कविता - मजदूर का उपकार

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Published on : 05 Oct, 21 09:10

लक्ष्मीनारायण खत्री

कविता - मजदूर का उपकार

भूख के खातिर 

बना है मजदूर 

और 

जीवन भर 

रोजी कमाने 

बोझ 

उठाने को मजबूर 

मेहनत का है गरूर 

ईमान से है अमीर 

उसका 

थक हार 

जाता है शरीर 

तब रोटी मिलती है 

पेट में जरूर 

श्रम की

साधना ही संसार 

राष्ट्र निर्माण में 

इनका भी है उपकार

इनका भी हो सत्कार।

 


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