महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर को ’क्यूरेटोरियल इनोवेशन‘ के लिए गेटी अवार्ड ग्रांट

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Published on : 26 Jul, 21 11:07

महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर को ’क्यूरेटोरियल इनोवेशन‘ के लिए गेटी अवार्ड ग्रांट

उदयपुर ।  महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के सिटी पेलेस संग्रहालय को ’क्यूरेटोरियल इनोवेशन‘ के लिए ’गेटी अवार्ड ग्रांट‘ प्रदान की गई है।

फाउण्डेशन के संग्रहालय को प्रदान की गई यह ग्रांट मुख्यतः ‘पेपर प्रोजेक्ट‘ का हिस्सा है जिससे की भविष्य में वहां के संग्रह को आसानी से समझा जा सके और उनका सुविधाजनक तरीकें से रख-रखाव किया जा सके। गेटी फाउण्डेशन ’पेपर प्रोजेक्ट’ के तहत १.५५ मिलियन डालर के १९ नये अनुदान इस बार ग्राफिक आर्ट्स को केन्द्र में रख प्रदर्शनियों, प्रकाशनों और डिजिटल परियोजनाओं को सहायता प्रदान करेगा।

प्रिंट और ड्राइंग ’क्यूरेटोरियल इनोवेशन’ अब तक का एक अनसुना-सा क्षेत्र है। जो संग्रहालयों में प्रदर्शित संग्रह को स्थायी रूप से एक स्टोरी के रूप में प्रदर्शित करने का कार्य करेगा। २०१८ में लॉन्च किये गये ’पेपर प्रोजेक्ट’ फंड से दुनियाभर के क्यूरेटर के व्यवसायिक विकास और प्रयोगात्मक परियोजनाओं को साकार रूप प्रदान करेगा, जो २१वीं सदी में अध्ययन कर्ताओं के लिए ग्राफिक कला संग्रह को प्रिंट और ड्राॅइंग के मार्फत सरल व प्रासंगिक बनाएगा।

गेटी फाउण्डेशन द्वारा महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन के सिटी पेलेस म्युजियम को १८वीं से २०वीं शताब्दी के नक्शे और परिदृश्यों पर प्रदर्शनी, प्रकाशन आदि के लिए यह ग्रांट प्रदान की है, जिसकी प्रोजेक्ट क्यूरेटर डॉ. शैलका मिश्रा, हैदराबाद रहेंगी।

नक्शा निर्माण (मैपमेकिंग) १७०० के दशक से पूर्व ही उदयपुर के दृश्य-प्रदर्शनों की सूची का एक अहम हिस्सा रहा है। क्यकि मेवाड राजवंश के दरबारी कलाकारों द्वारा बनाये जाने वाले भवनों और उसके भू-भाग का वास्तविक रूप में चित्रित किया जाता रहा। फाउण्डेशन के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि अंग्रेजों के अधीन औपनिवेशिक कार्टोग्राफी आने के बाद से इस विद्या में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए, जिससे इन्हें आगे नई तकनीक के साथ प्रस्तुत किया जाने लगा।

सिटी पेलेस संग्रहालय में २ हजार से अधिक नक्शें, वास्तुशिल्प चित्र एवं परिदृश्य संग्रहित हैं, जिन्हें अब तक कहीं भी प्रदर्शित नहीं किया गया है। क्यूरेटर शैलका मिश्रा फाउण्डेशन के २ शताब्दियों के संग्रहित महत्वपूर्ण दस्तावेजों का अध्ययन कर, इसे ’झीलों की नगरी’ की कलात्मक योजना को सचित्र दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत करेंगी। 

गेटी फाउण्डेशन के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी हीथर मैकडोनाल्ड कहते हैं ’’स्थायी रूप से संग्रहित प्रिंट और चित्र सही मायने में संग्रहालयों, अभिलेखागार और पुस्तकालयों के जीवनदाता ह।‘

कई देशों में ’क्यूरेटोरियल प्रोजेक्ट‘ प्रिन्ट और ड्राॅइंग के संग्रह से अपने देश का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। जहां ये अपनी पाण्डुलिपियों, वास्तुशिल्प योजनाओं, मानचित्रों आदि को कागज पर प्रिंट करते है और नवीन डिजिटल संसाधनों का सहारा लेते हुए बारीकी के साथ विस्तृत रूप से विभिन्न गैलेरियों में दर्शकों के सम्मुख प्रदर्शित करते हैं, ऐसी प्रदर्शनियों में इन्हीं से सम्बन्धित पत्रिकाएं, पोस्टर आदि की अध्ययन की दृष्टि से भी मांग रहती है।

