कपास की खेती मे बदलते प्रतिमान "राष्ट्रीय संगोष्ठी" 

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Published on : 08 Aug, 22 10:08

कपास की खेती मे बदलते प्रतिमान "राष्ट्रीय संगोष्ठी" 

कॉटन रिसर्च एंड डेवलपमेंट एसोसिएशन (सीआरडीए) एवं महाराणा प्रताप कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, शिक्षकों, छात्रों, कृषि पेशेवरों, व्यापारियों, हितधारकों और अन्य उद्यमियों के लिये " कपास की खेती मे बदलते प्रतिमान " विषय पर एक  राष्ट्रीय संगोष्ठी "महाराणा प्रताप कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर  में 08-10 अगस्त, 2022 के दौरान आयोजित की जा रही है l
 संगोष्ठी के उद्देश्य
 भारतीय कृषि, औद्योगिक विकास, रोजगार सृजन और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका के साथ कपास वैश्विक महत्व की सबसे प्राचीन और बहुत महत्वपूर्ण व्यावसायिक फसल है।  कपास  घरेलू खपत के साथ ही दुनिया भर में लगभग 111 देशों में निर्यात की जाती है और इसलिए इसे "फाइबर का राजा" या "सफेद सोना" भी कहा जाता है।  लाखों लोग अपनी आजीविका के लिए कपास की खेती, व्यापार, परिवहन, जुताई और प्रसंस्करण पर निर्भर हैं।  भारत दुनिया का एकमात्र देश है जो कपास की सभी चार प्रजातियों को उनके संकर संयोजनों के साथ विशाल कृषि-जलवायु स्थितियों में उगा रहा है।  कपास की खेती मूल रूप से इसके रेशे के लिए की जाती है जिसका उपयोग कपड़ा उद्योग और कच्चे माल के रूप में किया जाता है।
भारत क्षेत्रफल के साथ-साथ कपास के उत्पादन के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा देश है।  राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में कमोडिटी की बढ़ती मांग के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए, उपयुक्त खेती प्रौद्योगिकियों के साथ कपास की नई किस्मों और संकरों के विकास को प्रोत्साहन देना अनिवार्य है।  राष्ट्रीय संगोष्ठी की योजना सार्वजनिक क्षेत्र और निजी दोनों क्षेत्रों के कृषि वैज्ञानिकों, विस्तार कार्यकर्ताओं और नीति निर्माताओं को कपास अनुसंधान और उत्पादन प्रौद्योगिकियों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अपने अनुभव और विशेषज्ञता साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए है ताकि कपास के बदलते प्रतिमानो के साथ बेहतर कदम उठाये जा सकें l   हम आशा करते हैं कि यह संगोष्ठी कपास अनुसंधान, विकास, खेती, कीटनाशक, बीज और कपड़ा उद्योग और कृषि आधारित उद्योगों के अन्य संबंधित निर्माताओं से जुड़े सभी लोगों के लिए फायदेमंद होगी।
कार्यक्रम:
8 से 10 अगस्त को आयोजित की जा रही इस तीन दिवसीय संगोष्ठी में 12 तकनीकी सत्र आयोजित किए जाएंगे जिसमें आमंत्रित व्याख्यान, लीड लेक्चर, शोध पत्रों का वाचन, तकनीकी सत्र एवं पोस्टर शेषन भी सम्मिलित होंगेl  संगोष्ठी में 17 राज्यों के एवं 2 केंद्र शासित प्रदेशों एवं एक प्रतिभागी अमेरिका से तथा लगभग 200 अधिकारियों के भाग लेने की संभावना हैl संगोष्ठी के दौरान श्रेष्ठ शोध पत्र प्रस्तुति पर यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी प्रदान किया जाएगाl आयोजन समिति अध्यक्ष एवं अनुसंधान निदेशक डॉ एस के शर्मा तथा सचिव CRDA डॉ.एम एस चौहन ने बताया कि  सोमवार 8 अगस्त को प्रातः 10 बजे उद्घाटन सत्र आयोजित किया जायेगा जिसमे मुख्य अतिथि डॉ एस एल मेहता, पूर्व कुलपति एम पी यु ए टी होंगे तथा कुलपति डॉ नरेंद्र सिंह राठौड़ अध्यक्षता करेंगेl 


साभार :


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