दो देशों के पांच कलाकारों के सात सुरों से सजा छठा संगीत महाकुंभ

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Published on : 16 Dec, 22 14:12

पेपॉन, परवाज़ बैण्ड और ऐबेकारों के पॉप, बॉलीवुड और लोकसंगीत ने मचाई धूम

दो देशों के पांच कलाकारों के सात सुरों से सजा छठा संगीत महाकुंभ

उदयपुर। कलाकारों के साथ जब संगीत प्रेमियों का दिल और ताल मिली तो हर कोई मन मस्त होकर गाने और सुरों पर झूमने लगा। पता ही नही चला की कब मोह मोह के धागो से रूह तक संगीत से लबरेज हो गयी कब अलमस्त हुए, कब खुद से ही मन गुनगुनाने, थिरकने और विश्व संगीत को आत्मसात करने लगा। मौका था उदयपुर में शुरू हुए शुक्रवार को वेदांता उदयपुर वल्र्ड म्यूजिक फेस्टिवल के रंगारंग आगाज का जिसमें संगीत की दुनिया के जाने माने कलाकारों ने अपनी बेहतरीन और यादगार पेशकश से सभी का मन मोह लिया।

 




प्रारंभ में राजस्थान सरकार के प्रतिनिधि अरविंद मायाराम, पुर्तगाल के एम्बेस्डर कार्लोस मार्कस, उदयपुर जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा, वेदांता हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य वित्तीय अधिकारी संदीप मोदी और सहर के संस्थापक निदेशक संजीव भार्गव ने श्रोताओं को संबोधित कर कार्यक्रम का आगाज किया। सहर के संस्थापक निदेशक संजीव भार्गव ने सभी अतिथियों एवं दर्शकों का अभिवादन करते हुए फेस्टिवल को सफल बनाने के लिए सभी के सहयोग हेतु आभार व्यक्त किया।
भारत के प्रसिद्ध पाशर््व गायक और संगीतकार पेपॉन ने जब अपने फ्यूजन बैंड के साथ ये मोह मोह के धागे तेरी उंगलियों से जा उलझे से जब अपना सुर छेड़ा तो युवा दिल थिरकने को मजबूर हो गये। क्यों ना हम तुम चलें टेढे मेडे से रास्तों पे, को स्टेज से, बातों-बातों में गीतों की पेशकश और दर्शक दीर्घा से सुर में सुर मिलाते युवाओं का जोश देखते ही बन पड़ा। मै भी नाचु मनाउ सोणियार को चलुं मैं तेरी राह बुलियां को हर दर्शक उनके साथ गुनगुनाने लग गया।
पेपॉन के हिंदी गीतों के साथ ही असमिया, बंगाली, तमिल और मराठी में भी गीतों के हर सुर ने सांसों को प्यार की खुशबू से महका दिया। पेपॉन भारतीय गैर-फिल्मी संगीत के अग्रदूतों में से एक हैं।
इसके बाद महोत्सव के अंतर्निहित विषय ‘राजस्थान के भूले हुए संगीत वाद्ययंत्रों और परंपराओं का संरक्षण और प्रचार’, जो कि सारंगी की प्रस्तुती पर केंद्रित है इसके तहत् सारंगी की स्वरलहरियों से शुरू हुआ। यार मोहम्मद लंगा और साथियों ने सारंगी पर संगत कर जब जानी मानी राजस्थानी धुनें छेडी तो विदेशी और देशी पर्यटक आनंदविभोर हो गये, सारा माहौल सारंगीमय हो गया। युवा पीढ़ी के सारंगी की ओर आकर्षण से इसके सरंक्षण का संदेश सफल होता नजर आया।
चंडीगढ़ की गायिका और संगीतकार तथा लोक, सूफी, पॉप के गायक जसलीन औलख ने संगीत को एक माँ और बेटी के बीच सहयोग के रूप में परिभाषित किया गया है, जो उपदेश दिए बिना सार्थक संगीत बनाने के लक्ष्य के साथ एक दूसरे को प्रेरित करते हैं। मुख्य रूप से जसलीन ने लोक संगीत और सूफी से प्रेरित और हिमाचल, पंजाब और राजस्थान के लोक संगीत से सजी अपनी धुनों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इसके बाद बारी आयी अपने ऊर्जावान लाइव गिग्स और एक अनूठी ध्वनि के लिए जाने जाने वाले भारतीय संगीत बैंड परवाज़ की जिसने लोक और विश्व संगीत के तत्वों के साथ साइकेडेलिक रॉक को प्रस्तुत किया।
परवाज ने ध्वनि को इस तरह से प्रस्तुत किया जो श्रोताओं को लोक, ब्लूज और साइकेडेलिया में ले जाने वाले स्थानों में ले जाने वाली संगीत शैलियों से रूबरू कराती है। परवाज बैंड पर खालिद अहमद ने गायन और भरत कश्यप ने गिटार, सचिन बानंदुर ने ड्रम और तालवाद्य और फिदेल डिसूजा ने बास गिटार पर साथ दिया। यहां गिटार के सुरों पर संगीत प्रेमियों के कदम थिरक उठे।
लैटिन बैंड अबकोराव के 9 सदस्यों ने अपनी अनूठी ध्वनि जिसमें कैरेबियन वाइब्स और साल्सा, मेरेंग्यू, बच्चा, कैरिब सन, रेगेटन, क्यूम्बिया, जैसे उष्णकटिबंधीय शैलियों के साथ पॉप और रॉक का फ्यूजन शामिल है की प्रस्तुती दी।
शनिवार को ये रहेंगे आकर्षक का केन्द्र :
सहर के संस्थापक निदेशक संजीव भार्गव ने बताया कि शनिवार को जाने-माने वायलिन वादक नंदिनी शंकर, ब्रुनो लोई और जोनाथन डेला मारियाना जैसे कलाकार मेजबानी करेंगे, जो उदयपुर की सर्द सुबह में मधुर स्वरलहररियों के साथ मांजी के घाट पर इटली के लौनेददास वाद्य यंत्र का प्रस्तुत करेंगे। फतेह सागर पाल पर दोपहर भारत की कामाक्षी खन्ना और पुर्तगाल की प्रसिद्ध फादो गायिका कटिया गुएरेरो की संगीतमय धुनें फतेह सागर झील की धुनों पर साथ देगी। शाम को मंच सारंगी की धुन के बाद जिम्बाब्वे से ब्लेसिंग ब्लेड चिमंगा एंड ड्रीम्स और पुर्तगाल से सेन्जा अपने संगीत से संगीत प्रेमियों को लुभाएगें। दूसरे दिन के कार्यक्रम में बेहद लोकप्रिय द रघु दीक्षित आकर्षण का केंद्र होगें, जिन्होंने गली बॉय, शेफ, कोड्स और स्पेन के एक हाई एनर्जी बैंड, हबला दे मी एन प्रेजेंटे जैसी फिल्मों में अपनी आवाज दी है।


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