मौत का मज़हब का रोमाचक मंचन

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Published on : 27 May, 23 01:05

दयपुर भारतीय लोक कला मण्डल में नाटक मौत का मज़हब का हुआ जबरदस्त मंचन।

मौत का मज़हब का रोमाचक मंचन


भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर एवं दी परफोरमर्स कलच्रल सोसायटी, उदयपुर के द्वारा प्रसद्धि कहानीकार स्वर्गीय आलम शाह खॉन कि कहानी ‘‘ मौत का मज़हब’’ की बहुत ही भावुक, मार्मिक एवं दर्शकों को रूला देने वाली प्रस्तुति हुई। यह प्रस्तुति भारतीय लोक कला मण्डल के मेला ग्राउण्ड में वास्तविक शमशान एवं कब्रिस्तान बनाकर की गई।
उन्होंने बताया कि कहानी  मौत का मज़हब प्रसिद्ध कहानीकार स्वर्गीय आलम शान खान साहब द्वारा लिखी गई है। यह एक मार्मिक कहानी है। जिसमें भोपाल में हुए गैस कांड को दर्शाया गया है। उक्त त्रासदी में कितने मासूम लोग विभिन्न समुदाय, जाति एवं धर्म के मारे गये थे। भोपाल गैस कांड का असर आज भी देखने को मिलता है। नाटक में यह दर्शाने का प्रयास किया गया है कि उक्त समय में ऐसे अवसरवादी लोग भी देखने को मिले जो ऐसी भंयकर विपदा में भी मानवीय मूल्यों को दर किनार कर अपने लिए धनोपार्जन का प्रयास करते है, राजनिति के लोग किस तरह अपनी राजनिति की रोटियाँ सेखते है, धर्म के ठेकेदार धर्म के नाम पर लोगों को भड़कातें हैं।
 कहानी में यह बताने का प्रयास किया गया कि क्या भारत में मानवीय मूल्यों का कोई महत्व नहीं रहा है। इस तरह की विपदा में लाखों लोगों की मृत्यु के बाद भी धर्म, जाति, मज़हब के ठेकेदार मानवीय मूल्यों को दर किनार कर देते है। कथा में यह बताने का प्रयास किया गया है कि मरने के बाद भी उस लाश का कोई धर्म होता है। कुछ इस तरह की घटनाएं वर्तमान समय में कोरोना काल में भी देखने को मिली जिसमें लाखों की संख्या में लोग बीमार होकर मर रहे थे। लाशों को रखने की जगह नहीं थी। उसे दफनाने एवं जलाने के लिए लाइन लगी थी। उनके अंतिम संस्कार के लिए कई-कई दिन तक इंतजार करना पड़ा था। ऐसे ही दर्श्यो को कहानी की प्रस्तुति में दिखाने का प्रयास किया गया। जिसे कलाकारों ने बखूबी रूप से अभिनय कर दर्शकों को अभिभूत किया।
उक्त प्रस्तुति का निर्देशन युवा अभिनेता एवं नाट्य निर्देशक कविराज लईक द्वारा किया गया। कहानी की प्रस्तुति में शिवांगी तिवारी, पायल मेनारिया, धीरज जीनगर, प्रगणेश पण्डया, पूनम कुंवर देवड़ा, दिविशा पालीवाल, चिनमय चतुर्वेदी, खुशी, अक्षिता, भवदीप मलकानी, हुसैन आर.सी., विपु, मानद, विशाल चित्तौड़ा, दिव्यांशु नागदा, सुदांशु, प्रखर, थे। लाईट एवं प्रकाश व्यवस्था कुणाल मेहता, राजकुमार मोंगिया, संगीत पर पंकज मलकानी थे।


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