दानवीर एवं वीरवर भामाशाह स्वामीभक्ति एवं राष्ट्रभक्ति के पर्याय थे : टांक

( 1888 बार पढ़ी गयी)
Published on : 28 Jun, 22 10:06

दानवीर एवं वीरवर भामाशाह स्वामीभक्ति एवं राष्ट्रभक्ति के पर्याय थे : टांक

उदयपुर। महावीर युवा मंच द्वारा हाथीपोल स्थित भामाशाह सर्कल पर दानवीर भामाशाह की 475वीं जयंती मनाई गई। समारोह के मुख्य अतिथि महापौर गोविंदसिंह टांक थे। अध्यक्षता जिला प्रमुख ममताकुंवर पंवार तथा मुख्य वक्ता उपमहापौर पारस सिंघवी थे। विशिष्ट अतिथि प्रेमसिंह शक्तावत, रवीन्द्र श्रीमाली, चंद्रसिंह कोठारी, भंवर सेठ, वीरेन्द्र बापना, भंवरसिंह पंवार, तखतसिंह शक्तावत, कमलेन्द्रसिंह पंवार, गजपालसिंह राठौड़, देवनारायण धायभाई, शैलेन्द्र चौहान, पूर्व जिला प्रमुख शांतिलाल मेघवाल, ताराचंद जैन, कुलदीप नाहर तथा आलोक पगारिया थे।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि गोविंदसिंह टांक ने कहा कि जिस समय दानवीर भामाशाह ने अपनी सम्पत्ति का समर्पण किया, उस समय मेवाड़ की स्वतंत्रता और संस्कृति की रक्षा के लिए महाराणा प्रताप कड़ा संघर्ष कर रहे थे। अर्थ की दृष्टि से महाराणा और सेना के लिए धनाभाव था। तब भामाशाह ने अपना निजी अर्जित धनकोश महाराणा के चरणों में अर्पित कर दिया। टांक ने कहा कि भामाशाह दानवीर ही नहीं थे, उन्होंने युद्धवीर के रूप में तलवार उठाकर हल्दीघाटी रणक्षेत्र में सेना का नेतृत्व भी किया। भामाशाह स्वामीभक्ति, स्वावलंबन, राष्ट्रभक्ति के पर्याय थे।
समारोह अध्यक्ष ममताकुंवर ने भामाशाह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को देश के लिए प्रेरणा पुंज बताया। मुख्य वक्ता पारस सिंधवी ने कहा कि भामाशाह ने संकट के समय न केवल समग्र राजकोश की राशि अपितु स्वयं का अर्जित धन भी अपने स्वामी के चरणों में अर्पित कर दिया। ऐसा पूरे विश्व में कोई अन्य उदाहरण नहीं मिलेगा। प्रेमसिंह शक्तावत ने भामाशाह और प्रताप के शौर्य, वीरता और हरावल दस्ते के प्रसंग बताये।
मुख्य संरक्षक प्रमोद सामर ने कहा कि भामाशाह की जयंती और पुण्यतिथि मनाने का यही उद्देश्य है कि आने वाली हर पीढ़ी में प्रताप और भामाशाह के व्यक्तित्व की प्रभावना बढ़े। अध्यक्ष डॉ. तुक्तक भानावत ने कहा कि ‘वीर शिरोमणि’ के रूप में राजस्थान की माटी तो सबके लिए नमनीय है ही पर दानवीरों की दृष्टि से भी इतिहास सदा ही आंखों पर चढ़ा हुआ है। इस कड़ी में भामाशाह का नाम तो ‘दानवीर’ का पर्याय ही हो गया।
इस अवसर पर उपस्थित प्रबुद्धजनों ने भामाशाह अमर रहे, जब तक सूरज चांद रहेगा भामाशाह का नाम अमर रहेगा, प्रताप की जय-जय, भामाशाह की जय-जय नारों के साथ माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर मंच द्वारा भामाशाह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व, चित्रों के साथ वृक्षारोपण, रक्तदान, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, जीवन कौशल, पर्यावरण आदि उक्तगोश के मय चित्रण प्रेषित की गई।  
महामंत्री हर्षमित्र सरूपरिया ने बताया कि इस मौके पर मंच के अजय पोरवाल, डी. के. मोगरा, ओमप्रकाश पोरवाल, मुकेश हिंगड़, राजेश चित्तौड़ा, कमल कावडिय़ा, बसंत खिमावत, सतीश पोरवाल, अर्जुन खोखावत, अरविंद सरूपरिया, अशोक लोढ़ा, भगवती सुराणा, नीरज सिंघवी, प्रमीला एस. पोरवाल, ललिता कावडिय़ा, रश्मि पगारिया, राखी सरूपरिया, मधु सुराणा, नीता खोखावत, मंजुला सिंघवी, मनोज मुणेत, राजेश जैन मौजूद थे।
भामाशाह जयंती के संयोजक नीरज सिंघवी ने बताया कि समारोह में जनप्रतिनिधि एवं सर्वसमाज के पदाधिकारियों में सर्वश्री सन्नी पोखरना, राजेंद्र परिहार, भरत पूर्बिया, विक्रम भंडारी, तुषार मेहता, देवेन्द्र जावलिया, प्रहलाद चौहान, देवेन्द्र साहू, मुकुल मेहता, कनवर निमावत, चन्द्रेश सोनी, आकाश वागरेचा, रूचिका चौधरी, हेमंत बोहरा, दिनेश गुप्ता, नारायणसिंह चंदाणा, ललितसिंह सिसोदिया, निखिलराज सिंह, रमेश जीनगर, राकेश मोची, वालाराम पटेल, ओम अग्रवाल, अनिल जारोली, मनोज भटनागर, अनिल कोठारी, दीपक शर्मा, प्रदीप राजानी, प्रकाश कोठारी, कमलेन्द्रसिंह, विपुल वैष्णव, कुन्दन चौहान, पवन बम्बोरिया, दिलीप सुराणा, अनिल नाहर, दयालाल लबाना, रेवाशंकर गायरी, ओम खोखावत, हेमंत बोहरा, राकेश जैन, संजीव जैन, कृष्णगोपाल झंवर, जयप्रकाश बंसल, राजेश जैन, अमृत मेनारिया, सुशील जैन, राजेश बया, के एल साहू, जमकलाल जैन, अक्षय बड़ाला, लादूलाल मेड़ावत, दिनेश गुप्ता, विष्णु प्रजापत, अजय जैन, लोकेश कोठारी, मनोज मेघवाल तथा भरत मीणा उपस्थित थे।
संचालन अर्जुन खोखावत ने किया। धन्यवाद डॉ. तुक्तक भानावत ने दिया जबकि स्वागत नीरज सिंघवी ने किया। मंच परिचय महामंत्री हर्षमित्र सरूपरिया एवं अतिथि परिचय राजेश चित्तौड़ा एवं कमल कावडिय़ा ने दिया।


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.