वस्त्र नगरी भीलवाड़ा में संयम पर्याय की सिल्वर जुबली

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Published on : 17 Oct, 22 13:10

वस्त्र नगरी भीलवाड़ा में संयम पर्याय की सिल्वर जुबली

  तेरापंथ सभा भवन नागोरी गार्डन में स्थित आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या डॉक्टर साध्वी परमयशा जी के सानिध्य में साध्वी मुक्ताप्रभा जी की दीक्षा की सिल्वर जुबली के कार्यक्रम का समायोजन हुआ।

डॉक्टर साध्वी परमयशा जी ने कहा कि तेरापंथ शासन एक नंदनवन है। यह जयंवता शासन है ,भीक्षु शासन बचपन का झूला, यौवन की अंतरयात्रा एवं बुढ़ापे की सुरक्षा छतरी है। इस गण में दीक्षित चरित्रात्मा आचार्य के चरणों में निश्चित रहते हैं। श्री डूंगरगढ़ की धोरों की धरती पर साध्वी मुक्ताप्रभा जी का जन्म सिंघवी परिवार में हुआ। पिता नेमीचंद जी, मां चंदूदेवी श्वनाम धन्य बेटी को पाकर गौरवान्वित हो गए। भाई अशोक ,बहन सुमन अपनी छोटी बहन को शासन में देखकर हर्ष विभोर रहते हैं। साध्वी मुक्ताप्रभाजी 5वर्ष तक पारमार्थिक शिक्षण संस्था में रही। सात वर्ष श्रमण श्रेणी में रही। आचार्य श्री तुलसी की शासना में संस्था में भर्ती हुई। आचार्य महाप्रज्ञ के कर कमलों से श्रमण दीक्षा मुनि दीक्षा हुई।

  साध्वी मुक्ति प्रभा जी ने अपनी संयम यात्रा के 25 वर्ष पूर्ण किए, इस यात्रा में आपने अपना अनुभव, संस्मरण व घटनाएं तथा पारिवारिक जनों का सहयोग बहुत रोचक ढंग से प्रस्तुत किए।

शासन श्री साध्वी श्री पान कुमारी जी प्रथम,"श्री डूंगरगढ़ "एवं शासन श्री साध्वी राजकुमारी जी गोगुंदा की सानिध्य में सेवा संस्कार का स्वर्णिम अध्याय रचा। साध्वी मुक्ताप्रभा जी की देव गुरु धर्म की आस्था के प्रति निष्ठा, पंचामृत निष्ठा, स्वाध्याय प्रियता, सजगता,जागरूकता, कला, सेवा भावना जीवन की प्रगति के पायदान है।

" कंठस्थ करो सफल बनो" विनम्रता का निर्जर सफलता का शिखर,स्वाध्याय रचता है, नया अध्याय,सहिष्णुता हो तो ऐसी, जागरूकता लाजवाब,खिलता गुलशन गुलाब आदि प्राण तत्वों के साथ डॉक्टर साध्वी परमयशा जी,विनम्रयशा जी, मुक्ताप्रभा जी, और कुमुदप्रभा जी ने रोचक प्रस्तुति दी। आज खुशियों का दिवस है, खुशियां मनाई बनानी चाहिए। तेरह करोड़ की संपदा को आज बधाना चाहिए , ऊं का ध्यान लगाते हैं आदि स्वरलहरियों से मंगलकामना करते हुए कहा, "सूर्य की शोभा आसमान से नहीं अपने प्रकाश से होती है, पूजा व्यक्ति की नहीं उनके गुणों की होती है"। साध्वी मुक्ताप्रभा जी एक अच्छी साध्वी है। दया करुणा मैत्री इनके रोम-रोम में रमी है। आचार निष्ठा, विचार निष्ठा, खून के हर कतरे में बसी है। काले काल समायरे ,संयम गोयम मां पमायस आर्ष वक्या का यथासंभव पालन करती है। ध्रुवयोगों के प्रति सतत जागरूक रहती है। तेरापंथ शासन की छांह तले आराधना साधना से ज्योतिर्मय बने ।

 "मंजू से मुक्ताप्रभाजी का सुनहरा सफर" की रोचक प्रस्तुति प्रेरणास्पद रही।

 साध्वी विनम्रयशा जी ने कहा  आज शुभ दिन आया है खुशियों का मौसम मनभाया है।

 गुरु निष्ठा, गण निष्ठा, आगम निष्ठा ,मर्यादा निष्ठा,पांच महादेवियां, साध्वी मुक्ताप्रभा जी की सेवा में रहती है। आज हम सुनहरे पलों का अभिनंदन करते हैं। त्याग तपोमय जीवन की अनुमोदना करते हैं।

 "त्याग करो तेजस्वी बनो" 25 नियमों का परिपत्र सबको प्रदान किया। 365 दिन जीवन के मंगलमय हो, आनंदमय हो। भावना के शासन श्री साध्वी पानकुमारी जी ,राजकुमारी जी की ओर से मंगलभाव व्यक्त किए।

  साध्वी कुमुदप्रभा जी ने कहा  साध्वी श्री जागरूक नियमित दिनचर्या, ध्यान, जाप,मौन स्वाध्याय आगम पारायण अनुकरणीय है।

 85 जोड़ों ने एक साथ सामाजिक करते हुए श्रद्धा समर्पण संघ प्रभावना परक प्रोग्राम को अनुकरणीय बताया। रजत जयंती के पावन प्रसंग पर 35 श्रद्धालु श्रावक श्राविकाओं, बच्चों ने महाश्रमण अष्टकम कंठस्थ किया, एवं शानदार प्रस्तुति के साथ पेश किया।भक्ति भावना पूरित भजन संध्या में भीलवाड़ा के उत्तम गायक कलाकार  ने भवन को भिक्षु मय महाश्रमणमय  बना दिया।


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