उदयपुर राजस्थान आदिवासी महासभा ने आज विश्व आदिवासी दिवस पर पर्यावरण व प्रकृति की रक्षा करने हेतु वृक्षारोपण से शुरूआत की तदुपरान्त गोष्ठि का आयोजन किया गया । इस अवसर पर गोष्ठि की अध्यक्षता करते हुए संस्थान अध्यक्ष सोमेश्वर मीणा ने बताया कि आदिवासी समुदाय अपनी आजीविका व बुनियादी आवश्यकताओ के लिये जुझते हुए संस्कृति व प्रकृति को बचाने संघर्ष कर रहा है। आदिवासी समाज में फैली हुई कुरितियां समाप्त करने हतु सार्थक पहल करनी होगी, ५वीं, ६ठीं अनुसूची के लिये जयपाल मुंडा ने देश संविधान सभा में जोडने की पहल की है।
मुख्य अतिथि जयसमन्द प्रधान गंगाराम जी ने अपने उद्बोधन में विश्व आदिवासी दिवस की विशेषता के बारे में बताते हुए बताया कि वर्ष १९९४ में संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा २० देशो ने मिलकर मंथन किया व आदिवासी की विरासते, संस्कृति जल जंगल जमीन की सुरक्षा करनी होगी। विशिष्ठ अतिथि मुख्य चिकत्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी शंकर बामणिया द्वारा अपने वक्तव्य में बताया कि विश्व आदिवासी दिवस तभी सार्थक होगा पढा लिखा वर्ग पुनः समाज में जाये नीचले वर्ग का उपर उठाने हेतु आर्थिक शैक्षिक सहयोग प्रदान करें । वरिष्ठ उपाध्यक्ष राकेश हीरात द्वारा अपने वक्तव्य में सभी से आह्वान किया कि समाज की एकता व अपने अधिकारों के लिये तत्पर रहे ।
सभा का संचालन महासचिव चम्पालाल परमार ने किया व धन्यवाद की रस्म नारायण डामोर ने अदा की ।