क्षमतानुरूप अनुभव प्रदान करना भावी सुदृढ़ विकास की सुनिश्चितता के लिए अनिवार्य: डॉ. मीनू श्रीवास्तव

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Published on : 10 Jul, 21 11:07

क्षमतानुरूप अनुभव प्रदान करना भावी सुदृढ़ विकास की सुनिश्चितता के लिए अनिवार्य: डॉ. मीनू श्रीवास्तव

ये विचार डॉ।  मीनू श्रीवास्तव ,डीन,सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय , उदयपुर द्वारा  मानव विकास और परिवार अध्ययन विभाग विभाग में संचालित लेबोरेटरी नर्सरी के नवप्रवेशित बालकों के अभिभावकों हेतु आयोजित एक सप्ताह के  आमुखीकरण प्रशिक्षण के समापन समारोह में व्यक्त किए गए। आपने विगत सत्र के दौरान प्रयोगात्मक रूप से संचालित किये गए प्री  नर्सरी और नर्सरी के सफलतापूर्वक संचालन की बधाई देते हुए कहा की विभाग द्वारा व्हाटस ऍप ग्रुप में शेयर  किये गए विस्तृत लेसन प्लान के आधार पर अभिभावकों द्वारा सारी गतिविधियों  को स्वयं करवाना निःसंदेह प्रशंसनीय है। तुलनात्मक रूप से इस वर्ष और अधिक बालकों का प्रवेश अभिभावकों के सहयोग तथा विभाग के सदस्यों के समर्पण व् निष्ठा का ध्योतक है। आपने कहा की क्षमतानुरूप अनुभव प्रदान करना भावी सुदृढ़ विकास की सुनिश्चितता के लिए अनिवार्य है.

विभागाध्यक्ष डॉ. गायत्री तिवारी ने बताया की कोविड के दौरान सरकार और विश्वविद्यालय द्वारा जारी किये गए दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए ही नर्सरी का संचालन किया जा रहा है।  गुजश्ता  55  वर्षों से चल रही ये नर्सरी प्रयोगशाला ना सिर्फ शहर में अपितु संभाग भर में अनूठी है। जो की देश भर के राज्य कृषि विश्वविद्यालय से संलग्न गृह विज्ञान /सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय का अभिन्न अंग है ।  जो इसकी छात्राओं के प्रायोगिक अनुभव को ध्यान में रखते हुए संचालित की जाती है ताकि भविष्य में वे स्वयं स्वरोजगार के लिए तैयार हो सकें और विषय की गहनता को समझ सकें। वर्तमान परिपेक्ष्य में चलाई जा रही गतिविधियों का मुख्य उद्देश्य सही समय पर बालकों को विकासात्मक संप्रत्ययों अथवा रेडीनेस कॉन्सेप्ट्स से रूबरू करवाना है। ताकि उनका सर्वतोन्मुखी समानुपातिक विकास हो सके और वे आगामी औपचारिक शिक्षा के लिए तैयार हो सकें

सप्ताह पर्यन्त अभिभावकों को डॉ. गायत्री तिवारी ,डॉ. सुमन औदीच्य ,सुश्री विशाखा त्यागी द्वारा ऑन लाइन दिए गए प्रशिक्षण के दौरान समस्त दैनंदिन क्रियाओं यथा बाह्य खेल /गतिविधियां ,कहानी ,कविताएं ,सृजनात्मक बोध ,विज्ञान संबंधी क्रियाएं ,थ्री आर्स आदि की आवश्यकता ,विशेषता ,महत्व और संचालन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई । जिसमें सभी अभिभावकों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया। प्रश्नोत्तरी के माध्यम से जिज्ञासाओं का समाधान किया गया। इसमें विभाग की श्रीमती अरुणा व्यास ,श्रीमती अंजना कुमावत और श्रीमती रेखा राठौड़ का सराहनीय सहयोग रहा।   


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