रेल गाडयों को टक्कर से बचाने के लिए पूर्णतया स्वदेशी प्रणाली ’’कवच‘‘ विकसित

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Published on : 08 Oct, 21 09:10

रेल गाडयों के सुरक्षित एवं संरक्षित संचालन में होगी वृद्धि

रेल गाडयों को टक्कर से बचाने के लिए पूर्णतया स्वदेशी प्रणाली ’’कवच‘‘ विकसित

रेलवे द्वारा रेलवे की टकराने की घटना को रोकने के लिए पूर्ण रूप से स्वदेशी प्रणाली TCAS ¼Train collision Avoidance system½ विकसित की गई है।
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंफ अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार भारतीय रेलवे पर सिग्नल को लाल अवस्था में (अर्थात् रूकने के संकेत) में पार न करने, अनुमत गति से अधिक गति से ट्रेन ना चलाने एवं आमने-सामने टकराने वाले दुर्घटनाओं को रोकने हेतु बचाव प्रणाली TCAS विकसित की गई है जिसे ’कवच‘ नाम दिया गया है। यह प्रणाली सैटेलाइट द्वारा रेडियो कम्युनिकेशन के माध्यम से लोकोमोटिव एवं स्टेशनों पर आपस में संबंध स्थापित करती है। इसके द्वारा लोको पायलेट को जहां एक और आगे आने वाले सिग्नलों की स्थिति के बारे में पता चलता है वही दूसरी ओर उसे लाइन पर रुकावट/रोक का पता भी चल जाता है। इसके साथ ही इस प्रणाली से सिग्नल की लोकेशन एवं आने वाले सिग्नल की दूरी का भी पता चल जाता है, जिससे लोको पायलेट अधिक प्रभावी ढंग से गाडी का परिचालन कर पाता है। जब किसी लाइन पर अन्य गाडी के आने या खडी रहने आदि अवरोध का पता लगते ही यह प्रणाली सक्रिय होकर लोको पायलट को सचेत करती है एवं निश्चित अवधि पर स्वतः ही गाडी में ब्रेक लगा देती है, जिससे किसी भी अनहोनी घटना को रोका जा सके। 

उत्तर पश्चिम रेलवे पर यह प्रणाली १५८६ किलोमीटर रेल लाइनों पर लगाने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी प्राप्त हो गई है, जिसे शीघ्र ही पूर्ण कर लिया जाएगा। उत्तर पश्चिम रेलवे पर यह ’कवच‘ प्रणाली रेवाडी-पालनपुर वाया जयपुर, जयपुर-सवाई माधोपुर, उदयपुर-चित्तौडगढ, फुलेरा-जोधपुर-मारवाड एवं लूनी-भीलडी के १५८६ किमी रेल खंड पर स्वीकृत की गई है। इसके प्रणाली के लगने से जहां एक और रेलों के सुरक्षित एवं संरक्षित संचालन में वृद्धि होगी वहीं दूसरी ओर लोको पायलेट द्वारा सिगनलों की स्थिति की सटीक जानकारी मिलने से गाडी की औसत गति में भी वृद्धि होगी।
 


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