श्री नवग्रह आश्रम पर आयुर्वेदिक औषधियों से कैंसर जैसे रोग का सस्ता उपचार

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Published on : 03 Feb, 23 13:02

वैद्य ने 30 बीघा जमीन में लगाया औषधी वन, देश-विदेश से लाकर उगाए 487 प्रकार के औषधीय पौधे

श्री नवग्रह आश्रम पर आयुर्वेदिक औषधियों से कैंसर जैसे रोग का सस्ता उपचार

 विश्व कैंसर दिवस पर विशेष 

 

भीलवाड़ा । आज विश्व कैंसर दिवस है। आमतौर पर जिन्हें कैंसर होता है, वे मौत की आशंका से डर जाते है जबकि कैंसर और मौत से लड़कर कैंसर और मौत को हराया जा सकता है। श्री नवग्रह आश्रम में आए सैकड़ों कैंसर पीड़ितों ने कैंसर से लड़कर जिंदगी जीती है और अब वे कैंसर सैनिक बनकर कैंसर पीड़ितों का हौंसला बढ़ा रहे है।

भीलवाड़ा जिले के रायला कस्बे के समीप स्थित मोतीबोर का खेड़ा में संचालित श्री नवग्रह आश्रम के संचालक व वैद्य हंसराज चौधरी का कहना है कि कैंसर उपचार का नहीं बल्कि मैनेजमेंट का विषय है। यानि अपनी दिनचर्या और अपने खान-पान में बदलाव करके और मामूली औषधियों का सेवन कर कम खर्च पर शरीर से कैंसर को खत्म किया जा सकता है।

यहां 29 रोगों का आयुर्वेदिक उपचार, गरीबों के लिए निःशुल्क है औषधियां

श्री नवग्रह आश्रम में कैंसर, किडनी, डायबिटीज, लकवा, पागलपन, हिस्टीरिया, चर्म रोग, मोटापा, साईटिका और पेट संबंधी बीमारियों व माइग्रेन सहित 29 रोगों का उपचार आयुर्वेदिक औषधियों द्वारा किया जाता है। शहीदों और गरीब परिवारों तथा 5 वर्ष तक के बाल कैंसर रोगियों को आयुर्वेदिक कैंसर किट व कैंसर कीमो निःशुल्क दिया जाता है, साथ ही मिर्गी, लकवा, पागलपन व हिस्टीरिया को ठीक करने की औषधियां भी निःशुल्क दी जाती है। यहां न रजिस्ट्रेशन शुल्क लिया जाता है और ना ही चिकित्सक परामर्श शुल्क लिया जाता है।

श्री नवग्रह आश्रम में हर शुक्रवार व शनिवार को कैंसर व किडनी क्लास आयोजित की जाती है, जिसमें वैद्य हंसराज चौधरी रोगियों को कैंसर से मुक्ति दिलाने के लिए खान-पान व रहन-सहन के तरीके बताते है और कैंसर से लड़ने में उनका हौसलां बढ़ाते हुए आयुर्वेदिक औषधियां देते है।

दुर्लभ पौधे जुटाने के लिए चौधरी हर साल करते है 10 दिन का प्रवास


वैद्य हंसराज चौधरी की मंशा है कि श्री नवग्रह आश्रम पर हर बीमारी से संबंधित आयुर्वेदिक औषधी उपलब्ध हो। इसके लिए इन्होंने आश्रम के आस-पास स्थित अपनी 30 बीघा पैतृक जमीन पर औषधी वन विकसित किया, इसमें 487 प्रकार के औषधीय पेड़, पौधे और बेल आदि लगे हुए है। हींग, यष्ठीमधु (मूलेठी), मोपेन, ब्राह्मी, दमा बेल, लहसून बेल, गुड़मार, सीता अशोक, सिंदूर व गंभारी जैसे दुर्लभ औषधीय पौधों सहित अर्जुन, पुत्र जीवक, सुदर्शन, विधारा, गूगल, चंदन, सदासुहागिन, ग्वारपाठा जॉइंट, मीठा ग्वारपाठा, 25 प्रकार के केकट्स, 2 प्रकार के खैर, 3 प्रकार के पलाश, 3 प्रकार के पीपल, 4 प्रकार के धतूरे (कनक), 30 प्रकार के गुलाब व लोंग तुलसी, कपूर तुलसी सहित 8 प्रकार की तुलसी के दुर्लभ पौधे उगे हुए है।

