राष्ट्रीय युवा दिवस पर हार्टफुलनेस केंद्र कान्हा में एचईटी-आईसीएआर के तीन दिवसीय एग्रो यूथ समिट का आयोजन

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Published on : 17 Jan, 23 11:01

राष्ट्रीय युवा दिवस पर हार्टफुलनेस केंद्र कान्हा में एचईटी-आईसीएआर के तीन दिवसीय एग्रो यूथ समिट का आयोजन

हैदराबाद: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), भारत सरकार के सहयोग से हार्टफुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट(HET) ने हैदराबाद, कान्हा शांति वनम में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय एग्रो यूथ समिट में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौध्योगिकी विश्वविद्यालय के 33 विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन डॉ.आर.सी. अग्रवाल, उप महानिदेशक, आईसीएआर और श्री कमलेश पटेल 'दाजी', हार्टफुलनेस ध्यान के वैश्विक मार्गदर्शक ने किया। राष्ट्रीय युवा दिवस और स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर आयोजित इस कृषि सम्मलेन का उद्देश्य युवाओं को कृषि के नवीनतम और तकनीकी ज्ञान के हस्तांतरण के साथ साथ ह्रदय में देश की कृषि उन्नति को ध्यान में रखते हुए किया गया था।

 

उद्घाटन के अवसर पर श्री आर सी अग्रवाल, उप महानिदेशक, आईसीएआर ने कहा, “यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है कि आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में यह एग्रो यूथ फेस्ट स्वामी विवेकानंद के जन्म के शुभ अवसर पर हमारे देश के सबसे खूबसूरत स्थानों में से एक कान्हा शंतिवनम में आयोजित किया गया। अगस्त 2022 में, हार्टफुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट और आईसीएआर  ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए और तब से 50 विश्वविद्यालयों के 10,000 छात्र इससे लाभान्वित हुए हैं और कई विश्वविद्यालयों ने इसे अपने मॉड्यूल में भी शामिल किया है। इस प्रशिक्षण से छात्रों की मानसिकता में एक बड़ा बदलाव देखा जा सकता है। छात्र इस ध्यान से बहुत खुश हैं और कान्हा परिसर में बार बार आना चाहते हैं। कृषि हमारे देश की रीढ़ की हड्डी है। छात्रों को अपनी आंतरिक शक्ति और आत्म-साक्षात्कार पर ध्यान केंद्रित करना होगा जो ध्यान से आता है। शुक्र है, हमारे पास हार्टफुलनेस शिक्षा से प्रशिक्षित छात्र हैं और दिखा रहे हैं कि आत्मनिर्भरता के माध्यम से देश को महान बनाने के लिए नई तकनीक को कैसे अपनाया जाए।

हार्टफुलनेस ध्यान के वैश्विक मार्गदर्शक श्री कमलेश पटेल ने कहा, "कृषि आध्यात्मिकता के साथ-साथ चलती है, केवल एक किसान ही प्रकृति के प्रति पूर्ण समर्पण कर सकता है। उन्हें सही जलवायु परिस्थितियों और प्रकृति के लिए प्रार्थनापूर्वक प्रतीक्षा करनी होती है l  कृषक के ह्रदय में कृषि के प्रति पूजा का भाव होना चाहिए। जिस स्थान पर आप खेती करना चाहते हैं, वहां जाने से हर कोने के बारे में पता चलता है। अपने खेत में ध्यान करो और देखो की सकारात्मक दृष्टिकोण और उत्साह से कार्य करने के कितने अच्छे परिणाम मिलते हैं l उन्होंने विद्यार्थियों को  अपने काम और अध्ययन का सम्मान करने और पूजा की तरह उस पर ध्यान केन्द्रित करने का अव्हाहन किया। उन्होंने बताया की स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि मेरे देश के लोगों को भोजन की जरूरत है, भगवान की नहीं। भौतिक जीवन को समृद्ध करें परन्तु संतुलित जीवन के लिए अध्यात्म में भी डूबे रहें जो हमें परम शक्ति, प्रकृति का सम्मान करना और विभिन्न धर्म-संस्कृतियों के मानने वाले व्यक्तियों के बीच आपसी प्रेम और भाईचारा सिखाता है।

एमपीयुएटी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार कर्नाटक ने हार्टफुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को देश के युवा कृषि विद्यार्थियों को एक मंच पर और एक ही परिसर में कृषि के नवाचारों से रूबरू करवाने को एक अभिनव प्रयास बताया l उन्होंने कहा की एमपीयूएटी के विद्यार्थी इसका लाभ अवश्य उठाएंगे l नोडल अधिकारी डॉ सुबोध शर्मा ने बताया की मात्स्यकी, कृषि और सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय के 33 छात्र-छात्राओं ने कान्हा शांतिवनम में आयोजित इस राष्ट्रीय युवा शिखर सम्मेलन में अनेक गतिविधियों में भाग लिया l उन्होंने इस भागीदारी के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार कर्नाटक द्वारा प्रदत्त मार्गदर्शन और आईसीएआर की आईडीबी (एनएएचईपी) परियोजना से प्रायोजित करने पर परियोजना निदेशक डॉ.पी.के.सिंह एवं उनकी टीम का आभार व्यक्त किया l  कान्हा शांतिवनम में विभिन्न कृषि अभिनव परियोजनाओं की जानकारी डॉ. साईराम रेड्डी, डॉ. रमाकांत और श्री सरवनन और युवा स्वयंसेवकों ने दी। विद्यार्थियों के अनुभव अतुलनीय रहे, उन्होंने ध्यान गतिविधियों के अपने अनुभव साझा किये, आइस ब्रेकिंग गेम्स, सांस्कृतिक गतिविधियों, सामूहिक खेलों, नेटवर्किंग गतिविधियों का भी लाभ उठाया। क्रेडिट-आधारित असाइनमेंट में श्री कमलेश डी पटेल 'दाजी' द्वारा लिखित राष्ट्रीय बेस्टसेलिंग पुस्तक विस्डम ब्रिज पर सभी छात्रों के लिए केस स्टडी विश्लेषण और समूह गतिविधि भी शामिल थीं। ओपन इंटरेक्शन फोरम का नेतृत्व हार्टफुल कैंपस के निदेशक श्री रमेश कृष्णन और समिट की संयोजक डॉ. निवेदिता श्रेयांस ने किया l भारत के 16 कृषि विश्वविद्यालयों और 3 निजी विश्वविद्यालयों के 1300 छात्र छात्राओं ने इस राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में भाग लिया।


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