75 काव्य साधकों को “समरस श्री काव्य शिरोमणि सम्मान” से सम्मानित

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Published on : 22 Mar, 23 10:03

75 काव्य साधकों को “समरस श्री काव्य शिरोमणि सम्मान” से सम्मानित

सीएडी स्थित राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय में विश्व कविता दिवस पर समरस संस्थान साहित्य सृजन भारत के संयुक्त तत्वाधान मे आजादी के अमृतकाल को समर्पित “ काव्यांजली कार्यक्रम के साथ 75 काव्य साधकों को “समरस श्री काव्य शिरोमणि सम्मान” से सम्मानित किया गया ।
समारोह की अध्यक्षता डॉ विवेक मिश्र प्रोफेसर हिंदी कला महाविधालय कोटा , मुख्य अतिथि डॉ कामिनी व्यास रावल प्रोफेसर हिंदी संजीवनी शिक्षक प्रशिक्षण महाविधालय उदयपुर, अति विशिष्ठ अतिथि डॉ पुर्वा अग्रवाल अतिरिक्त निदेशक पेंशन कोटा संभाग , विशिष्ठ अतिथि रजनी शर्मा वरिष्ठ साहित्यकार उदयपुर, राजा राम जैन “ कर्मयोगी” , मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार जितेन्द्र निर्मोही, गेस्ट ऑफ ऑनर डॉ मुकेश कुमार “स्नेहिल” राष्ट्रीय संस्थापक समरस साहित्य संस्थान भारत (वर्चुअली कनेक्टेड), डॉ रघुनाथ मिश्र “सहज” राष्ट्रीय संरक्षक समरस साहित्य संस्थान भारत , काव्य वक्ता डॉ शिवलहरी , डॉ कृष्णा कुमारी,  डॉ फरीद खान एव सलीम अफरीदी तथा कार्यक्रम संचालन सीमा घोष समाज सेविका एवं शिक्षाविद रही ।            
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की आराधना एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। मां सरस्वती की प्रस्तुति संगीत शिक्षक गोविन्द प्रकाश पंवार के द्वारा प्रस्तुत की गई जिसने उपस्थित काव्य साधकों को मंत्र मुग्ध किया। सभी आमंत्रित अतिथियों का माल्यार्पण एवं पुष्प गुच्छ देकर कार्यक्रम संयोजिका डॉ शशि जैन ने सम्मानित किया । इस अवसर पर राजेन्द्र कुमार जैन से.नि. सहायक रजिस्ट्रार ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया । 
उदघाटन सत्र मे उदघाटन भाषण देते हुये डॉ दीपक कुमार श्रीवास्तव संभागीय पुस्तकालयाध्यक्ष ने सभी अतिथियों का स्वागत एवं अभिनदन करते हुये कहा कि – आज से 24 वर्ष पुर्व आज ही के दिन 21 मार्च 1999 मे कविताओ के संरक्षण , विकास एवं प्रसार के लिये इस दिन को मनाया जाना तय किया गया लेकिन आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस तथा चेटजीपीटी ने इस रचनात्मक लेखन को काफी आसान एवं प्रभावी बना दिया जो इस क्षेत्र मे अभिरुचि रखने वालों को आत्मनिर्भर बनामे मे सक्षम साबित हुई है । 
डॉ फरीद ने कहा कि – “ सुबह गजल की है घर-घर , कविता की शाम है । अब देश क्या विदेश में कोटा का नाम है ।। दीपक तो सिर्फ नाम है , सुरज सा काम है, अनमोल इनकी सेवा को , कवि का प्रणाम है । एक समय था, समय कि कवियों को कोई जानता न था , सम्मान –मान क्या , कोई पहचानता न था , क्या अलख जगाई दीपक ने ख्याति है नाम है । सुबह गजल की है घर-घर।   
मुख्य अतिथि डॉ कामिनी ने अपने उदबोधन मे कहा कि - कविता समाज के हर वर्ग की कहानी  में शामिल है । अति विशिष्ठ अतिथि डॉ पुर्वा अग्रवाल ने युवा वर्ग खासकर कोचिंग मे पढ़ रहे प्रतियोगी विधार्थियों को समर्पित कविता प्रस्तुत की । विशिष्ठ अतिथि रजनी शर्मा ने कहा कि - 
बीज भाषण मे जितेन्द्र निर्मोही ने कहा कि - कविता स्वप्न और विकल्प की रंगभूमि होतीहै। कवि कविता में कई वैकल्पिक संभावनाओं को  अपने भाषा से जीवंत बनाए रखते है।जब जब कवि वेदना और जगत में ठनती है ,कविता जन्म लेती है। उन्होने मुक्तक पेश करते हुये कहा कि - लगती है चोट तो एक टीस सी दें जाती है, नियती बस यहीं एक सीख ही दे जाती है । हादसे बस यहीं बनते हैं गीतों के स्वर, दर्द की पंक्तियां ग़ज़लें कहीं जाती है ॥ 
डॉ विवेक कुमार मिश्र ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि कविता मनुष्यता की सभ्यता में मनुष्य के राग संसार का इतिहास है। कवि अपने संसार में स्थित होते हुए नये संसार की रचना करता है जिसमें शोषित, बंचित , अभावग्रस्त और हताश हारे हुए लोगों को भी वहीं जगह मिलती है जो सम्पन्न और शक्तिशाली वर्ग को मिलती है । कवि और कविता के राज में लोकतंत्र और न्याय पूर्ण वितरण की बात बराबर की जाती है और अंततः कविता मनुष्य की करुणा को संवेदित कर समतापूर्ण समाज की कार्यवाही में मनुष्यता का सबसे बड़ा उद्घोष है।
इस अवसर पर 75 काव्य साधको को “ समरस श्री काव्य शिरोमणि सम्मान -2022” से सम्मानित किया गया जिनमे डॉ वेदेही गौतम,अर्चना शर्मा, रीता गुप्ता, साधना शर्मा, डॉ. रंजना शर्मा, वंदना शर्मा, श्यामा शर्मा, सुनीता जैन, गरिमा गौतम, रेणु सिंह राधे, डॉ. प्रतिमा व्यास, डॉ. कृष्णा कुमारी, नंदकिशोर शर्मा, अनमोल, ज्ञान सिंह गंभीर, बाबूलाल वर्मा, महेश पंचोली, मुकेश मोरवाल, डॉ. नंदकिशोर महावर, सलीम स्वतंत्र, गोविंद प्रसाद पँवार, डॉ. प्रशांत भारद्वाज, जमील कुरैशी,अहमद अली हुसैन, सीमा घोष, डॉ. रघुनाथ मिश्र 'सहज', डॉ विवेक मिश्र, रवि शंकर शाक्यवाल, मंजू किशोर रश्मि, राजेंद्र कुमार जैन इत्यादि प्रमुख रहे । 


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