बहुआयामी  व्यक्तित्व थे डॉ. भटनागर : प्रो.माथुर   

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Published on : 05 May, 22 23:05

बहुआयामी  व्यक्तित्व थे डॉ. भटनागर : प्रो.माथुर   

उदयपुर  जाने माने इतिहासविद  एवं आयुर्वेद मनीषी प्रो . राजेंद्र प्रकाश  भटनागर इतिहास ,साहित्य ,चिकित्सा एवं आयुर्वेद के साथ  सच्चे समाज सवेक बहुआयामी  व्यक्तित्व के धनी थे   वे आयुर्वेद के ऊर्जावान विद्वान लेखक थे जिन्होंने अपनी  लेखनी व ग्रंथो  के  माध्यम से ही नहीं बल्कि सरल स्वभाव और  चिकित्सा सेवा के माध्यम से आयुर्वेद जगत में अपना विशिष्ट स्थान बनाया जो प्रेरणा प्रेरणास्पद हे।

उक्त विचार राजस्थान आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी संघ ,उदयपुर  के अध्यक्ष डॉ. भोपाल राम शर्मा ने डॉ .राजेंद्र प्रकाश  भटनागर की 33वी पुण्य तिथि पर आयोजित " डॉ .राजेंद्र प्रकाश  भटनागर का आयुर्वेद एवं इतिहास को योगदान ' विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये। 

 उन्होंने जिले  के सभी चिकित्स्कों की और से डॉ. भटनागर को श्रद्धांजलि  अर्पित की i 

मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए आयुर्वेद चिकित्सक संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. गुणवंत सिंह देवड़ा ने डॉ. भटनागर द्वारा रचित पुस्तकों को गागर में सागर की उपमा देते हुए उन्हें सारगर्भित बताते हुए कहा की उनकी आयुर्वेद के पाठ्यक्रम  की पुस्तकों में आयुर्वेद के मूल ग्रंथ चरक ,सुश्रुत्र,वागभट, ,शारंगधर , संहिताओं का सारांश हे जो आयुर्वेद के छात्रों के लिए ज्ञान वर्धक हे i 

विशिष्ट अतिथि आयुर्वेद विभाग संभाग उदयपुर के पूर्व अतिरिक्त निदेशक व आयुर्वेद सहयोग समिति के डॉ. बाबूलाल जैन ने डॉ. भटनागर को ढृढ़  संकल्प के धनी बताते हुए उन्हें आयुर्वेद के प्रति समर्पित और समाज के समक्ष आयुर्वेद की मिशाल बताया !

संघ के महामंत्री डॉ. मनोज भटनागर, डॉ महेश शर्मा ने डॉ. भटनागर के व्यक्तित्व और कृतित्व  पर  प्रकाश डाला।

-इधर मेवाड़ इतिहास परिषद् एवं भारतीय चिकित्सा विकास परिषद् के संयुक्त  तत्वावधान में ' मेवाड़ के इतिहास जगत में डॉ. राजेंद्र प्रकाश भटनागर का योगदान ' विषयक ऑन लाइन संगोष्ठी का आयोजन हुआ   !

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए  इतिहासकार प्रो.गिरीशनाथ माथुर ने कहा की डॉ.भटनागर ने मेवाड़ के कई ऐतिहासिक संस्कृत शिलालेखों व पांडुलिपियों का हिंदी अनुवाद किया हे, मेवाड़ का राज्य प्रबंध एवं महाराणा राजसिंह कालीन दो बहिया ,महाराणा प्रताप के सहयोगी भामाशाह एवं ठाकुर ताराचंद ,उदयपुर की स्थापना एवं मोतीमगरी का इतिहास जैसी अनेकों पुस्तके शोधार्थियों के लिए ज्ञानोपयोगी हे,मेवाड़ के इतिहास में डॉ. भटनागर का योगदान स्मरणीय रहेगा।

मुख्य अतिथि ग्लोबल हिस्ट्री फोरम के संस्थापक अध्यक्ष डॉक्टर गोविंद लाल मेनारिया ने मेवाड़ के इतिहास के साथ उदयपुर की स्थापना तिथि के संबंध में डॉ. भटनागर द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान का स्मरण कराते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

अखिल भारतीय कायस्थ महा सभा के राष्ट्रिय मंत्री गोरी शंकर भटनागर ,पंकज भटनागर ,सावित्री देवी भटनागर , अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के संभाग संयोजक शिरीष नाथ माथुर ,भारतीय चिकित्सा विकास परिषद के अध्यक्ष डॉ.मनोज भटनागर, डॉ. चंद्र किशोर राय, एडवोकेट नंद किशोर राय, सौरभ राय, डॉ. संगीता भटनागर ने भी अपने विचार रखे।

उल्लेखनीय  हे की डॉ.भटनागर का  दुखद निधन 5 मई 1989 को राजमहलों स्थित  पुरातत्व विभाग की लायब्रेरी पर हुए बारूद विस्फोट दुखांतिका में उदयपुर स्थापना तिथि के शोध के दौरान हो गया था !

संगोष्ठी का संयोजन शिरीष माथुर ने किया।


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