इन सभी पौधों का संकलन वैद्य हंसराज चौधरी ने देश के विभिन्न राज्यों व पड़ौसी देश श्रीलंका, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा ऑस्टेलिया सहित कई देशों से किया। उनका कहना है कि वो हर दुर्लभ औषधी को नवग्रह आश्रम के वन में उगाना चाहते है और इसके लिए हर साल कम से कम 10 दिन तक औषधीय पौध जुटाने के लिए देश-विदेश में प्रवास करते है। आज हंसराज चौधरी विभिन्न देशों की परम्परागत चिकित्सा पद्धतियों को जानने का प्रयास कर रहे है। हाल ही में इन्होंने भूटान, नेपाल व धर्मशाला के समीप तिब्बत की निर्वासित सरकार द्वारा मैकलोडगंज में संचालित आयुर्वेदिक चिकित्साय व कॉलेज का विजिट कर चिकित्सा पद्धतियों को समझा। उनका कहना है कि आयुर्वेद चिकित्सा बहुत पुरानी है और अलग-अलग देशों में इसके अलग-अलग रूप है।

2013 में चौधरी ने की नए जीवन की शुरूआत

मोतीबोर का खेड़ा के किसान परिवार के हंसराज चौधरी कृषि पर्यवेक्षक थे। बाद में इन्होंने नौकरी छोड़ दी और खेती के काम को संभाला। साथ-साथ में नेटवर्क लाइनें बिछाने के काम में ठेकेदारी भी की। 2013 में 4 दोस्तों के साथ केदारनाथ गए, वहां हुई त्रासदी में फंसे और मौत को करीब से देखा। मौत से खुद को बचाने की जद्दोजहद के दौरान ही दक्षिण के एक संत से मुलाकात हुई, उस संत ने कहा कि जिंदा रहो तो वापस जाकर अपने इलाके में दमा बेल उगाना। वहां से लौटते ही हंसराज चौधरी ने अपनी पैतृक जमीन पर दमा बेल लगानी शुरू की। दमा बेल को खोजते-खोजते ही अन्य आयुर्वेदिक औषधीय पौधों के बारे में जाना और औषधी वन लगाने का ठाना। अपनी जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए 100 गुणा 100 फिट का कुआं खुदवाया और देश-विदेश से दुर्लभ पौधे ला-लाकर खेत में लगाए। आयुर्वेद की किताबें पढ़ी, पौधों के औषधीय गुणों को जाना और आयुर्वेद में डिप्लोमा किया। जब औषधीय वन विकसित हुआ तो इन्होंने उनके पत्तों व छाल आदि से रोगों का उपचार करना आरंभ किया। आरम्भ में शुगर व ब्ल्ड प्रेशर के सर्वाधिक मरीज आने लगे, जिन्हें औषधी के रूप में पौधों के पत्ते व छाल दी। लोग ठीक होने लगे तो यहां संख्या बढ़ने लगी। बाद में यहां पाउडर के रूप में औषधियां दी जाने लगी।

10 सालों में आयुर्वेदिक उपचार से ठीक हो चुके है हजारों कैंसर पीड़ित

श्री नवग्रह आश्रम के संस्थापक हंसराज चौधरी बताते है कि यहां की आयुर्वेदिक औषधियों के सेवन से हजारों कैंसर पीड़ित ठीक हो चुके है। कैंसर की पहली व दूसरी स्टेज वाले लोगों में इस उपचार से ठीक होने की पूरी संभावना रहती है, तीसरी व चौथी स्टेज पर पहुंच चुके कैंसर को भी आयुर्वेदिक उपचार से समाप्त किया जा सकता है अगर रोगी परहेज व खान-पान तथा औषधी सेवन का कठोर पालन करें तो वो ठीक हो सकता है।

चौधरी ने बताया कि श्री नवग्रह आश्रम द्वारा दी गई औषधियों से ठीक हुए कैंसर रोगियों को कैंसर सैनिक कहा जाता है। ऐसे सैकड़ों कैंसर सैनिकों की जीत की कहानियां इनके यूट्यूब चैनल (श्री नवग्रह आश्रम) पर दिखाई देती है।

हर साल निःशुल्क बांटते है औषधीय पौधे

हंसराज चौधरी ने बताया कि औषधीय पौधों के संकलन के लिए उन्हें देश-विदेश में भटकना पड़ रहा है लेकिन वो चाहते है श्री नवग्रह आश्रम में उगे औषधीय पौधे इस इलाके से विलुप्त ना हो इसके लिए वो हर साल 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच तथा आश्रम द्वारा वर्ष में दो बार आयोजित रक्तदान शिविर में गुडमार, दमा बेल, विधारा, गूगल, गूलर, गुड़हल, अर्जुन, ग्वारपाठा, सदासुहागिन, तुलसी, पीपल, वटवृक्ष, खैर, पलाश सहित कई औषधीय पौधे निःशुल्क वितरित करते है। उन्होंने बताया कि आश्रम में आने वाला कोई भी व्यक्ति पौधा ले जा सकता है।


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