कोटा, कोटा शहर को आवारा पशुमुक्त बनाने की मंशा को लेकर स्वायत्त शासन मंत्री की मंशा के निर्देश पर यूआईटी ने पशुपालकों के लिए देवनारायण योजना बनाई थी, पशुपालकों के लिए मंत्री शांति धारीवाल ने जिस विजन से देवनारायण योजना बनाई है, उसके लिए समस्त पशुपालक उनके जीवनभर आभारी रहेंगे। लेकिन कोटा शहर के कई पशुपालक आज भी वहां आवंटन के लिए यूआईटी के चक्कर लगाने के लिए मजबूर हैं।
यह आरोप लगाते हुए देवनारायण आवास योजना पशुपालक विकास समिति के अध्यक्ष किरण लांगड़ी ने यूआईटी पर पशुपालकों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। पत्रकारों से बातचीत में अध्यक्ष किरण लांगड़ी, कोषाध्यक्ष शिवा भड़क, अमरा कटारिया, नारायण कालश, गोविन्द चाड़, राजू खारी, देवकरण भड़क, रंगलाल नेकाड़ी, रूक्मा बाई, संतोष बाई ने बताया कि यूआईटी द्वारा कोटा शहर में विभिन्न जगहों पर पशुपालन का कार्य कर रहे पशुपालकांे को देवनारायण योजना में यह कहकर भेज दिया कि आप वहां चलो, आपको वहां पर मकानों का आवंटन कर दिया जाएगा। आज भी लगभग 50 पशुपालक दूसरों के मकानों मंे समय बिता रहे हैं, लेकिन यूआईटी अधिकारी अब उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं। यही नहीं 25-30 पशुपालक ऐसे भी हैं, जिनका सर्वे में नाम नहीं है।
उन्होंने बताया कि इन सभी पशुपालकों के यूआईटी द्वारा कराए गए सर्वे में नाम भी दर्ज है, यूआईटी के अधिकारियों द्वारा प्रारंभ में उन सभी से सौ-सौ रूपये लेकर आवेदन पत्र भी दिये गए थे, वो भी उनके पास मौजूद है। जब योजना के पूरा होने के बाद जब प्रारंभ में कॉलोनी में पशुपालकों को आवंटन किये गए थे, उस समय यूआईटी द्वारा इस योजना में किश्तें महंगी होने से कई पशुपालकों ने इसमें रूचि नहीं दिखाई। बाद में यूआईटी ने किश्त की राशि कम की तो पशुपालकों ने वहां आवंटन में फार्म भरना चाहा तो यूआईटी अब उन्हें परेशान कर रही है। उनका कहना है कि लगभग चार महीने से लगभग 50 पशुपालक यूआईटी के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन यूआईटी के अधिकारी उन्हें स्पष्ट जवाब नहीं देकर चक्कर लगवा रहे हैं।