दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन के लिए आयुर्वेद आवश्यक- रघुवीर मीणा

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Published on : 25 Dec, 22 10:12

दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का समापन 268 शोध पत्र का हुआ वाचन

दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन के लिए आयुर्वेद आवश्यक- रघुवीर मीणा

दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य अतिथि श्री रघुवीर मीणा पूर्व सांसद सटीयरिगं कमेटी एवं सीडब्ल्यूसी सदस्य ने बताया की आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति सर्व सुलभ, स्वस्थ एवं रोगी दोनों व्यक्तियों के लिए उपयोगी है जो राजस्थान सरकार की निरोगी राजस्थान की संकल्पना को पूर्ण करती है। उन्होंने बताया कि दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन के लिए आयुर्वेद अति आवश्यक है और इसमें यह आहार विज्ञानीयम् सेमिनार बहुत उपयोगी सिद्ध होगा। प्राचीन समय में जो युद्ध हुआ करते थे उनमें घायल सेना को अगले ही दिन आयुर्वेद की चिकित्सा द्वारा स्वास्थ्य लाभ होता था एवं वे अगले दिन पुनः युद्ध में रत हो जाते थे, इसलिए वर्तमान में ह्रदयाद्यात आदि भयंकर व्याधियों की चिकित्सा के लिए हमें आयुर्वेद की ओर देखना होगा।

कार्यक्रम में अध्यक्षता कर रहे प्रो रघुराम भट्ट अध्यक्ष आंकलन व रेटिंग बोर्ड, भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग, नई दिल्ली ने बताया कि आज वर्तमान में समस्त राष्ट्र हमारी ओर देख रहे हैं और हमारे पास ज्ञान की जो अकूत संपदा है। उससे मंथन के द्वारा हमें ज्ञान व शोध के निष्कर्ष के आधार पर समस्त संसार में जागृत करने हैं। इसके लिए हमें भाषा एवं वाक्सौष्ठव पर जोर देते हुए अध्ययन अध्यापन की परंपरा को अधिक विकसित करना होगा, शोध कार्य बढ़ाने होंगे।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में अतिरिक्त जिला कलेक्टर ओपी बुनकर ने बताया कि आहार की उपयोगिता हम सामान्य जनपद में देख रहे हैं एवं इसके लाभ सामान्य जनमानस में सामान्यतः दिखाई देते हैं। जो कि कोरोना की इस विभीषिका में हमें बहुत ही लाभदायक दिखाई दिए। उन्होंने बताया कि आहार आज एक ज्वलनशील मुद्दा है और पाश्चात्य खानपान से होने वाली बीमारियों की रोकथाम एवं मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों में आहार एक मुख्य विषय है।

कार्यक्रम में अतिथि पेसिफिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर कृष्णकांत दवे के अनुसार आयुर्वेद में प्रत्येक विषय पर अनुसंधान की व्यापक आवश्यकता है। विश्वविद्यालयों द्वारा शोध कार्यों के द्वारा ही संपूर्ण विश्व में भारत अपने उत्कृष्टता साबित कर सिरमौर बन सकता है। हाइपरटेंशन एवं डायबिटीज के रूप में भारत विश्व की राजधानी बनता जा रहा है। आहार के समुचित प्रयोग द्वारा विभिन्न संक्रामक एवं असंक्रामक बीमारियों से बचा जा सकता है। कार्यक्रम में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर से पूर्व प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष ओम प्रकाश दाधीच के अनुसार खानपान में होने वाली गड़बड़ियों एवं प्राचीन आचार्यों द्वारा निर्धारित मानदंडों की पालना नहीं करने से होने वाले रोग बहुत अधिक हो गए हैं इसमें कारण मुख्य रूप से जो दिखाई देते हैं वह विरुद्ध आहार जन्य ही हैं ।

प्रस्तुत शोध पत्रों के परिणाम

कार्यक्रम में विभिन्न वक्ताओं के अनुसार भी दो या दो से अधिक आहार द्रव्य एक साथ खाना विरुद्ध आहार जैसे दूध और मूली, दूध और खट्टे फल, नमक और दूध, मछली एवं बैंगन के साथ दूध, घी और शहद बराबर मात्रा में एवं अति मात्रा और अग्नि का कमजोर होना इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं रात्रि में दही का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ज्वर आदि बीमारी की पूर्व अवस्था में दूध का प्रयोग आरंभ में न करना यह सभी उपद्रव को बढ़ाने वाले है ।

सेमिनार में 18 पृथक पृथक सेशंस में 268 शोध पत्रों का वाचन हुआ इसमें भारत के विभिन्न प्रांतों से आए हुए चिकित्सकों एवं शोधार्थियों ने अपने विचार और अपने केस स्टडीज के परिणाम प्रस्तुत किए अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान नई दिल्ली के डीन प्रोफेसर महेश व्यास के अनुसार शिक्षा में गुणवत्ता लाना एवं शोध के विषय में निरंतर नई प्रगति करना यह आज की प्रथम आवश्यकता है ।

 

अग्रिम सेमिनार मन और मस्तिष्क

कार्यक्रम के समापन पर महाविद्यालय प्राचार्य प्रोफेसर महेश दीक्षित ने बताया कि अग्रिम सेमिनार मन और मस्तिष्क पर आधारित होगी। रोगी उन्होंने बताया कि घर-घर औषधि वितरण में महाविद्यालय द्वारा 25000 औषधीय पादपओं का वितरण किया गया। प्रोफेसर महेश दीक्षित के अनुसार दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन के लिए आहार विशेष लाभदायक है आज आहार पर संपूर्ण रूप से चिंतन करके जनमानस को समझाना अनिवार्य है ।

कार्यक्रम में मंच का संचालन सह आचार्य डॉ किशोरी लाल शर्मा ने किया।

 


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