ऐसी कई परियोजनाएं संग्रह, तकनीक और कलाकारों पर भी केन्दि्रत होगी। गेटी द्वारा अफ्रीकी महाद्वीप के इतिहास, संग्रहों, विरासतों आदि के लिए भी विभिन्न अनुदान दिये गए है ताकि इन्हें भी आधुनिकता के साथ जोडे रखा जा सके। डिजिटल परियोजनाओं में आ रही बाधाओं को दूर करने में गेटी फाउण्डेशन हर सम्भव मदद कर रहा हैं ताकि ऐसी बहुमूल्य विभिन्न सामग्री को नए रूप में संग्रहित किया जा सके और उन पर और अधिक अनुसंधान सम्भव हो सके जो भविष्य में अध्ययन के लिए सुलभ हो सके।

गेटी फाउण्डेशन एक ऐसा अग्रणी वैश्विक संगठन है जो विश्व की कलात्मक और सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण हेतु प्रतिबद्ध है। दुनियाभर में कई भागीदारों के साथ मिलकर अमेरिका का गेटी फाउण्डेशन ’गेटी कंजर्वेशन इंस्टीट्यूट‘, ’गेटी म्यूजियम‘ और ’गेटी रिसर्च इंस्टीट्यूट‘ इकाइयों के माध्यम से दुनिया की विभिन्न संस्कृतियों और विरासतों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए पूर्ण रूप से समर्पित हैं। गेटी ऑनलाइन कार्यक्रमों के माध्यम से भी शिक्षा एवं विभिन्न कला का ज्ञान प्रदान करता है और लॉस एंजिल्स स्थित गेटी सेन्टर एवं गेटी विला में आमजन को निःशुल्क अध्ययन हेतु आमंत्रित करते है।

गेटी फाउण्डेशन की अधिक जानकारी ूूूण्हमजजलण्मकनधिवनदकंजपवद पर उपलब्ध है।

मेवाड के महाराणा भगवतसिंह मेवाड ने वर्ष १९६९ में महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की स्थापना मेवाड की प्रजा की सांस्कृतिक विरासत और सम्मानित परम्पराओं की रक्षा और संरक्षण के लिए की और ४०० वर्ष पुराने उदयपुर के सिटी पेलेस को म्युजियम के रूप में स्थापित कर विकसित किया। उनके द्वारा स्थापित सिटी पेलेस म्युजियम आज देश-विदेश के पर्यटकों की पसन्दीदा स्थानों में से एक है। पर्यटकों की सुविधा एवं रख-रखाव के संदर्भ में सिटी पेलेस म्युजियम में कई आवश्यक बदलाव भी किये गये। फाउण्डेशन अपने ५२ वर्ष पूर्ण कर रहा है।

१९६९ से लेकर अब तक महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन के क्रिया-कलापों एवं सिटी पेलेस म्युजियम के कई अविस्मर्णिय पल एवं संस्मरण रहे हैं जो फाउण्डेशन के लिए एक इतिहास बन गया है। महाराणा भगवत सिंह मेवाड द्वारा फाउण्डेशन के उद्देश्यों के अनुरूप विकास व कार्यों को प्रमुखता दी गई है, जिसे न केवल भारत के पर्यटकों ने बल्कि विश्व के कई देशों के पर्यटकों ने भी सराहा है। यही नहीं उदयपुर एवं सिटी पेलेस म्युजियम की ख्याति से यहाँ कई देशी-विदेशी फिल्मों की शुटिंग होती आई है। जिससे हम अपने विश्व विख्यात शहर पर गर्व कर सकते है।

सिटी पेलेस संग्रहालय में छठी शताब्दी से अब तक के वस्त्र एवं परिधान, पेन्टिग्स, ऐतिहासिक तस्वीरें, मूर्तियां, हथियार और कवच आदि वस्तुओं का अद्वितीय और उल्लेखनीय संग्रह है। यह असाधारण संग्रह कला, वास्तुकला, धर्म, संस्कृति आदि का मेवाड की जीवित विरासत पर प्रकाश डालता है।

महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन पब्लिक ट्रस्ट एक्ट १९५९ के तहत पंजीकृत एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट है। वर्तमान में फाउण्डेशन के अध्यक्ष एवं प्रबंध न्यासी श्रीजी अरविन्द सिंह मेवाड हैं। मेवाड ने अपनी संस्कृति, रीति-रिवाज, सेवाधर्म आदि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई है, जो समस्त मेवाडवासियों के लिए गौरव का विषय है। यह आने वाली पीढयों के लिए एक ’प्रेरणा का मन्दिर‘ है, जो ’अनन्त मेवाड‘ है।

 

 


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