राजस्थान साहित्य अकादमी का 65वां स्थापना दिवस एवं अमृत सम्मान समारोह सम्पन्न

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Published on : 29 Jan, 23 08:01

मनुष्य विरोधी व्यवस्था का प्रतिरोध ही साहित्य का मूल सरोकार है :ओम थानवी 

राजस्थान साहित्य अकादमी का 65वां स्थापना दिवस एवं अमृत सम्मान समारोह सम्पन्न

उदयपुर  ‘वर्तमान समय में मनुष्य विरोधी व्यवस्था का स्वर अब भी विद्यमान है, हालांकि यह अलग बात है कि लोग अधिकांशतया खुल कर बोलने में झिझकते हैं लेकिन हमारे लिए चिन्ता की बात तब हो जाती है कि जब लेखक भी मौन धारण कर लें। यह संतोष की बात है कि हमारे लेखक लगातार गलत चीजों तथा मानवीय स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर अघोषित प्रतिबंध को लेकर मुखर रहे हैं।' ये विचार प्रसिद्ध पत्रकार एवं साहित्यकार ओम थानवी ने राजस्थान साहित्य अकादमी के 65वें स्थापना दिवस एवं अमृत सम्मान समारोह के अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। 


उन्होंने आगे कहा कि हमारे समय में साहित्य की जगह लगातार सिकुड़ती जा रही है। खास करके मुद्रित मीडिया के स्तर पर यह तथ्य स्वयं स्पष्ट है। अब साहित्यिक समारोह भी बाजार की चीज हो गए है और यह बात साहित्य के नैतिक मापदण्डों के प्रतिकूल है। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए हिन्दी एवं राजस्थानी के प्रसिद्ध रचनाकार डॉ. चंद्रप्रकाश देवल ने कहा कि विश्व की सभी सभ्यताओं में सबसे पहले कविता का प्रादुर्भाव भारत में ही हुआ। उनके अनुसार कविता हमेशा प्रतिपक्ष में ही खड़ी होती है और उसका प्रयोजन तथा तेवर सत्य की खोज पर ही केन्द्रित होता है। सत्ता-व्यवस्था के प्रति विरोध का सर्वप्रथम स्वर राजस्थान में कवयित्री मीरां बाई ने बुलंद किया जो कि राजस्थान के गर्व की बात है। 

 

अकादमी अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण ने अकादमी की वर्तमान तथा भावि गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अकादमी सभी साहित्यकारों की है तथा उनके प्रति ही समर्पित है। उन्होंने वैचारिक कट्टरता से दूर रह कर पारदर्शी तथा तथ्याधारित नीतियों पर चलने का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया तथा सभी साहित्यकारों से सक्रिय सहयोग की अपिल की। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि दिव्यप्रभा नागर ने भी अपने विचार प्रकट किए।

 

अमृत सम्मान समारोह में 75 वर्ष की आयु प्राप्त साहित्यकार ग्यारसी लाल सेन (झालावाड़), सरल विशारद (बिकानेर), शिव कुमार शर्मा मधुप (चूरू), भारती भावसार (बांसवाड़ा) तथा कल्या प्रसाद वर्मा (जयपुर) को शॉल, सम्मान पत्र, प्रतीक चिन्ह् तथा 31 हजार रुपये की राशि प्रदान कर सम्मानित किया गया। लक्ष्मीनारायण रंगा, सुलोचना रांगेय राघव तथा पुष्पा शरद देवड़ा को उनके निवास पर जा कर अकादमी द्वारा सम्मान किया जाएगा।

 

इस अवसर पर साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्षों के परिजनों तथा सेवानिवृत्त एवं वर्तमान सचिवों, अधिकारियों तथा पूर्व एवं वर्तमान कार्मिकों का उनकी उलेखनीय सेवाओं को रेखांकित करते हुए सम्मान किया गया। कार्यक्रम में संचालिका एवं सरस्वती सभा के सदस्य सुनिता घोगरा (उपाध्यक्ष), किशन दाधीच, उम्मेद गोठवाल, मंजू चतुर्वेदी, हेमेन्द्र चण्डालिया सहित उदयपुर के प्रसिद्ध साहित्यकार सर्वश्री कुन्दन माली ज्योति पुंज, के.के.शर्मा, अशोक मंथन खुर्शीद शेख इकबाल हुसैन, जगदीश तिवारी, गोविन्दराम गौड़ तथा अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

 

 आयोजन में प्रांत के प्रतिनिधि कवियों की चयनीत कविताओं एवं चित्राकंनों कि प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इन काव्यचित्रों की रचना चेतन औदित्य, दीपल सालवी, दिलीप डामोर, नीलोफर मुनीर के द्वारा किया गया। कार्य के अंत में डॉ. बंसत सिंह सोलंकी ने अतिथियों को धन्यवाद देते हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

 


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