जीवोत्थान पंचांगम् एवं सांकेतिक जन्म राशि फलानुमान (पाक्षिक समेकित राशि फल सहित) {#यह सेवा जिन सज्जनों के लिए काम आ सके तदर्थ है।ज्योतिर्विद- सुविज्ञों के लिए आवश्यक नहीं# }
(महर्षि यादवेन्द्र शिक्षा शास्त्री, Rtd RES, भाषात्रयी साहित्यकार)
Jeevotthan Panchangam, Sanskaritam - Evam Janm Rashi Falanuman
दिनांके -(आँग्ल)23/07 /2021, शुक्रवार
राष्ट्रीय भारतीय दिनांक 01/05/1943
01श्रावण मास1943
सृष्टिगतसौरार्कदिनांक -
06/04
/1955885122#(# पंचांगकारानुसार वर्ष, दैनिक सूर्योदय कालीन सूर्य संक्रांति राशि - अंशतः अंकतः स्थानीय व्यवस्था)
भारतीय पंचांग विक्रमीय दिनांक
29/04/2078
( इसे यहाँ निम्नानुसार लिखा है - सूर्योदयी तिथि सौरतः कृष्ण पक्षतः या गताग्र /पूर्णिमांत चैत्रादि मास /विक्रम संवत्|तिथि /मास में वृद्धि)
चतुर्दशी, शुक्ल पक्ष
आषाढ
तिथि चतुर्दशी10:42:53तक ।तदग्रे पूर्णिमा
पक्ष शुक्ल
नक्षत्र पूर्वाषाढा14:24:39
योग वैधृति09:21:52
करण वणिज10:42:52
करण विष्टि भद्रा21:22:20
माह (अमावस्यांत)आषाढ
माह (पूर्णिमांत)आषाढ
चन्द्र राशि धनु 19:56:39तक।
चन्द्र राशि मकर 19:56:39से।
सूर्य राशि कर्क
सूर्योदय06:02:05
सूर्यास्त19:23:20
दिन काल13:21:15
रात्री काल10:39:12
चंद्रास्त06:38:24
चंद्रोदय19:03:20
सूर्योदयलग्न कर्क6°15' ,
'सूर्य नक्षत्र पुष्य
चन्द्र नक्षत्र पूर्वाषाढा
आज के नामकरणाक्षर
पद, चरण3 फा पूर्वाषाढा08:53:32
4 ढा पूर्वाषाढा14:24:39
1 भे उत्तराषाढा19:56:39
2 भो उत्तराषाढा25:29:39*
मुहूर्त
राहू काल11:03 - 12:43अशुभ
यम घंटा16:03 - 17:43अशुभ
अभिजित्12:16 -13:09शुभ
दूर मुहूर्त08:42 - 09:36अशुभ
दूर मुहूर्त13:09 - 14:03अशुभ
चोघडिया, दिन
चर06:02 - 07:42शुभ
लाभ07:42 - 09:22शुभ
अमृत09:22 - 11:03शुभ
काल11:03 - 12:43अशुभ
शुभ12:43 - 14:23शुभ
रोग14:23 - 16:03अशुभ
उद्वेग16:03 - 17:43अशुभ
चर17:43 - 19:23शुभ
चोघडिया, रात
रोग19:23 - 20:43अशुभ
काल20:43 - 22:03अशुभ
लाभ22:03 - 23:23शुभ
उद्वेग23:23 - 24:43*अशुभ
शुभ24:43* - 26:03*शुभ
अमृत26:03* - 27:23*शुभ
चर27:23* - 28:43*शुभ
रोग28:43* - 30:03*अशुभ
होरा(वारों की प्रकृति तथा करणीय शुभ कामों के अनुसार उपयोगी)
होरा, दिन
शुक्र06:02 - 07:09
बुध07:09 - 08:16
चन्द्र08:16 - 09:22
शनि09:22 - 10:29
बृहस्पति10:29 - 11:36
मंगल11:36 - 12:43
सूर्य12:43 - 13:49
शुक्र13:49 - 14:56
बुध14:56 - 16:03
चन्द्र16:03 - 17:10
शनि17:10 - 18:17
बृहस्पति18:17 - 19:23
होरा, रात
मंगल19:23 - 20:17
