GMCH :में नेपकोन-2022 कॉन्फ्रेंस में पहले दिन पढ़े गये 350 शोध पत्र, देश विदेश के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने दी नवीनतम जानकारी

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Published on : 11 Nov, 22 12:11

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में नेपकोन-2022 कॉन्फ्रेंस में पहले दिन पढ़े गये 350 शोध पत्र, देश विदेश के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने दी नवीनतम जानकारी

GMCH :में नेपकोन-2022 कॉन्फ्रेंस में पहले दिन पढ़े गये 350 शोध पत्र, देश विदेश के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने दी नवीनतम जानकारी

उदयपुर में चेस्ट विशेषज्ञों के 24वें राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस नेपकोन-2022 में आयोजित विभिन्न कार्यशालाओं के सम्पन्न होने के बाद  उद्घाटन समारोह का आयोजन हुआ।  मुख्य कॉन्फ्रेंस का आयोजन 11 नवंबर से गीतांजलि मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में आरंभ किया गया। इस बार नेपकोन- 2022 की थीम "इनकरेज प्रिसिशन मेडिसिन" है जिसका अर्थ है सही जांच करके सही दवा प्रदान करना। इस प्रकार का सम्मेलन प्रति वर्ष नेशनल कॉलेज ऑफ़ चेस्ट फिजिशियन (एनसीसीपी) और इंडियन चेस्ट सोसाइटी (आईसीएस) के तत्वावधान में होता है। कॉन्फ्रेंस में गीतांजली मेडिकल कालेज एंड हॉस्पिटल के 11 कॉन्फ्रेंस हॉल में पूरे दिन देश विदेश से आये जाने माने ख्यातिप्राप्त चेस्ट विशेषज्ञ डॉक्टरों और प्रोफेसरों ने भाग लेकर व्याख्यान देते हुए कॉन्फ्रेंस में भाग ले रहे अन्य डॉक्टरों के सवालों का जवाब भी दिया।


 कॉन्फ्रेंस में देश विदेश से लगभग 2500 डॉक्टर सम्मिलित हो रहे है। कॉन्फ्रेंस में पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों के ज्ञान वर्धन के साथ शोध को बढ़ावा देने के लिए पहले दिन गीतांजलि हॉस्पिटल में 350 शोध पत्र पढ़े गए।हर एक सेशन के उत्कृष्ट शोध पत्र के विजेता को 5100 रुपये के चेक के साथ सर्टिफिकेट और अवार्ड से सम्मानित भी किया गया।

प्रति वर्ष नेपकोन में होने वाले यंग साइंटिस्ट अवार्ड के लिए नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन्स और इंडियन चेस्ट सोसाइटी के तत्वावधान में शोध पत्र पढ़े जाने के साथ ही हर एक सेशन के उत्कृष्ट शोध पत्र के विजेता को  सर्टिफिकेट और अवार्ड से सम्मानित भी किया गया।


नेपकोन कॉन्फ्रेंस में फेफड़ो में सिकुड़न और फाइब्रोसिस बीमारी को लेकर लेटेस्ट गाइडलाइन्स के बारें में डॉ.एस.एन.गुप्ता ने विस्तार से जानकारी दी। साथ ही डॉ अनिकेत भढ़के ने हाइपर सेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस बीमारी की जाँच और निदान के बारें में प्रकाश डाला। सारकॉइडोसिस बीमारी की जाँच और निदान के सम्बंध में अमेरिकन थोरोसिस सोसाइटी की 2020 की नवीनतम गाइडलाइंस के बारे में डॉ. नवीन दत्त द्वारा जानकारी दी गयी। इसके साथ ही बिना आपरेशन किये दूरबीन द्वारा फेफड़ों की बायोप्सी (ट्रांस ब्रोंकिल क्रायो बायोप्सी) के बारे में दिल्ली के नामी चेस्ट फिजिशियन डॉ आदित्य चावला द्वारा भारत मे लागू नवीनतम गाइडलाइन्स और लेटेस्ट रिपोर्ट की जानकारी दी गयी।

