पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन मनाया तप कल्याणक

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Published on : 23 May, 23 16:05

प्रभु की अद्भुत बाल क्रीड़ाओं को देखकर सम्मोहित हुए श्रावक-श्राविकायें

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन मनाया तप कल्याणक

 श्री आदिनाथ दिगंबर जैन चौरिटेबल ट्रस्ट पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव
समिति की ओर से हिरण मगरी सेक्टर 11 में आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन तप कल्याण महोत्सव मनाया गया।
प्रातः 5.30 बजे विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान हुए, जिनमें ध्यान एवं आशीर्वाद, श्री जिनाभिषेक एवं नित्यार्जन जैसे प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान हुए। इसके बाद प्रातः 8.15 बजे से आलोक स्कूल सेक्टर 11 के प्रांगण में बने विशाल पंडाल में प्रभु की बाल क्रीड़ाएं हुई। प्रभु की अद्भुत बाल क्रीड़ाओं को देखकर हर कोई सम्मोहित हो गया। लगभग 1 घंटा चली प्रभु की बाल क्रीड़ाओं ने पंडाल में उपस्थित हर व्यक्ति को भावविभोर कर दिया।
इस अवसर पर आयोजित धर्मसभा में वात्सल्यवारिधि आचार्य शिरोमणि आचार्य वर्धमान सागर महाराज ने उपस्थित श्रावकों को तप कल्याणक महोत्सव का महत्व विस्तार से बताया। आचार्यश्री ने कहा कि तीर्थंकर के जीवन से हमेशा प्रेरणा मिलती है। किस तरह से उन्होंने अपने जीवन का कल्याण कर लोक कल्याण के लिए खुद को अर्पित कर दिया। पूरी दुनिया को उन्होंने आत्मा से परमात्मा तक पहुंचने का मार्ग दिखाया। जो जीव अपने जीवन में दीक्षा धारण करता है उसके जीवन में परिवर्तन हो जाता है। दीक्षा से पूर्व जीव अपने मूल स्वरूप को भूल चुका होता है लेकिन दीक्षा के बाद वो खुद को पहचानने लगता है। दीक्षा संस्कार से केवल ज्ञान प्राप्त होता है। केवल ज्ञान प्राप्त करने के बाद मोक्ष को प्राप्त कर लेता है।
आलोक स्कूल प्रांगण में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा की प्रशंसा करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि डॉ प्रदीप कुमावत का आलोक स्कूल अपने नाम को सार्थक कर रहा है। आलोक अज्ञानता रूपी अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैला रहा है। इस अवसर पर आलोक स्कूल के प्रबंध निदेशक डॉ प्रदीप कुमावत ने भी अपने विचार रखे।
अर्यिका 105 श्री दिव्यशमति माताजी ने कहा कि तप कल्याण की क्रियाओं के माध्यम से हम केवल ज्ञान तक पहुंच सकते हैं। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान विभिन्न धार्मिक क्रियाओं के माध्यम से हम केवल ज्ञान को जान सकते हैं। उन्होंने कहा कि उदयपुर वाले सौभाग्यशाली है। एक माह में ही उन्हें दूसरे पंचकल्याणक महोत्सव का अवसर मिला है। जिस तरह से मणियों में चिंतामणि रत्न, वृक्षों में कल्पवृक्ष और गायों में कामधेनु गाय का मिलना बहुत ही सौभाग्य की बात होती है। उसी तरह से चातुर्मास में आचार्य वर्धमान सागर का सानिध्य मिलना परम सौभाग्य की बात होती है।
इससे पूर्व जयंतीलाल डागरिया परिवार एवं अशोक शाह परिवार ने आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन एवं बसंतीलाल घाटिया ने शास्त्र भेंट करने का लाभ प्राप्त किया।


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