महाराणा भूपालसिंह की १३९वीं जयन्ती मनाई

( 3037 बार पढ़ी गयी)
Published on : 17 Feb, 23 05:02

महाराणा भूपालसिंह की १३९वीं जयन्ती मनाई

उदयपुर | मेवाड के ७४वें एकलिंग दीवान महाराणा भूपालसिंह जी की १३९वीं जयंती महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से मनाई गई। महाराणा भूपालसिंह का जन्म वि.सं.१९४०, फाल्गुन कृष्ण एकादशी (वर्ष १८८४) को हुआ था। सिटी पेलेस म्यूजियम स्थित राय आंगन में उनके चित्र पर माल्यार्पण व पूजा-अर्चना कर मंत्रोच्चारण के साथ दीप प्रज्जवलित किया गया तथा आने वाले पर्यटकों के लिए उनकी ऐतिहासिक जानकारी प्रदर्शित की गई। 
महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि विक्रम संवत् १९८७, ज्येष्ठ वदी १२ (ई.सं. १९३० दिनांक २५ मई) को महाराणा भूपालसिंह जी की गद्दीनशीनी सम्पन्न हुई। गद्दीनशीनी होते ही महाराणा ने प्रजा तथा जागीरदारों के कर्ज माफ कर दिये। महाराणा बडे प्रजाहितैषी थे, वे सदा प्रजा की उन्नति एवं भलाई के लिए तत्पर रहते थे। 
मेवाड की गद्दी पर बैठने से पूर्व भी राज्य के कई कार्यभार एवं अधिकार उनके पिता महाराणा फतह सिंह जी ने उन्हें सौंप दिये थे। जिस कारण राजकीय कार्यों में महाराणा भूपालसिंह जी को दक्षता प्राप्त थी। आपने राज्यशासन में कई आवश्यक सुधार किये, जिससे राज्य की प्रजा आदि उनके कार्यों से काफी संतुष्ट थे। आपने लोकहित संबंधी अनेक कार्य करवाये, जिससे प्रजा उन्हें दानवीर कर्ण मानती थी। कम ब्याज पर किसानों को ऋण देने के लिये ’कृषि सुधार‘ नामक फंड खोला गया। खेती में उन्नति के लिये उदयपुर में कृषि फार्म की स्थापना की तथा मेवाड में व्यापार के मुख्य केन्द्र भीलवाडा में ’भूपालगंज‘ नामक मंडी बनवाई। राज्य में रोजगार व आय वृद्धि के लिये बडीसादडी व चित्तौड में कारखाने खोले गये तथा आमजन को भी ऐसे कारखाने खोलने की आज्ञा दी, जिससे जहाजपुर, आसींद, सनवाड, कांकरोली आदि में कारखाने खुलने लगे।
शहर की साफ-सफाई के लिए म्यूनिसिपल्टी की स्थापना करवाई। शहर में विद्युत-रोशनी की व्यवस्था आरम्भ हुई। बीमारों के ईलाज के लिए कई दवाखाने खोले गये। विद्यार्थियों के लिये हाईस्कूल की पढाई के बाद उच्च शिक्षा के लिए उदयपुर में इन्टरमीडियेट कॉलेज खोला गया। शिक्षा प्रसार हेतु स्कूलों व अध्यापकों की संख्या बढाई गई। यात्रियों की सुविधा के लिये पक्की सडके बनवा मोटर गाडयां चलवाई। यही नहीं देश की आजादी के समय कई राजा-महाराजा अपनी रियासतों को पाकिस्तान में मिलाना चाहते थे, लेकिन महाराणा भूपाल सिंह जी ने मेवाड रियासत को भारतीय संघ में विलय की घोषणा कर अपने पूर्वजों का मान और बढा दिया। परिणाम स्वरूप पाकिस्तान में विलय पर विचार करने वाले शासकों को भी अन्ततः भारत के साथ रहने को विवश होना पडा।
 


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.