सूर्य20:17 - 21:10
शुक्र21:10 - 22:03
बुध22:03 - 22:56
चन्द्र22:56 - 23:50
शनि23:50 - 24:43*
बृहस्पति24:43* - 25:36*
मंगल25:36* - 26:29*
सूर्य26:29* - 27:23*
शुक्र27:23* - 28:16*
बुध28:16* - 29:09*
चन्द्र29:09* - 30:03*
++++++++++++++++
विशेष विवेचन - आकाशदर्शन/स्वाध्याय बोध - गुरु /व्यास पीठ पूजा -पूर्णिमा पूजन। संन्यासियों के चातुर्मास प्रारंभ ।पूर्णिमा व्रत । वायु परीक्षा । शिव शयनोत्सव। राष्ट्रिय श्रावण प्रारंभ। अग्नि से ईशान दिशा प्रभावित। वणिक् जनहित योजना । शिक्षा-तकनीकी एवं विद्वत् सज्जन में किसी प्रकरण में नव चिंतन । ग्राफिक्स अन्य शुभता प्रभावित पर। । ##############
*अन्तिम कालम अन्त समाप्तिकाल है।
*समय आधी रात के बाद, लेकिन अगले दिन के सूर्योदय से पहले। तिथि - वार- नक्षत्र - योग - करण पंचांग में किसी के अशुभ प्रभाव में शुभाधिक्यता में सुयोग की तथा भद्रादि के यथा परिहार की मान्यता प्रचलित। कहीं स्थानीय यथाव्यवस्था देशाचारीय मान्यता से व्रतपर्वोत्सवोंकी व्यावहारिकता प्रचलित । जीवोत्थान स्थानीय देशान्तर - अक्षांश पर संगणित। विशेषार्थ आपके स्थलीय पंचांग दृष्टव्य।
@जीवोत्थान जन्म राशि फलानुमान @
##################
जन्मराशितःआज सांकेतिक फलानुमान
(विशेषार्थ स्वजन्म पत्रिका दृष्टव्य) (एकन्दर राशि फल बोध
++++++++++++
वृश्चिक मीन धन सिंह राशि वालों के लिये दिनमान के मिश्रित , वृष मिथुन कन्या तुला मकर के लिए अड़चन फलद समय तथा अन्य हेतु अपेक्षाकृत दिनमान ठीक।)
जन्म राशि - - - - - समेकित फलानुमान
मेष - अच्छा 63 %
वृष. - उलझन 58 %
मिथुन - मिश्रित 50 %
कर्क. - अनुकूलता 59 %
सिंह. - मिश्रित 61 %
कन्या. - अवरोध 56 %
तुला. परेशानी 66 %
वृश्चिक. - मिश्रित 61 %
धन. - ठीक ठाक 59 %
मकर. - सुधार 61 %
कुंभ. - अच्छा 63 %
मीन. - मिश्रित 58 %
विशेष - दिन शुद्धि सामान्यतः मिश्रित फलद है।
जीवोत्थान पाक्षिक जन्म राशि समेकित फलानुमान
====================
(जुलाई उत्तरार्द्ध )
मेष - - मिश्रित
वृष - - - - उलझन
मिथुन - - - - - - सुधार
कर्क - - - - - अवरोध ।
सिंह - - - - -उलझन
कन्या - - - - मिश्रित
तुला - - - - लाभदायक
वृश्चिक - - - - सुधार
धन - - - - - - - - - मिश्रित
मकर - - - - - मिश्रित
कुंभ - - - - - - -अच्छा
मीन - - - - - - अनुकूल
भारत की अद्वितीय विशेषताओं का,
अनवरत् दिव्यामृतपान करनाहै।
"ब्रह्माण्डोत्थान" हेतु मानवादर्श का,
'जीवोत्थान 'सदाश्रय को अपनाना है।।
ॐमहर्षि - यादवेन्द्र जीवोत्थान उदयपुर।