राज्य सभा चुनाव में आदिवासी और गैर आदिवासी का पेच फँसा

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Published on : 25 May, 22 06:05

-गोपेंद्र नाथ भट्ट

राज्य सभा चुनाव में आदिवासी और गैर आदिवासी का पेच फँसा

देश के विभिन्न प्रदेशों की कुल 57 सीटों जिसमें राजस्थान की चार राज्यसभा सीटें भी शामिल है, के लिएआगामी दस जून को होने वाले चुनाव के लिए आज मंगलवार से नामांकन दर्ज करने का काम शुरू हो गया है।

कांग्रेस को राजस्थान की खाली हो रही चार में से तीन राज्यसभा सीटों पर जीतने की उम्मीद है। हालाँकिइसके लिए प्रत्याशियों का चयन पार्टी हाई कमान करेगा लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में लाभ-हानि की   गणित का आँकलन करते हुए इस बार किसी एक सीट पर आदिवासी नेता को  मौका देने का पेच फँस गयाहै।राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश के आदिवासी समुदाय के नेता कांग्रेस से एक राज्यसभा सीट की माँग कररहे है। गुजरात में अभी राज्यसभा के चुनाव नहीं है।मध्यप्रदेश में काग्रेंस अपने विधायक संख्या बल पर केवलएक राज्यसभा सीट जीत रही हैं,लेकिन राजस्थान में चार में से तीन पर कांग्रेस के विजय की संभावना कोदेखते हुए आदिवासी नेता एक टिकट की मांग कर रहे हैं। इसके लिए

दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी नेताओं में से सीडब्ल्यूसी सदस्य रघुवीर मीणा और पूर्व सांसद ताराचन्दभगौरा ने बकायदा अपनी दावेदारी भी पेश कर दी है,लेकिन जो पेच है वह डूंगरपुर जिला कांग्रेस के अध्यक्षदिनेश खोडनिया की दावेदारी है।खोडनिया जैन समुदाय से यानि गैर आदिवासी है। यें तीनों ही नेता मुख्यमंत्रीअशोक गहलोत के अति निकट होने का दावा करते है। डूंगरपुर विधायक और प्रदेश यूथ कांग्रेस के अध्यक्षगणेश घोघरा ने हाल ही दिनेश खोडनिया पर आदिवासी नेताओं में फूट डालने के आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्रीको अपना इस्तीफ़ा भेज दिया है।

इधर भारतीय ट्राइबल पार्टी(बीटीपी) ने आदिवासी उम्मीदवार (एसटी) को टिकट मिलने पर ही अपने वोटकांग्रेस के समर्थन में देने की शर्त लगा दी है।राजस्थान में बीटीपी के दो विधायक है। हालाँकि राजस्थान मेंबीटीपी ने करीब दो साल पहले अपनी मांगों के  पूरी नहीं होने के मद्देनजर, गहलोत सरकार से अपना समर्थनवापस ले लिया था। बीटीपी के प्रदेशाध्यक्ष डाँ.वेलाराम घोघरा ओर चौरासी (डूंगरपुर) के बीटीपी विधायकराजकुमार रोत ने काग्रेंस पर आरोप लगाया है कि पार्टी ने प्रदेश में पिछलें 40 वर्षों में किसी आदिवासी नेता कोराज्यसभा में प्रतिनिधित्व नहीं दिया है जबकि भाजपा ने 1994 में आदिवासी नेता कनकमल कटारा कोराज्यसभा में भेजा था और वे अभी लोकसभा में भाजपा के सांसद हैं। भाजपा ने पिछले राज्यसभा चुनाव में भीएसटी के दिग्गज नेता किरोडीलाल मीणा को राज्यसभा में प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया। बीटीपी ने कहाहै कि कांग्रेस द्वारा आदिवासी समुदाय की उपेक्षा को अब हम सहन नहीं करेंगे और राज्यसभा चुनाव मेंआदिवासी उम्मीदवार को ही हमारा समर्थन और वोट मिलेगा अन्यथा वे हमारे वोट को भूल जाएँ।

दक्षिणी राजस्थान में बांसवाड़ा-डूंगरपुर-उदयपुर-प्रतापगढ़ जिलों में आदिवासी आरक्षित 17 सीटों में से कांग्रेसके मात्र पांच विधायक है जिनमें केबिनेट मंत्री महेन्द्र जीत सिंह मालवीय, अर्जुन बामनिया, यूथ कांग्रेसप्रदेशाध्यक्ष गणेश घोघरा, रामलाल मीणा और नगजीराम मीणा प्रमुख है। कांग्रेस यूथ प्रदेशाध्यक्ष एवं  विधायक गणेश घोगरा डूंगरपुर के जिला प्रशासन द्वारा आदिवासी समुदाय की  उपेक्षा से नाराज होकरमुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपने विधायक पद से त्यागपत्र भेज चुके है ।प्रतापगढ़ काग्रेंस विधायकरामलाल मीणा भी गणेश घोघरा के स्वर में स्वर मिला रहें है । इधर गुजरात कांग्रेस के  प्रदेशाध्यक्ष जगदीशठाकोर ने राहुल गांधी से उनके गुजरात दौरे में 10 मई को (दाहोद में आदिवासी सत्याग्रह रैली) गुजरात औरउसकी सीमा से सटे राजस्थान के आदिवासियों को संसद-विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने का मौका बढाने काअनुरोध किया था। गुजरात में तीन बार विधायक निर्वाचित हुए आदिवासी नेता अश्विन कोटवाल  इस महीनेकाग्रेंस से त्यागपत्र देकर भाजपा का दामन थाम चुके है। इससे पहले भी तीन साल में पांच आदिवासी काग्रेंसविधायक पार्टी छोड भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं,जिनमें से  तीन गुजरात की भाजपा सरकार में  मंत्रीभी बन गये। आगामी चुनावों के मद्देनजर भाजपा का इन दिनों आदिवासी क्षेत्रों पर पूरा फ़ोकस दे रही है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा मध्यप्रदेश, गुजरात औरराजस्थान के आदिवासी समुदाय के बडे सम्मेलनों को संबोधित कर चुके है । इसी प्रकार कांग्रेस भी अपनेपरम्परागत आदिवासी वोट बैक की बहाली और बीटीपी के  लगातार बढ़ते हुए प्रभाव को थामने के लिए हालही उदयपुर में सोनिया गाँधी के नेतृत्व में नव संकल्प चिन्तन शिविर का आयोजन और राहुल गाँधी कीआदिवासियों के आस्था स्थल बेणेश्वर धाम पर विशाल रैली करवा आदिवासी वोट बैंक को फिर से कांग्रेसकी ओर  लाने के प्रयास कर चुकी है। ऐसी परिस्थिति में राजस्थान में राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार केचयन में आदिवासी प्रत्याशी की उम्मीदवारी निर्णायक रहने वाली  है।


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