सामुदायिक विकास हेतु अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें एलुमिनी : डॉ.नरेंद्र सिंह  राठौड़

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Published on : 24 Jul, 21 05:07

सामुदायिक विकास हेतु अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें एलुमिनी : डॉ.नरेंद्र सिंह  राठौड़

ये विचार के तथा उदघाटन समारोह के मुख्य अतिथि ,ये विचार डॉ.नरेंद्र सिंह राठौड़,माननीय कुलपति,महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,उदयपुर ने सामुदायिक एवं व्यावहारिकविज्ञान महाविद्यालय एवम होम साइंस एलुमनी एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में दवरा आयोजित " सामुदायिक विज्ञान: सामुदायिक लामबंदी के माध्यम से महिला सशक्तिकरण की ओर अग्रसर “विषयक राष्ट्रीय वेबिनार के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किये। आपने शीर्षक  की विवेचनात्मक व्याख्या करते हुए चारों शब्दों  यथा एलुमनी,कम्युनिटी साइंस ,वीमेन एम्पावरमेंट एवम कम्युनिटी मोबॉलिज़शन के विषय में बताते हुए कहा की चारों परस्पर अन्तर्सम्बन्धित और अंतर्निर्भर हैं .गृहविज्ञान विषय के नामकरण को सामुदायिक विज्ञान में परिवर्तित  होने के कारण इस और समानुपातिक प्रयास आवशयक हैं ताकि समाजीकरण ,सामाजिक नियंत्रण और सामाजिक भागीदारी की ओर पूर्ण मति व् गति से अग्रसर हो सकें .आपने किसी भी संस्था के एलुमनी को असोसिएट्स ,लीडर्स बताया और कहा की वे प्रबंधन टूल्स तथा नेटवर्किंग  को समझकर नवाचार करके संस्था की वर्तमान पीढ़ी को दिशा निर्देश दे सकें .आपने कहा की महिला सशक्तिकरण के बिना सतत विकास की कल्पना व्यर्थ है ,साथ ही इसके बहुआयामी विशेषताओं पर प्रकाश डाला |
    महाविद्यालय की पूर्व अधिष्ठाता एवम होम साइंस एलुमनी एसोसिएशन एसोसिएशन की वर्तमान अध्यक्ष डॉ .रितु सिंघवी ने स्वागत करते हुए कहा की वेबिनार का शीर्षक वर्तमान परिदृश्य के अनुसार बहुत ही प्रासंगिक है .

         परिचायत्मक टिप्पणी प्रस्तुत करते हुए डॉ. मीनू श्रीवास्तव अधिष्ठाता ,सामुदायिक एवम व्यवहारिक विज्ञान महाविद्यालय ने कहा की पूरे विश्व में महिलाओं की स्थिति को सशक्त बनाने पर ज़ोर दिया जाता है। शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का सबसे महत्वपूर्ण साधन है। शिक्षा महिलाओं में व्यक्तित्व विकास, सामाजिक विकास, उत्पादक क्षमता, सामाजिक एकीकरण, आत्मनिर्भरता और राजनीतिक समझ के लिए नितांत  आवश्यक  है। सामुदायिक विज्ञान शिक्षा इन आवश्यकताओं को प्राप्त करने का  सही साधन है। सामुदायिक विज्ञान शिक्षा ने यह साबित कर दिया है कि महिलाएं  गृहिणी होने के साथ-साथ एक शिक्षक, शोधकर्ता, उद्यमी और प्रशासक भी  हो सकती हैं। ये  सर्वविदित  है  की  किसी  भी  राष्ट्र  के  विकास  में  महिलाओं  का  अहम  योगदान  होता  है अतः  उनका  सशक्तिकरण  ना  केवल  आवश्यक  है  बल्कि  अनिवार्य  है। जिसमें  उनके  परिवार  ,समाज  और  राष्ट्र  महत्वपूर्ण  भूमिका  निभाते  हैं। सामुदायिक विज्ञान का  पाठ्यक्रम  इन्हें  पहलुओं  को  ध्यान  में  रख  कर  बनाया गया है। सशक्तिकरण एक सक्रिय बहुआयामी प्रक्रिया है जो महिलाओं को सक्षम बनाती है यह जीवन के हर क्षेत्र में महिला की क्षमता के  उपयोग की  पक्षधर  है । संस्था की पूर्व छात्राओं ने  विभिन्न क्षेत्रों में अपना परचम फहराया है जिनमें राजनीती की मैडम  बीना काक, नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग, नई दिल्ली की डॉ. पूनम अग्रवाल , आई. आई. ऍफ़. एल. की श्रीमती मधु जैन प्रमुख हैं | सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय उदयपुर सामुदायिक विज्ञान शिक्षा“ के माध्यम से महिलाओं  के  बहुआयामी  सशक्तिकरण हेतु निरंतर प्रयासरत हैं।

परिचायत्मक टिप्पणी प्रस्तुत करते हुए डॉ. सुधा बाबेल, प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष होम साइंस एलुमनी एसोसिएशन की वर्तमान महासचिव ने बताया की वर्ष 2011 में मात्र 45 सदस्यों के साथ शुरू की गई इस एसोसिएशन में फिलहाल 400 सदस्य हैं | तत्कालीन अधिष्ठाता डॉ. आरती सांखला तथा संस्थापक अध्यक्ष डॉ- विभा भटनागर   के अथक प्रयासों से यह संभव हो पाया है |


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