राम नाम सुमिरन एवं प्रभु चरणों का ध्यान जीवन में सर्वसमस्याओं का समाधान- आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज

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Published on : 04 Feb, 23 07:02

राम नाम सुमिरन एवं प्रभु चरणों का ध्यान जीवन में सर्वसमस्याओं का समाधान- आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज

भीलवाड़ा । सद्गुरू की कृपा से ही जीवन में आने वाले संकट एवं समस्याओं का समाधान होता है। सर्वसमस्याओं का समाधान रामनाम का सुमिरन एवं प्रभु चरणों का ध्यान है। स्वामी श्रीरामचरणजी महाराज ने इस बारे में गहन चिंतन व्यक्त किया है। परमात्मा संसार में भेजने में समर्थ है लेकिन संसार से पार उतारने में सद्गुरू ही समर्थ है। सद्गुरू की कृपा से ही शिष्य उन्नति करता है एवं उसकी आभा निखरती है। इससे राष्ट्र व समाज की प्रगति में भी सहायता मिलती है। साधक के रामगुरू व सच्चाई के सम्मुख जाने पर जीवन का हर विध्न दूर हो जाता है। ये विचार अन्तरराष्ट्रीय रामस्नेही सम्प्रदाय के पीठाघीश्वर आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज ने शुक्रवार को स्वामी श्रीरामचरणजी महाप्रभु के 303वें प्राक्ट्य दिवस के अवसर पर माणिक्यनगर स्थित रामद्वारा में दस दिवसीय विराट आध्यात्मिक सत्संग ‘‘राष्ट्र पर्व से लेकर राम पर्व तक’’ के नवें दिन व्यक्त किए। आध्यात्मिक सत्संग के समापन दिवस पर शनिवार को सुबह 9 बजे से स्वामी श्रीरामचरणजी महाराज का 303वां प्राकट्य महोत्सव आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज के सानिध्य में मनाया जाएगा। सत्संग में आचार्यश्री ने कहा कि सद्गुरू आंख के सामने है तो परमात्मा का साकार रूप हमे आराधना में मिलता है। सद्गुरू आंखों से ओझल होने पर वह निराकार हो जाता है। सद्गुरू सामने है तो आंख का विषय है ओर सामने नहीं होने पर ह्दय का विषय है। सद्गुरू में भवसागर को पार कराने का सामर्थ्य है। हरि रूठ जाए तो सद्गुरू रक्षा कर सकता लेकिन सद्गुरू रूठ जाए तो रक्षा कोई नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा कि संसार में आने वाले को जाना ही पड़ेगा इससे कोई नहीं बच सकता। सांसारिक मोहमाया की इच्छा रखने की बजाय परमात्मा के दर्शन की इच्छा रखेेंगे तो कल्याण होगा। जन्म-जन्मांतर से दुनिया देख रहे है एक बार भी ये बोल दे कि दुनिया बनाने वाले तुझे देखना चाहता हूं तो संसार में आना सार्थक हो जाएगा। परमात्मा ही सृष्टि का सजृनकर्ता व विसर्जनकर्ता है। 

*प्राकट्य दिवस की पूर्व संध्या पर 303 दीपक प्रज्वलित* 

स्वामी श्रीरामचरणजी महाराज के 303वें प्राकट्य दिवस की पूर्व संध्या पर शुक्रवार शाम माणिक्यनगर रामद्वारा में आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज के सानिध्य में श्रद्धालुओं द्वारा 303 दीपक प्रज्वलित किए गए। संध्या आरती का आयोजन भी हुआ। इस अवसर पर रामद्वारा में आकर्षक रोशनी भी की गई। 

 *सम्पूर्ण वाणीजी पाठ के समापन पर आचार्यश्री ने की आरती* 

सत्संग के बाद महोत्सव के पहले दिन 26 जनवरी से शुरू हुए सम्पूर्ण वाणीजी पाठ का समापन आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज के सानिध्य में हुआ। आचार्यश्री के साथ संतों व श्रद्धालुओं ने भी वाणीजी की आरती की। इस दौरान वाणीजी का जयघोष भी होता रहा। महोत्सव के दौरान प्रतिदिन सुबह 7 बजे से शाम को संध्या आरती तक वाणीजी पाठ करने वालों में पाठक बालमुकन्द बिड़ला, घनश्याम अजमेरा, जगदीश विजयवर्गीय, श्याम कोठारी, प्रहलाद जागेटिया, कैलाश अरोड़ा, मोहनलाल असावा, रामप्रकाश सोमानी, शंकरलाल विजयवर्गीय व दिनेश सोमानी शामिल थे। 

 *प्राकट्य दिवस पर शनिवार को निकाली जाएगी भव्य शोभायात्रा* 

रामस्नेही सम्प्रदाय के आद्याचार्य स्वामी श्रीरामचरणजी महाराज के प्राकट्य महोत्सव (जयंति) के अवसर पर विजयवर्गीय समाज एवं रामस्नेही भक्तों द्वारा सुबह 9 बजे प्राइवेट बस स्टेण्ड स्थित विजयवर्गीय भवन से भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। शोभायात्रा मुख्य मार्गो से होते हुए माणिक्यनगर रामद्वारा पहुंच सम्पन्न होगी। शोभायात्रा में 398 थाल लिए श्रद्धालु भी शामिल होंगे। विजयवर्गीय वैश्य संस्थान भीलवाड़ा के अध्यक्ष विजय विजयवर्गीय ने बताया कि शोभायात्रा में पुरूष सफेद वस्त्रों में एवं महिलाएं लाल साड़ी या चुंदड़ी परिधान में शामिल होंगी।

  *जीवन में भक्ति का मार्ग बड़ा कठिन* 

सत्संग में मचलाना गौशाला के रामस्नेही संत ईश्वरदासजी ने कहा कि भक्ति का मार्ग बड़ा कठिन है, हर कोई इस पर नहीं चल सकता। मन चंचल होने ओर भाव स्थिर नहीं होने पर संकल्प सिद्ध नहीं हो सकता। काम करने के साथ राम नाम लेना भी हमारी जिम्मेदारी है। वाणीजी शब्द मंजूषा होने के साथ उसका एक-एक शब्द स्वर्णाक्षर है। मारवाड़ से आए संत परतीतरामजी, संत सेवारामजी ने भी धर्मसंदेश प्रदान किया। सत्संग में सिरोही से आए संत भजनाराम ने ‘सद्गुरू तेरी नौकरी सबसे महंगी, सबसे खरी’ भजन की प्रस्तुति दी। आयोजन में संत गुरूमुखरामजी, संत रामनारायणजी, संत ललिलरामजी, संत ईश्वररामजी, संत जयरामजी, संत रामाश्रयजी, संत समतारामजी, संत धर्मीरामजी, संत सेवारामजी, संत बोलतारामजी, संत हरसुखरामजी, संत मुमुक्षरामजी आदि का भी मंच पर सानिध्य रहा।सत्संग के अंत में अग्रवाल परिवार के साथ सत्संग में आए श्रद्धालुओं ने पूज्य आचार्यश्री रामदयालजी महाराज की आरती की।


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