आशीर्वाद जीवन की सबसे बड़ी पूंजी, बड़ों को करें नित्य प्रणाम- राधाकृष्ण महाराज

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Published on : 17 May, 22 12:05

भक्तिरस में डूबे भक्त, नानी बाई का मायरा कथा का भव्य आगाज

आशीर्वाद जीवन की सबसे बड़ी पूंजी, बड़ों को करें नित्य प्रणाम- राधाकृष्ण महाराज

भीलवाड़ा,  पूज्य श्रद्धेय गौवत्स श्री राधाकृष्णजी महाराज के मुखारविंद से 17 मई मंगलवार से वस्त्रनगरी भीलवाड़ा में तीन दिवसीय नानी बाई का मायरा कथा का भव्य आगाज हुआ। समस्त गौ सेवा परिवार की ओर से रोडवेज बस स्टेण्ड के पास अग्रवाल उत्सव भवन प्रांगण में आयोजित नानी बाई का मायरा कथा में पहले ही दिन भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। प्रचण्ड गर्मी की परवाह किए बिना सुबह 8.30 से दोपहर 12.30 बजे तक कथा के दौरान भक्तगण गीतों व भजनों पर जमकर नृत्य करते रहे। भक्ति से ओतप्रोत माहौल में  गौवत्स श्री राधाकृष्णजी महाराज ने नानी बाई का मायरा कथा का वाचन करते हुए गौसेवा व मानवसेवा करने की प्रेरणा भी प्रदान की। कथा के दौरान गोपालकृष्ण भगवान के जयकारे गूंजते रहे। 

सुबह कथा का आगाज करते हुए सबसे पहले पूज्य राधाकृष्ण महाराज ने ठाकुर गोवर्धननाथ प्रभु, श्रीद्वारकाधीश प्रभु, श्री सांवलिया सेठ, श्री चारभुजानाथ, श्रीनाथजी के साथ जगतजननी गौमाता के चरणों में भी प्रणाम किया। उन्होंने कहा कि भीलवाड़ावासियों को भगवान के लाड़ले नरसी मेहता का पावन चरित्र नानी बाई का मायरा सुनने का सौभाग्य मिल रहा है। ये नरसीजी के जीवन का मात्र एक प्रसंग है। उनमें जीवन में कई ऐसी घटनाएं है जिनमें भगवान कोई न कोई रूप धर कर पधारे है। नरसी मेहता के जीवन से जुड़े कई प्रसंग सुनाते हुए उनका गुणगाण किया।  

राधाकृष्णजी महाराज ने जीवन में आशीर्वाद का महत्व समझाते हुए कहा कि बच्चों को ये शिक्षा देनी है कि जिस तरह रोज मोबाइल चार्ज जरूरी होता है उसी तरह परिवार के बड़ो से आशीर्वाद होली दिवाली ही नहीं बल्कि हर रोज लेना जरूरी है। कोरोनाकाल के पिछले दो वर्ष में ये देख लिया है कि जीवन में संकट के समय धन, पद, प्रतिष्ठा, नाम, दवा कुछ काम नहीं आते है केवल आशीर्वाद ही काम आता है। यहीं जीवन की सबसे बड़ी पंूजी है। नित्य सुबह घर में जितने भी बड़े हो उनको प्रणाम कर आशीर्वाद लेना चाहिए। बड़े-बुर्जुगों के पास प्रतिदिन 10-15 मिनट बैठना चाहिए। शास्त्रों में लिखा बुर्जुगों के पास बैठने से विद्या, उम्र, यश व बल में वृद्धि होती है। उन्होंने पशु-पक्षियों की नियमित सेवा करने की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि भीषण गर्मी में पशु-पक्षियों के लिए पानी का इंतजाम करना, गौशाला में चारा डालना, प्याउ लगाना भी सेवा कार्य है। तीन दिवसीय आयोजन के दूसरें दिन बुधवार 18 मई को सुबह 5.30 बजे शहर के दूदाधारी मंदिर से प्रभातफेरी भी निकाली जाएगी। इसी तरह अंतिम दिन 19 मई को आरसी व्यास कॉलोनी स्थित सिद्धेश्वर मंदिर से सुबह 5.30 बजे प्रभातफेरी निकाली जाएगी एवं रात 8 से 10 बजे तक राजस्थान कबीर यात्रा भक्ति संध्या होगी,जिसमें शबनम वीरमानी एवं ग्रुप द्वारा भजनों की प्रस्तुतियां दी जाएगी। 

 

भजन शुरू होते ही थिरक उठते कदम

 

चार घंटे नानी बाई का मायरा कथा के दौरान पूज्य श्रद्धेय गौवत्स श्री राधाकृष्णजी महाराज ने भगवान की भक्ति से ओतप्रोत गीतों व भजनों की प्रस्तुतियां दी। उनकी वाणी का ऐसा जादू छाया कि भजन शुरू होते ही भक्तगण अपनी जगह से उठ खड़े होकर थिरकने लगते थे। कुछ भजनों के दौरान तो भक्ति का ऐसा रंग चढ़ा की कई भक्तगण मंच के सामने खुली जगह पर समूह में नृत्य करने लगे। 

 

कलश यात्रा से हुआ आगाज 

 

तीन दिवसीय नानी बाई का मायरा कथा का विधिवत आगाज पहले दिन मंगलवार सुबह 7 बजे कलश यात्रा के साथ हुआ। कलशयात्रा सीतारामजी की बावड़ी से शुरू होकर कथास्थल तक पहुंची। कलशयात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुई। कई महिलाओं ने सिर पर कलश धारण कर रखा था। 

 

मीरा महोत्सव ने जमाया रंग 

 

पूज्य श्रद्धेय गौवत्स श्री राधाकृष्णजी महाराज के मुखारविंद से मंगलवार रात 8 से 10 बजे तक मीरा महोत्सव का आयोजन हुआ। इसके तहत कृष्णभक्त भक्तिमति मीरां के जीवन पर आधारित प्रसंगों का वाचन किया गया। इसके माध्यम से मीरां के जीवन के प्रसंगों के साथ कृष्णभक्ति से वह किस तरह ओतप्रोत थी इस बारे में बताया गया। मीरां की भक्ति के भजनों पर श्रोता भावविभोर हो उठे। दो दिवसीय मीरा महोत्सव के पहले ही दिन बड़ी संख्या में भक्तगण कथास्थल पर पहुंचे।

 

भीलवाड़ा की भक्ति भावना को सराहा

 

पूज्य श्रद्धेय गौवत्स श्री राधाकृष्णजी महाराज ने कथा के दौरान भीलवाड़ा की भक्ति भावना की सराहना करते हुए कहा कि भीलवाड़ा बहुत बड़ी नगरी है। यहां लोगों को सामर्थ्य के साथ भगवान ने सेवाभावना भी दी है। भगवान सामर्थ्य के साथ सूझबूझ सबको नहीं देता है। उन्होंने स्वयं को टाबर बताते हुए कहा कि आपका टाबर जानकर मुझे सुनना। टाबर जो बोले वह कई बार उसकी मां ही समझ पाती है पर सुनने में सबको अच्छा लगता है।

 


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