कपास की दुश्मन गुलाबी सुंडी का प्रबंधन जरूरी

( 2053 बार पढ़ी गयी)
Published on : 18 May, 22 10:05

कपास की दुश्मन गुलाबी सुंडी का प्रबंधन जरूरी

कपास की फसल को गुलाबी सुंडी ने बड़ी चुनौती दे रखी है। यह कीड़ा केवल  कपास की ही फसल में लगता है। पूरे भारत के कपास बोने वाले क्षेत्र की नींद उड़ा रखी है। पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र यहां तो यह संक्रामक कीड़ा बन चुका है। यह कपास की गुणवत्ता तो खराब करता ही है 30% के करीब पैदावार में कमी लाता है।
पी एन शर्मा सेवानिवृत्त उपनिदेशक कृषि ने बताया कि कोई प्रदेश आज इस कीड़े के प्रभाव से मुक्त नहीं है। इस कीड़े की रोकथाम के लिए अनुसंधानकर्ता, प्रदेशों के कृषि अधिकारी गण एवं कृषि विज्ञान केंद्र निरंतर इसके प्रबंधन की व्यवस्था कर रहे हैं।
कपास बोने का समय आ चुका है इसके प्रबंधन के लिए किसानों को सलाह देते हुए कहा  किसान लंबी अवधि का कपास नहीं बोवे।140 से 160 दिन में पकने वाली कपास का बीज ही प्रयोग में लें। भूल कर भी जिनिंग फैक्ट्री से बीज के लिए कपासिया खरीद कर नहीं बोये उस बीज में गुलाबी सुंडी रहती है। गुलाबी सुंडी बीजों को खाकर दो बीजों को मिला देती है इसे डबल सीड कहते हैं। जिनिंग फैक्ट्री से लाए गए कपास बीज बोने वाले किसान साथ में गुलाबी सुंडी को खेत में प्रवेश करवा रहे हैं।
शर्मा ने आगे बताया कि सामान्य किसान एक ही तरह का कीटनाशक प्रयोग में लेता रहता है इससे कीडो में कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो जाती है। एक ही प्रकार के कीटनाशकों का प्रयोग न कर कर अलग-अलग कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए।
गुलाबी सुंडी फूल एवं डिंडु पर ही अंडे देती है और सुंडी बनते ही कपास के डिंडु में प्रवेश कर जाती है।  फेरोमेन ट्रैप लगाने से गुलाबी सुंडी की उपस्थिति ज्ञात हो जाती है। फेरोमेन ट्रेप से नारी सुंडी की गंध आती है। नर इस गंध  की ओर आकर्षित होकर जाल में फंस जाता है। नर की संख्या जब कम होगी तो आगे  प्रजनन चक्र गड़बड़ा जाएगा। साथ ही किसानों को मालूम पड़ जाएगा कि सुंडी का प्रकोप हो रहा है तो वह कीटनाशकों का प्रयोग सही समय पर कर सकेगा।
गांवों में  बुवाई  एक समय में करें एक ही गांव में अलग-अलग अंतराल में बोई गई फसल में गुलाबी सुंडी को लंबे समय तक जीवित रहने का साधन मिल जाएगा। अतः कपास की बुवाई जहां तक संभव हो एक साथ करें।
गुलाबी सुंडी का प्रबंधन फसल कटने के बाद तक करना होता है।
भीलवाड़ा जिले की तरह इस वर्षCITI CDRA ने सहभागी कपास विकास परियोजना का विस्तार चित्तौड़गढ़ जिले तक कर दिया है।
पुरुषोत्तम शर्मा


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.