पारस जेके अस्पताल ने किया बिना सर्जरी बुर्ज़ुर्ग महिला का ब्रेन हेमरेज का इलाज, बचाई जान 

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Published on : 25 Oct, 21 11:10

पारस जेके अस्पताल ने किया बिना सर्जरी बुर्ज़ुर्ग महिला का ब्रेन हेमरेज का इलाज, बचाई जान 

उदयपुर  । चित्तौड़ की रहने वाली 60 वर्षीय प्रेरणा (बदला हुआ नाम) काफी समय से सरदर्द से परेशान थीं जिसके चलते वेदिनांक 22 सितम्बर, 2021 को बेहोश हो गईं और उन्हें  पारस जेके अस्पताल, उदयपुर लाया गया। मरीज़ की मेडिकल हिस्ट्री में पाया गया कि 5 वर्ष पहले प्रेरणा को ब्रेन हेमरेज हुआ था, जिसका किसी अन्य अस्पताल में इलाज भी हुआ था, लेकिन फिर भी वे सरदर्द की समस्या से लगातार जूझ रहीं थीं।

पारस जेके अस्पताल, उदयपुर में शुरुआती जांच व मस्तिष्क की एंजियोग्राफी के बाद पता चला कि प्रेरणा के मस्तिष्क के बाएं हिस्से में एन्युरिज्म (मस्तिष्क की धमनी में एक प्रकार की गुब्बारे जैसी आकृति) है। इस स्थिति में मस्तिष्क की धमनियां  कमज़ोर हो जातीं हैं और कई बार उनमें बीच में कहीं सूजन आने लगती है। यदि इसका सही समय पर इलाज ना किया जाए तो इसके फटने से मरीज़ की मृत्यु भी हो सकती है। आमतौर पर इसे ठीक करने के लिए सर्जरी की जाती है लेकिन पारस जेके अस्पताल, उदयपुर में डॉक्टर तरुण माथुर के अनुभवी निर्देशन में इसे बिना सर्जरी फ्लो डाइवर्टर प्रोसीजर के ज़रिये ठीक करने का निर्णय लिया गया। यह प्रोसीजर तकरीबन 40 से 45 मिनट तक चला। अब प्रेरणा जोखिम से बाहर हैं और पोस्ट प्रोसीजर दवाओं पर हैं।

फ्लो डाइवर्टर प्रोसीजर की प्रक्रिया में पैर की नस के ज़रिये एक प्रकार के तार व कैथेटर के ज़रिये मस्तिष्क में प्रभावित जगह तक पहुँचाया जाता है। उसके बाद एन्युरिज्म वाली जगह पर एक प्रकार की जाली डाल दी जाती है जिसे फ्लो डाइवर्टर कहते हैं, यह जाली एन्युरिज्म में रक्त प्रवाह को रोकती है, और इसे लगाने के बाद एन्युरिज्म धीरे-धीरे आकार में छोटा होने लगता है और पूरी तरह ठीक हो जाता है। प्रक्रिया के दौरान होने वाले किसी भी प्रकार के लीकेज को कॉइल्स डाल कर सील कर दिया जाता है।

डॉक्टर तरुण माथुर, कंसल्टेंट, इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजिस्ट, पारस जेके अस्पताल, उदयपुर ने कहा, “फ्लो डाइवर्टर दरअसल एन्युरिज्म को ठीक करने का एक नया और बेहतरीन विकल्प है। इसे एक प्रकार से कुछ हद तक हृदय में पड़ने वाले स्टेंट की तरह समझा जा सकता है। इसमें चीर फाड़ का तो जोखिम कम होता ही है साथ ही बहुत खून बहने का भी खतरा नहीं होता। मरीज़ को भी जल्दी अस्पताल से छुट्टी भी मिल जाती है।“

इस तरह के केस में जितनी जल्दी इलाज शुरू कर दिया जाए मरीज़ के बेहतर होने की सम्भावना भी  उतनी ही बढ़ जाती है, इसलिए ज़रूरी है कि किसी भी तरह की मस्तिष्क संबंधी समस्याओं को नज़रअंदाज़ ना किया जाए। असामान्य सरदर्द, सरदर्द के साथ चक्कर व उलटी आना, बेहोशी आना आदि जैसे लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।


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