उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में आयड़ की तपागच्छ स्थली आयड़ तीर्थ पर वर्षावास कर रहे आचार्य श्री मृदुरत्नसागर सूरिश्वर जी ने सोमवार को धर्मसभा में कहा कि जहां संग्रह है वहां दुःख है। धन की आसक्ति और मोह व्यक्ति को दुःखी बनाती है, भव बिगाड़ती है। इतना जानने के बाद भी लोग भौतिक चीजों को जोड़ने में, इकट्ठा करने में लगे है। काम आये या ना आये इकट्ठा करने का भी एक जुनून हो गया है। मोह माया के जाल में पड़कर ही इंसान दुःखी है। इसलिए हम संग्रह नहीं उपयोग करना सीखें।
महासभा के मंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि सोमवार को कल्पावली और आदिनाथ चरित्र शास्त्र को लाभार्थी अशोक जैन एवं नरेंद्र मेहता परिवार ने आचार्य मृदुरत्नसागर सूरिश्वर जी को बोहराया। आचार्य श्री की इन शास्त्रों पर प्रवचन माला होगी।