नई दिल्ली | पिछलें दिनों भगवा पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राज्य इकाई की दोदिवसीय कुम्भलगढ़ ‘चिंतन बैठक’ में उन सीटों पर विशेष ध्यान देने का फैसला किया है जिन पर अब तकभाजपा कभी नहीं जीत पाई है। बताया जाता है कि प्रदेश में ऐसी करीब 19 सीटें हैं।
पार्टी सूत्रों के अनुसार राज्य में कई बार सत्ता में रही भाजपा ने कभी इन सीटों पर जीत हासिल नहीं की है।इसलिए यह फैसला किया है कि राज्य में 2023 के अन्तिम महीनों में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव कीतैयारी के दौरान इन विधानसभा क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाए। भाजपा उन सीटों पर अपने संगठन को भीमजबूत कर रही है।
वर्ष 2018 में हुए पिछले विधानसभा चुनावों में, भाजपा की कांग्रेस से हार हुई थी। राज्य की 200 सदस्योंवाली विधानसभा में इस समय कांग्रेस के 106 सदस्य हैं, जबकि भाजपा के 71 हैं । उदयपुर संभाग की दोसीटें वल्लभ नगर और धरियावद अभी खाली हैं।
पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि राज्य में भाजपा द्वारा अभी तक अविजित 19 विधानसभाक्षेत्रों में संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।
उन्होंने कहा, “हम अगले राज्य चुनावों में इन सीटों को जीतने के लिए काम कर रहे हैं। इन सीटों में विधानसभाकी कुल ताकत का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा शामिल है। इन निर्वाचन क्षेत्रों को जीतकर, हम अपनी पार्टी कोएक नए क्षेत्र में विस्तारित करने में सक्षम होंगे।”
पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने दावा किया कि पार्टी द्वारा इन सीटों को जीतने से न केवल विधानसभा में भाजपाकी संख्या बढ़ेगी, बल्कि मौजूदा सीटों के किसी भी संभावित नुकसान को संतुलित करने के साथ ही सत्ताधारीकांग्रेस और अन्य दलों को कमजोर करने में मदद मिलेगी।
भाजपा सूत्रों के अनुसार पार्टी की राज्य इकाई जल्द ही इन 19 विधानसभा क्षेत्रों में वहां के स्थानीय नेतृत्व कोभी चुनाव के लिए तैयार करेंगी।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “किसी भी चुनाव को जीतने के लिए पहला मानदंड जमीन पर मजबूतसंगठनात्मक ढांचे की मौजूदगी और दूसरा मजबूत स्थानीय नेतृत्व की मौजूदगी है। हम इन विधानसभा क्षेत्रों मेंदोनों मुद्दों को हल करने की योजना को अंतिम रूप दे रहे हैं।” गुजरात माडल पर पन्ना प्रमुख और उप प्रमुख भीइसी रणनीति का हिस्सा है।
भाजपा नेतृत्व का मानना है कि राजस्थान की वर्तमान कांग्रेस सरकार के खिलाफ मजबूत सत्ता विरोधी लहर हैऔर इन 19 सीटों को भी जीतकर भाजपा प्रदेश में अगला विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जनादेश के साथवापसी सकती है।
इधर कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि भाजपा की अंदरूनी गुटबाज़ी और अंतर्कलह के कारण इस बार प्रदेशमें पाँच साल का एक टर्म कांग्रेस और एक टर्म भाजपा की स्थापित हो गई परम्परा टूटेगी और कोरोना काल मेंकिए गए अच्छे कामों का लाभ कांग्रेस पार्टी को मिलेगा।