“फैशन परिधान लेदर और जीवनशैली उत्पाद क्षेत्र में केरियर के अवसर” एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार

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Published on : 21 Jul, 21 04:07

“फैशन परिधान लेदर और जीवनशैली उत्पाद क्षेत्र में केरियर के अवसर” एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार

वस्त्र एवं परिधान अभिकल्पन विभाग, सामुदायिक एवं व्यवहारिक विज्ञान महाविद्यालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के द्वारा आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार “फैशन परिधान लेदर और जीवनशैली उत्पाद क्षेत्र में केरियर के अवसर” के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए मुख्य अतिथि माननीय कुलपति डॉ. नरेंद्र सिंह जी राठौड़, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने उद्बोधन में बताया कि फैशन डिजाइनिंग में करियर की अपार संभावनाएं हैं जिनमें से प्रमुख है। फैशन फोटोग्राफी, फैशन व्यवसाय प्रबंधन, लग्जरी ब्रांड प्रबंधन, व्यक्तिगत स्टाइलिंग, छवि सलाहकार, एसेसरी डिजाइनिंग, आभूषण डिजाइनिंग आदि। उन्होंने यह भी कहा कि फैशन डिजाइनिंग में सफल उद्यमी बनने हेतु कौशल, योग्यता, अनुभव और ज्ञान का सही समायोजन आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि उचित समय पर उपलब्ध संभावनाओं को पहचान कर उन्हें कौशल और क्षमता द्वारा अवसर में बदलने का प्रयास करें।
विषय विशेषज्ञ डॉ. एम अरेवेन्दन वरिष्ठ प्रोफेसर, निफ्ट, लेदर डिजाइन, चेन्नई ने अपने वक्तव्य में बताया कि भारत दुनिया में वस्त्र एवं परिधान उत्पादन में चैथे स्थान पर है उन्होंने लेदर तथा उसके विभिन्न प्रकारों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की, साथ ही उन्होंने लेदर से बनने वाले विभिन्न उत्पादों को किस प्रकार मूल्य संवर्धन द्वारा अधिक आकर्षक एवं बिक्री योग्य बनाया जा सकता है। उन्होंने हस्तशिल्प क्षेत्र के लिए सरकार द्वारा संचालित विभिन्न विकास योजनाओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने प्राकृतिक तथा कृत्रिम चमड़े में अंतर, चमड़े का अनुप्रयोग, इसके प्रमुख बाजार एवं फैशन सामग्री के रूप में चमड़े के फायदे बताएं। उन्होंने कोविड-19 के पश्चात इस क्षेत्र में भविष्य की दिशाओं से भी अवगत कराया साथ ही उन्होंने लेदर एवं जीवन शैली उत्पाद क्षेत्र में उपलब्ध विभिन्न रोजगार अवसरों पर विस्तृत जानकारी दी।
अतिथियों का स्वागत उद्बोधन देते हुए डॉ. मीनू श्रीवास्तव, अधिष्ठाता, सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय ने बताया कि फैशन व लेदर डिजाइनिंग युवाओं को अपनी आविष्कारशील क्षमता को पोषित करने एवं स्वयं उद्योग और समाज के लिए विशिष्ट कौशल हासिल करने हेतु प्रेरित करता है। इस राष्ट्रीय वेबीनार का मुख्य उद्देश्य बदलते फैशन उद्योग की चुनौतियों एवं तकनीकी कौशल से अवगत करना है। जिससे विधार्थी लेदर एवं लाइफस्टाइल डिजाइनिंग के विभिन्न आयामों को जान सके। उन्होंने यह भी बताया कि चमड़ा उद्योग आज के इस बदलते प्रारूप में उभरता हुआ क्षेत्र है।
इस कार्यक्रम में डाॅ. शांति कुमार शर्मा, निदेशक अनुसंधान, डाॅ. अजय कुमार शर्मा, पी.आई., आई.डी.पी. तथा डाॅ. अरूणाभ जोशी, नोडल आॅफिसर (अकादमिक) आईडीपी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
आयोजन सचिव डाॅ. रूपल बाबेल ने बताया कि फैशन परिधान लेदर एवं जीवन शैली उत्पाद क्षेत्र में विद्यार्थियों के लिए अपार कैरियर संभावनाए है, जिसे वे अपनी क्षमता एवं कौशल द्वारा अर्जित कर सकते हैं आपने विशिष्ट वक्ता का परिचय दिया व अंत में धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस संगोष्ठी में 230 प्रतिभागियों ने देश के विभिन्न क्षेत्रों से भाग लिया। इस संगोष्ठी के सह-संयोजक डॉ सुधा बाबेल एवं डॉ. सोनू मेहता थे। कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग मीनाक्षी मिश्रा का रहा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सोनू मेहता द्वारा किया गया।
 


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