इंहेलेशन और नेबुलाइजेशन थेरेपी पर भारत की 2022 की नवीनतम गाइडलाइन्स के संबंध में डॉ. एस.के.कटियार द्वारा जानकारी दी गयी। वहीं एंटीबायोटिक के सही उपयोग के बारे में दिल्ली से आये प्रसिद्ध डॉ. जी. सी. खिलनानी ने अपने विचार व्यक्त किये।रेस्पिरेटरी फेलियर के सम्बन्ध में नॉन इनवेसिव वेंटिलेशन के बारे में पी.जी.आई (चंडीगढ़) के डॉ ध्रुव चौधरी द्वारा जानकारी दी गयी। श्वाश संबधित सबसे कॉमन बीमारी रेस्पिरेटरी एलर्जी की जाँच की गाइडलाइन्स के बारे में वी. पी. चेस्ट इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. राजकुमार ने कॉन्फ्रेंस में प्रकाश डाला। नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन के सचिव डॉ. एस. एन. गौर ने एलर्जेन इम्युनो थेरेपी के बारें में जानकारी दी।

कॉन्फ्रेंस में चेस्ट फिजिशियन के अलावा मुंबई के प्रसिद्ध रेडियोलॉजिस्ट डॉ. भाविन झंखारिया ने फेफड़ों की विभिन्न बीमारियों की जांच के संदर्भ में एक्सरे और सी. टी. स्कैन की महत्ता पर विस्तृत जानकारी प्रदान की।


350 शोध पत्र पहले ही दिन पढ़े गए

कॉन्फ्रेंस में विगत दिन आयोजित कार्यशाला में 1000 से ज्यादा लोगों ने भाग लिया जो अब तक के इस तरह के सम्मेलन में सर्वाधिक बड़ी संख्या है। इस कॉन्फ्रेंस देश विदेश से आये विभिन्न पी. जी. डॉक्टर्स द्वारा 950 से ज्यादा शोध पढ़े जाएँगे ,जो अपने आप मे एक बड़ा कीर्तिमान है,इनमें 350 से ज्यादा शोध पत्र आज पढ़े गए और शेष आने वाले दिनों में पढ़े जाएँगे।

विदेशों के विशेषज्ञ डॉक्टर और प्रोफेसर ले रहे है नेपकोन में भागीदारी

आम तौर पर इस तरह की इतनी बड़ी कॉन्फ्रेंस बड़े शहरों में आयोजित की जाती है,जिसमें 2500 से अधिक देश -विदेश से आये डॉक्टर्स और 400 से ज्यादा फैकल्टी मेंबर ने विभिन्न फेफड़े और श्वाश सम्बंधित बीमारियां (एलर्जी, टीबी,आई. एल.डी., स्लीप डिसआर्डर ),एडवांस तकनीक, प्रोसिजर्स, गाइडलाइंस संबंधित व्याख्यान दे रहे है। ऐसे में उदयपुर शहर को इस तरह की कॉन्फ्रेंस का आयोजन मिलना गर्व की बात है। इस कॉन्फ्रेंस में 60 से ज्यादा विदेशों से जुड़ी मेडिकल फैकल्टीज भाग ले रही है जिसमें 25 फैकल्टी व्यक्तिगत रूप से यहाँ भाग ले रहे और शेष ऑनलाइन माध्यम से जानकारी दे रहे है।ऑपेरशन किये बिना दूरबीन पद्धति द्वारा छोटे नोड्यूल की बॉयोप्सी की जानकारी भी कॉन्फ्रेंस में साझा की गयी l इस कॉन्फ्रेंस से युवा डॉक्टरों को लेटेस्ट तकनीक की जानकारी मिल रही है,जिससे धीरे धीरे फेफड़ो से संबंधित एडवांस इलाज की जानकारी छोटे शहरों में भी मिलने लगेगी।

अमेरिका से आये विश्व प्रसिद्ध डॉ अतुल सी  मेहता ने लंग ट्रांसप्लांट (फेफड़ो का प्रत्यारोपण) के सम्बंध में नवीनतम जानकारी दी है। साथ ही फेफड़ा प्रत्यारोपण के लिए डोनर मैनेजमेंट और सर्जिकल टेक्नीक के एडवांसमेंट के बारे में यू. ए. ई. से आये डॉ उस्मान अहमद ने बताया तो वही फेफड़ा प्रत्यारोपण के भविष्य के बारे में अमेरिका से आये डॉ समीप सहगल ने अपना विजन साझा किया।


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