डॉक्टर्स की टीम ने अपने अथक प्रयासों से रोगी का सफल उपचार कर स्वस्थ जीवन प्रदान किया। इस इलाज को सफल बनाने वाली टीम में न्यूरोलॉजी विभाग के एच.ओ.डी डॉ. अनीस जुक्करवाला, न्यूरोसर्जरी विभाग के एच.ओ.डी. डॉ. उदय भौमिक, डॉ. आदित्य गुप्ता, डॉ. गोविंद मंगल, न्यूरोएनेस्थेटिस्ट डॉ. नीलेश भटनागर, ओ.टी स्टाफ और तकनीशियन शामिल हैं|

विस्तृत जानकारी:

9 वर्षीय मास्टर वैभव (परिवर्तित नाम) को गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी विभाग में मिर्गी के दौरों की जांच के लिए लाया गया था। यह बच्चा 5 साल की उम्र से ही इस बीमारी से पीड़ित था। उनके माता-पिता ने इस बीमारी के लिए न्यूरोलॉजिस्ट सहित कई डॉक्टरों से सलाह ली। उन्हें पहले से ही कई दवाएं भी ली लेकिन तब भी रोगी को रोज़ाना 2-3 दौरे पड़ते रहे। दौरे पड़ने पर बच्चा अचानक गिर जाता, बेहोश हो जाता और उसका शरीर अकड़ जाता और 15-20 मिनट तक उसकी सांस तेज चलती थी। इस वजह से बच्चे को अपनी स्कूली शिक्षा छोड़नी पड़ी और उसका पूरा परिवार बेहद परेशान हो गया था। ऐसे में रोगी के परिवार को उनके रिश्तेदार के माध्यम से गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में की जा रही मिर्गी की सर्जरी के बारे में पता चला।

यहाँ आने पर सबसे पहले रोगी की 3.0 टेस्ला एम.आर.आई और वीडियो ईईजी की गयी| गहन जांच के बाद यह पाया गया कि बच्चे की मिर्गी 'फोकल कॉर्टिकल डिसप्लेसिया' (एफ.सी.डी) नामक मस्तिष्क रोग के कारण हुई थी। एफ.सी.डी मस्तिष्क के एक हिस्से में न्यूरॉन्स के समूह के आकार और संरचना में दोष के कारण होता है और आमतौर पर मिर्गी का कारण बनता है| यह दवाओं से आसानी से नियंत्रित नहीं होता है। जीएमसीएच के न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनीस जुक्करवाला ने बच्चे के माता-पिता को मिर्गी की सर्जरी के विकल्प के बारे में विस्तार से बताया। डॉ. उदय भौमिक के नेतृत्व में और डॉ. आदित्य गुप्ता, डॉ. गोविंद मंगल, डॉ. नीलेश भटनागर ओटी स्टाफ और तकनीशियनों के सहयोग से न्यूरोसर्जनों की टीम ने उच्च गुणवत्ता वाले माइक्रोस्कोप और इंट्राऑपरेटिव इलेक्ट्रोकोर्टोग्राफी के मार्गदर्शन में इस बच्चे की सर्जरी की। 7 दिनों के बाद स्थिर हालत में बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। उसे 5 महीने बाद भी अब तक कोई दौरा नहीं पड़ा है और उसने स्कूल जाना शुरू कर दिया है। उसकी दवाएं पिछली खुराक की तुलना में केवल एक-चौथाई रह गई हैं और उम्मीद है कि निकट भविष्य में बंद हो जाएंगी।

डॉ अनीस ने बताया मिर्गी को एक लाइलाज बीमारी समझा जाता था, अब मिर्गी के ऑपरेशन के द्वारा इलाज की संभावना है। मिर्गी की सर्जरी सामान्य न्यूरोसर्जरी की तरह नहीं है, इसमें बहुत विशेषज्ञता, दृढ़ता और निष्पादन के लिए एक अच्छी टीम की आवश्यकता होती है।

बच्चे के माता-पिता उसके भविष्य को लेकर खुश और आशान्वित हैं। मिर्गी सर्जरी वास्तव में जिनमें मिर्गी दवाओं से नियंत्रित नहीं होती इलाज की आशा है|

गीतांजली हॉस्पिटल एक टर्शरी केयर मल्टी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल है यहाँ के न्यूरोसाइंसेज विभाग में सभी एडवांस तकनीके व संसाधन उपलब्ध हैं जिससे जटिल से जटिल समस्याओं का निवारण निरंतर रूप से किया जा रहा है।

गीतांजली हॉस्पिटल पिछले 16 वर्षों से सतत रूप से हर प्रकार की उत्कृष्ट एवं विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है एवं जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सेवाएं देता आया है।


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