श्रमसाध्यता से ही अधिकाधिक कार्य संभव":डॉ .हेमू राठौड़

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Published on : 24 Jul, 21 04:07

श्रमसाध्यता से ही अधिकाधिक कार्य संभव":डॉ .हेमू राठौड़

अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना-गृह विज्ञान, अनुसंधान निदेशालय ,महाराणा प्रताप कृषि एवम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर , केंद्रीय महिला कृषि संस्थान, भुबनेश्वर ,उड़ीसा, तथा जतन संस्थान उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में  जुलाई से १ अगस्त तक मनाये जाने वाले राष्ट्रीय कार्यक्रम “आजादी का अमृत महोत्सव” के तहत   आयोजित की गई सात दिवसीय  व्याख्यान श्रंखला के द्वितीय सत्र व्यावसायिक संकट और श्रमसाध्यता विषयक . "विषयक व्याख्यान संपन्न हुआ।

कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉ. सुधा बाबेल, प्रोफेसर/ वैज्ञानिक और इकाई  समन्वयक, अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना-गृह विज्ञान द्वारा दिए गए स्वागत उद्बोधन से हुआ। आपने राष्ट्र  स्तरीय चलाये जा रहे कार्यक्रम को प्रासंगिक बताते हुए कहा की ऐसे सत्रों में बताई विविध जानकारी से निश्चय ही प्रतिभागियों को विषय विशेष के बारे में नवीनतम जानकारी मिलेगी जिसका प्रयोग वे अपने दैनंदिन जीवन में कर पाएंगे .   

   मुख्य वक्ता डॉ .हेमू राठौड़, एसोसिएट प्रोफेसर/ वैज्ञानिक व विभागाध्यक्ष, संसाधन प्रबंधन एवम उपभोक्ता विज्ञान विभाग ने कहा की अक्सर हम लोग कार्यस्थल के भौतिक वातावरण हिसाब से खुद को समायोजित करते रहते हैं जबकि ज़रूरत इस बात की है की हम कार्यस्थल के भौतिक वातावरण यथा फर्नीचर ,लाइट आदि को अपने हिसाब से बनाएं ताकि मांसपेशियों सम्बन्धी कठिनाइयों से बचा जा सके .यदि ऐसा नहीं होता तो व्यक्ति थकान के कारण अपनी पूरी कार्य कुशलता का प्रयोग नहीं कर पाता,निष्कर्षतः संस्था के विकास की गति बाधक होती है .प्रशोत्तरी के माध्यम से आपने शारीरिक और मानसिक थकान का कारण तथा निवारण पर चर्चा की .

 आयोजन सचिव   डॉ. गायत्री तिवारी, एसोसिएट प्रोफेसर / वैज्ञानिक व विभागाध्यक्ष, मानव विकास तथा पारिवारिक अध्य्यन विभाग ने की संतुलित जीवन में तन -मन का समानुपातिक संतुलन बहुत ज़रूरी है अन्यथा जीवन की गुणवत्ता पर दुष्प्रभाव पड़ता है .आपने प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी को आयोजन की सफलता का द्योतक बताते हुए ध्यावाद ज्ञापन के साथ सत्रांत किया .

 


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