स्वच्छ माहवारी  -प्रजनन स्वास्थ्य की धुरी –डॉ. मीनू श्रीवास्तव

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Published on : 26 May, 23 10:05

स्वच्छ माहवारी  -प्रजनन स्वास्थ्य की धुरी –डॉ. मीनू श्रीवास्तव

महाराणा  प्रताप  कृषि  एवम  प्रौद्योगिकी  विश्वविद्यालय उदयपुर के संघटक सामुदायिक एवं व्यवहारिक महाविद्यालय तथा जतन संस्थान उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में  प्रतिवर्ष 28 मई को विश्व  मासिक धर्म स्वछता दिवस के रूप में मनाये जाने के उपलक्ष में "मासिक धर्म स्वच्छता" पर एक संवेदी कार्यशाला का आयोजन किया गया था। शुरुआत में वक्ताओं और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए डॉ. मीनू श्रीवास्तव, डीन, सामुदायिक अवम व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय तथा कार्यक्रम की  मुख्य अतिथि ने माहवारी जैसे मुद्दों पर छात्रों की ज़्यादा उपस्थिति को भविष्य के लिए शुभ संकेत बताते हुए कहा कि शिक्षा की कमी, लगातार वर्जनाओं और कलंक, स्वच्छ मासिक धर्म उत्पादों तक सीमित पहुंच और खराब स्वच्छता बुनियादी ढांचे के कारण खराब मासिक धर्म स्वच्छता शैक्षिक अवसरों, स्वास्थ्य और महिलाओं की समग्र सामाजिक स्थिति को कमजोर करती है। नतीजतन ,दुनिया भर की लाखों महिलाओं और लड़कियों को अपनी पूरी क्षमता का दोहन करने से रोक दिया जाता है।आपने जतन के साथ हुए अनुबंध के तहत किये जा रहे कार्यक्रमों के लिए एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. कैलाश बृजवासी की भूरी भूरी प्रशंसा की साथ ही भविष्य में भी ऐसे सामाजिक कल्याण के आयोजनों की अपेक्षा पर ज़ोर डाला।  
               प्रमुख आयोजन सचिव डॉ गायत्री तिवारी, प्रोफेसर  व् वरिष्ठ वैज्ञानिक -मानव विकास तथा पारिवारिक अध्ययन विभाग ने कहा कि हर साल 28 मई को मासिक धर्म स्वच्छता दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है। आपने बताया की मासिक धर्म स्वच्छता दिवस 2023 की थीम ,2030 तक मासिक धर्म को जीवन का एक सामान्य तथ्य बनाना है. ।यह विशेष दिन लोगों को मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (एमएचएम) के महत्व के बारे में सूचित और शिक्षित करने के लिए समर्पित है। 28 मई को दिन मनाने का कारण मासिक धर्म चक्र का औसत अंतराल 28 दिन और लड़कियों/महिलाओं को मासिक धर्म होना बताया जाता है। हर महीने औसतन पाँच दिन, और मई साल का पाँचवाँ महीना है.आपने कहा की अब समय आ गया है जब पारंपरिक सोच से इतर पुरुषों को भी संवेदनशील करना आवश्यक हो गया है .कार्यक्रम में छात्राओं के साथ छात्रों की उपस्थिति बौद्धिक विकास की परिचायक है .
          मुख्य वक्ता डॉ. लक्ष्मी मूर्ति, निदेशक, विकल्प डिजाइन, उदयपुर ने कहा कि मासिक धर्म स्वच्छता पर शिक्षा और ज्ञान की कमी के कारण लड़कियों में स्वास्थ्य संबंधी बहुत सारी समस्याएं होती हैं। स्वच्छ मासिक धर्म उत्पादों तक सीमित पहुंच भी एक कारण है कि लाखों लड़कियां और महिलाएं अपने सपनों का पालन करने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए, लोगों को मासिक धर्म स्वच्छता के महत्व को समझाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। श्री कृष्ण भील , शिक्षा और स्वास्थ्य प्रशिक्षक-जतन कार्यक्रम के समन्वयक ने कहा मासिक धर्म से संबंधित कई मिथक हैं जैसे पूजा और पूजा करने या मंदिर में प्रवेश करने पर प्रतिबंध, अचार को छूने की अनुमति नहीं आदि। लोगों को यह समझाने की जरूरत है कि ये केवल ऐसी मान्यताएं हैं कि इस समय महिलाएं अशुद्ध होती हैं। - कोर्डिनेटर सुश्री उषा  देवी ने प्रश्नोतरी के माद्यम से महावारी सम्बंधित सत्य एवं मिथ्याओं  के बारे विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए  कहा कि मासिक धर्म एक जैविक प्रक्रिया है और इसे किसी भी प्रकार की मान्यताओं से संबंधित नहीं होना चाहिए .सत्र का समापन प्रश्नोत्तर दौर के साथ हुआ, कार्यक्रम  का  संयोजन और सञ्चालन आयोजन समिति के राजेंद्र सिंह राठौड़,श्री मरुधर सिंह देवड़ा,डॉ स्नेहा जैन ने किया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय  की  निवर्तमान  छात्र  कल्याण  अधिकारी  और प्रोफेसर एमेरिटस डॉ  सुमन सिंह ,हेमू राठौड़-प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष -संसाधन प्रबंधन एवं उपभोक्ता विज्ञान विभाग , जतन के पदाधिकारी ,गोगुन्दा में प्रजनन स्वास्थ्य पर कार्य कर रहे श्री देवनारायण सहित किशोर -किशोरियों ने  भी सक्रियता से भाग लिया।


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