भारतीय संविधान है प्रगतिशील और समावेशी: पेसिफिक में हुई परिचर्चा

( 3867 बार पढ़ी गयी)
Published on : 26 Nov, 21 10:11

भारतीय संविधान है प्रगतिशील और समावेशी: पेसिफिक में हुई परिचर्चा

पेसिफिक इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस स्टडीज में संविधान दिवस पर भारतीय संविधान एवं उसकी व्यापकता पर परिचर्चा का आयोजन किया गया । प्रोफेसर डॉ. अनुराग मेहता के अनुसार देश का संविधान एक बड़ा मार्गदर्शक है जो देश में शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से बनाए रखने का ढांचा न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के रूप में हमें देता है। जिसके तहत हमारी केंद्र और राज्य की सरकारें लोक हितकारी कार्यों में संलग्न है । उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान सच्चे अर्थों में समावेशी विकास की भावना के साथ तैयार किया गया जिसके चलते समाज के प्रत्येक वर्ग और देश के प्रत्येक क्षेत्र को विकास में बराबर का अवसर दिया गया है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में जो अनुशासन और सुशासन हम देखते हैं उसमें हमारे संविधान का बड़ा महत्वपूर्ण योगदान है ।
विभागाध्यक्ष कृति सिंघवी ने संविधान की बुनियादी सुदृढता़ के बारे में बताया। यह न सिर्फ सुदृढ़ है अपितु इसमें पर्याप्त लोचशीलता भी है। संविधान में कुछ संशोधन तो किए जा सकते हैं किंतु उसके लिए संसद के दोनों सदनों से अनुमोदना आवश्यक है। अतः जो भी संशोधन होता है वह जनप्रतिनिधियों अर्थात् वास्तव में जनता के द्वारा ही होता है।
सहायक प्राध्यापक राहुल दर्जी ने बताया कि भारतीय संविधान के प्रति हर नागरिक गौरव की अनुभूति रखता है क्योंकि यह सभी को स्वतंत्रता, समानता और न्याय की बात करता है। परिचर्चा में भाग लेते हुए विद्यार्थियों ने संविधान के विविध सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और न्यायिक पहलुओं पर विचार व्यक्त किए। सभी ने एकमत से भारतीय संविधान में पूर्ण निष्ठा रखते हुए अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करने की बात कही; तभी हमारे अधिकारों की भी सुरक्षा सुनिश्चित होगी और देश में लोकतंत्र तीव्र विकासोन्मुखी होगा।


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.