सेना के लिए वीररस का लेखक बना बीएन का शोधार्थी जय सामोता

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Published on : 25 Nov, 21 03:11

लिखी 21 परमवीर चक्र विजेताओं की गाथा सीडीएस जनरल विपिन रावत ने किया सम्मान

सेना के लिए वीररस का लेखक बना बीएन का शोधार्थी जय सामोता

बी.एन. विश्वविद्यालय में एमएससी कंप्यूटर साइंस तृतीय सेमेस्टर के छात्र वर्षीय जय सामोता (21)पुत्र अनिल कुमार सामोता निवासी बड़ीसादड़ी ने18 नवंबर को रेजांग ला दिवस के अवसर पर भारत-चीन बॉर्डर के निकट स्थित पुनर्निर्मित रेज़ांग ला वॉर मेमोरियल के उद्धघाटन समारोह में माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, सीडीएस जनरल बिपिन रावत, 1962 के भारत - चीन युद्ध में बहादुरी से लड़े 13 कुमाऊं रेजिमेंट के तत्कालीन B एवं D कंपनी कमांडर 89 वर्षीय ब्रिगेडियर आर. वी. जटार, मेजर शैतान सिंह भाटी के सुपुत्र श्री नरपत सिंह भाटी के साथ सम्मिलित हुए। जय मेजर शैतान सिंह जी की जीवनी पर पिछले दो वर्ष से शोध एवं लेखन कार्य कर रहे है। जय ने इस मेमोरियल हेतु मेजर शैतान सिंह, परमवीर चक्र के संक्षिप्त जीवन परिचय एवं उनके द्वारा संगृहीत मेजर शैतान सिंह जी के दुर्लभ छायाचित्र प्रदान किए, सेना ने मेजर शैतानसिंह के बारे में जय द्वारा उपलब्ध कराया गया विवरण ही इस मेमोरियल पर लगाया स्मारक पर इस विवरण के नीचे बाकायदा जय सामोता का नाम है

1962 के भारत-चीन युद्ध में हमारी सेना की 13 कुमाऊं रेजीमेंट की चार्ली कंपनी के 120 जवानों ने लद्दाख के इसी इलाके में मेजर शैतानसिंह को अगुवाई में चीन के करीब 3000 सैनिकों से बहादुरी से जंग लड़ी। इस भीषण लड़ाई में चार्ली कंपनी के 114 जवान शहीद हो गए लेकिन उन्होंने चीन के करीब एक हजार सैनिकों को मार गिराया था। 8 अगस्त 1963 को पहली बार इसी याद में सेना ने उन सैनिकों के अंतिम संस्कार के स्थान पर  रेजांगला मेमोरियल स्थापित किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसी साल जून में इसके पुनर्निर्माण को कहा। जोधपुर जिले के बानासर गांव निवासी शैतानसिंह के जीवन के बारे में सेना के पास भी कुछ खास व ठोस जानकारी नहीं थी। इधर, भारतीय सेना व उसके इतिहास पर जिज्ञासा रखने वाले जय नै जब एक बार शैतानसिंह के अदम्य पराक्रम के बारे में सुना तो वह उन पर गहन शोध में जुट गया। इसके लिए कई प्रयास के बाद को किसी तरह उनके गांव व शैतानसिंह के साथी रहे 89 वर्षीय ब्रिगेडियर जटार आदि के बारे में पता कर उन तक भी पहुंच गया। इसके बाद शैतानसिंह की बहादुरी की जो कहानी निकली वो रौंगटे खड़ी करने वाली थी। मेमोरियल में शैतानसिंह का विवरण एवं छायाचित्र लगाने के लिए सेना ने आगे चलकर जय सामोता से संपर्क किया।

जय परमवीर चक्र प्राप्त 21 वीर सैनिकों पर संक्षिप्त परिचय के साथ प्रत्येक परमवीर चक्र विजेता पर कविताओं की पुस्तक लिख चुके है जो वर्तमान में प्रकाशन प्रक्रिया में हैं जिसका तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत के ऑफिस ने भी रिव्यू किया जय ने जब इसी किताब में संदेश देने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से संदेश मागा तो उन्होंने जब को मिलने के लिए दिल्ली में अपने घर बुलाया इस किताब में जय ने प्रत्येक परमवीर चक्र विजेता पर अलग अलग कविता मय उनकी जीवनी लिखी किताब में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का संदेश भी है तथा जय की दो कविताएं परमवीर व जीत भारतीय सेना द्वारा सोशल मीडिया पर भी प्रकाशित की जा चुकी हैं। जय सामोता की इस उपलब्धि पर बी एन विश्वविद्यालय के चैयरपर्सन प्रदीप सिंह सिंगोली, प्रेसीडेंट प्रोफेसर नरेश बहादुर सिंह, रजिस्ट्रार परबत सिंह,  बीएन संस्थान के सचिव डॉ महेंद्र सिंह आगरिया, एमडी मोहब्बत सिंह राठौड़, पीआरओ डॉ कमल सिंह राठौड़ ने बहुत प्रसन्नता व्यक्त की और बधाई दी।


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