महाराणा भगवत सिंह मेवाड की १०१वीं जयन्ती मनाई

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Published on : 16 Jun, 22 00:06

महाराणा भगवत सिंह मेवाड की १०१वीं जयन्ती मनाई

उदयपुर, मेवाड के ७५वें श्री एकलिंग दीवान महाराणा भगवतसिंह जी मेवाड की १०१वीं जयंती महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से सिटी पेलेस म्यूजियम स्थित राय आंगन में मनाई गई। महाराणा भगवतसिंह मेवाड का जन्म वि.सं. १९७८, आषाढ कृष्ण एकम को हुआ था। इस अवसर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पूजा-अर्चना एवं मंत्रोच्चारण के साथ दीप प्रज्जवलित किया गया तथा आने वाले पर्यटकों के लिए उनकी ऐतिहासिक जानकारी प्रदर्शित की गई।

महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि महाराणा भूपालसिंह जी ने महाराणा भगवतसिंह मेवाड को गोद लिया उनकी १९५५ में गद्दीनशीनी हुई। उनका विवाह बीकानेर के महाराजा गंगासिंह जी की सुपौत्री सुशीला कुमारी जी के साथ हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा मेयो कॉलेज, अजमेर से हुई वे क्रिकेट के बहुत ही अच्छे खिलाडी थे। महाराणा भगवतसिंह जी ने अपने पूर्वजों की भांति लोक कल्याण के कर्तव्यों को निभाते हुए शिक्षा, चिकित्सा सेवा के साथ ही जनकल्याणकारी मानव सेवा हेतु वर्ष १९६९ में महाराणा चेरिटेबल फाउण्डेशन की स्थापना कर उदयपुर के सिटी पेलेस को संग्रहालय के रूप में परिवर्तित किया। वर्ष १९७४ में शिक्षा के क्षेत्र में महाराणा मेवाड पब्लिक स्कूल की स्थापना की। इसी तरह मेवाड की संस्कृति, विरासत और पारम्परिक मूल्यों के संरक्षण म कई धर्मार्थ ट्रस्टों की स्थापना की।

महाराणा भगवतसिंह मेवाड दूरदर्शी व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने मेवाड की धरोहरों के संरक्षण संवर्धन हेतु ट्रस्टों की स्थापना के साथ ही होटल व्यवसाय को भी रोजगार की उपलब्धता के रूप में आरम्भ किया। पर्यटन के क्षेत्र में उनके द्वारा उदयपुर में स्थापित सिटी पेलेस म्यूजियम, होटल लेक पेलेस (जग निवास), होटल फतह प्रकाश, जग मन्दिर आदि विश्व पटल पर पर्यटकों की पहली पसन्द हैं। वे विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष रहते हुए परिषद का नेतृत्व भी किया। हिन्दू धर्म में उनकी गहन आस्था थी।


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