राजस्थान के बहुरूपिया कलाकारों की सरकार से गुहार उन्हें दीजाए हर माह पेन्शन

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Published on : 22 Jan, 23 13:01

गोपेंद्र नाथ भट्ट

राजस्थान के बहुरूपिया कलाकारों की सरकार से गुहार उन्हें दीजाए हर माह पेन्शन

नई दिल्ली।देश-दुनिया में अपनी बेजोड़ पारम्परिक कला के फन की जादूगरी से शोहरत कमाने वाले राजस्थानके कालबेलिया कलाकारों के सामने कोरोना महामारी के बाद से ही रोजी रोटी का गहरा संकट पैदा हो गया है। इसके कारण राजस्थान के कालबेलिया कलाकारों ने केन्द्र और राज्य सरकार से गुहार की है कि उन जैसेबेरोज़गार सभी कलाकारों को अगलें बजट में हर माह पेन्शन देने की घोषणा की जायें।

 

राजस्थान के दौसा जिले के बाँदीकुई कस्बे के विख्यात कलाकार शमशाद खान बहुरूपिया ने कलाकारों कीदर्द भरी कहानी सुनाते हुए बताया कि कोरोना के कारण उनके अब्बा शिवराज उर्फ सबराती बहुरूपिया अब इसदुनिया में नही रहें। शमशाद उन दिनों दिल्ली आयें थे और समाज सेविका नवीना जफा और शैलजा कथुरियाके सहयोग से डायलिसिस पर चल रहें अपने पिता के महँगें इलाज के लिए आर्थिक मदद के लिए सरकार औरअन्य कई लोगों से गुहार लगाई थी। उन्होंने बताया कि मेरे पिताजी इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनकी दी हुईकला आज भी हमारे परिवार में ज़िन्दा है लेकिन आज घर की आर्थिक परिस्थितियां बहुत खराब है। पिछलें दोतीन वर्षों से उनके परिवारों का गुज़ारा चलाना भी मुश्किल हो गया हैं। कोरोना के कारण पहले चलने वालेसभी छोटे बड़े कार्यक्रम बंद हो गए थे और नए काम भी नही मिलने से वे सभी कलाकार बेरोज़गार हो गए हैं।

हालाँकि कोरोना काल में कुछ संस्थाओं के लोगों ने मदद के लिए आगे बढ़ कर हाथ उठायें थे लेकिन भानाशाहोंकी इस तात्कालिक मदद से लम्बे समय तक गुज़ारा संभव नही रहा, इसलिए केन्द्र और राज्य सरकार कोसंवेदनशीलता दिखाते हुए बहुरूपिया और अन्य जरूरतमंद कलाकारों के परिवारों के सहयोग के लिए आगेआना चाहिए।

 

शमशाद ने बताया कि उनके पिताजी ने देश-विदेश में भारत की सांस्कृतिक छवि के गौरव को बढ़ाया था।उन्होंने स्वयं और परिवार के अन्य सदस्यों ने भी इस अमूल्य धरोहर को आगे बढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीरखी है फलस्वरूप उन्हें वर्ष 2003 एवं 2007 में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर द्वारा कला-सम्मानऔर महात्मा फुले नेशनल टेलेंटेंट अवार्ड तथा राजस्थान सरकार द्वारा पर्यटन अवार्ड एवं शख़्सियत ए दौसा तथाजिला प्रशासन द्वारा कई अवार्डस से नवाज़ा जा चुका हैं। पिता और उनके ऐसे कई अवार्ड कई बोरों में भरे पड़ेहैं।

इससे उनके परिवार को शोहरत अवश्य मिलीं है लेकिन आज परिवार का पेट खाली है।

शमशाद राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में आयोजित कोमनवेल्थ गेम्स-2010 तथा भारत की स्वतंत्रता आन्दोलनकी 150 वीं जयन्ती पर आयोजित कार्यक्रमों और गणतंत्र दिवस परेड आदि कई गौरवमयी आयोजनों में अपनाजलवा बिखेर चुके है। इसके अलावा वे दीपावली उत्सव अयोध्या, कुम्भ मेला, इलाहाबाद,मेक इनइंडिया,विशाखापट्टनम, प्रवासी भारतीय दिवस जयपुर,राजस्थान दिवस समारोह ,शिल्प ग्राम उत्सव सहितअन्य कई कार्यक्रमों में अपनी शोहरत का झण्डा गाढ़ चुके है।

 

शमशाद खान के संयुक्त परिवार के सदस्यों में शुमार बड़े भाई फ़िरोज़, फ़रीद,नौशाद,सलीम,अकरम खानआदि भी अपने परिवार की पारम्परिक इस कालबेलिया कला को देश की सरहदों के पार पहुँचाने फ़्रांस, जर्मनी, हांगकांग और दुबई आदि देशों की यात्राएँ भी कर चुके हैं लेकिन आज पूरा परिवार मुफ़लिसी के कठिन दौर सेगुजर रहा हैं।

 

शमशाद ने बताया कि इन दिनों उन्होंने अपने ग्रूप के लिए गणतंत्र दिवस परेड, जी-20 समूह और आजादी केअमृत महोत्सव आदि कार्यक्रमों के लिए अपनी अनूठी कला का प्रदर्शन करने और रोज़गार के अवसर तलाशनेके बहुतेरे प्रयास किए है लेकिन उन्हें अभी तक कही से कोई सफलता नही मिल पाई है। अलबत्ता उन पर शीघ्रही एक डॉक्युमेंटेरी फिल्म अवश्य आ रही है।


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