कोरोना महामारी से नाड़ियों में होने वाले खून के थक्कों का समय से इलाज बचा सकता है पका जीवन

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Published on : 30 Jun, 21 14:06

ध्यान रहे: कोरोना महामारी से नाड़ियों में होने वाले खून के थक्कों का समय से इलाज बचा सकता है आपका जीवन

कोरोना महामारी से नाड़ियों में होने वाले खून के थक्कों का समय से इलाज बचा सकता है पका जीवन


 

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में कोरोना महामारी के दौरान कोविड एवं नॉन- कोविड सभी प्रकार के रोगियों के इलाज को गंभीरता से किया जा रहा है| कोरोना महामारी से ग्रसित रोगियों को कई दुष्प्रभावों से गुज़ारना पड़ रहा है | खासकर कोरोना महामारी की दूसरी लहर में फेफड़ों का फाइब्रोसिस, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं और मधुमेह, म्यूकोर्मिकोसिस (ब्लैक फंगस), उन लोगों की परेशानी बढ़ा दी है जो इस बीमारी से उबर चुके हैं परन्तु इसके साथ ही साथ एक और नयी वैस्कुलर की समस्या रोगियों में देखने को मिल रही है, वह है शरीर की विभिन्न नाड़ियों में खून के थक्के बनना, इस परेशानी के चलते बहुत से रोगी जो समय पर हॉस्पिटल नही पहुंच पा रहे उनके प्रभावित अंग को ऑपरेशन कर काटना भी पड़ रहा है जो कि रोगी व उसके परिवार के लिए बहुत दुखदायी है| गीतांजली हॉस्पिटल के ह्रदय शल्य व वैस्कुलर चिकित्सकों की टीम द्वारा इस तरह के 25 ऑपरेशन कर डॉक्टर्स द्वारा रोगियों को नया जीवनदान दिया गया है|

डॉ. संजय गाँधी ने बताया कि कोरोना बीमारी के चलते शरीर की मुख्य नाड़ियाँ, आर्टरीज़ में खून के बड़े- बड़े थक्के बन जाते हैं जिस कारण खून का प्रवाह रुक जाता है और जिस भी अंग का प्रवाह रुकता है उस अंग में परेशानी होना शुरू हो जाती है जैसे कि प्रभावित अंग का में दर्द होना, रंग बदल जाना और इसके पश्चात अंग काम करना बंद कर देते हैं| ऐसी स्थिति में रोगी के लक्षणों का अनदेखा ना कर यदि समय से हॉस्पिटल लाया जाये तो रोगी का समय रहते इलाज कर पता लग जाता है रोगी की कौनसी नाड़ी में खून का थक्का जमा है और उसके अनुसार रोगी का आवश्यक इलाज कर उसके प्रभावित अंग को बचाया जा सकता है|

डॉ गाँधी ने यह भी बताया कुछ पॉजिटिव रोगियों का पी.पी.ई. किट पहनकर भी ऑपरेशन किये गए हैं जिससे कि स्टाफ की सुरक्षा का भी पूर्ण ध्यान रखा जा सके|

अभी हाल ही में उदयपुर निवासी 42 वर्षीय कोरोना पॉजिटिव जोकि अन्य किसी हॉस्पिटल में भर्ती था, रोगी का सीटी स्कोर 23/ एवं रोगी ऑक्सीजन पर था| कुछ दिन पश्चात् ही रोगी को पैर में असहनीय दर्द एवं जलन शुरू हो गयी पैर काला होने लगा| रोगी का दर्द किसी भी तरह की दवा एवं इंजेक्शन से ठीक नही हो रहा था|रोगी की प्रारंभिक जांचे की गयी जिसमे पाया गया कि पैर की नाड़ी में रुकावट है| ऐसे में रोगी को वैस्कुलर सर्जन से मिलने की सलाह दी गयी| गीतांजली हॉस्पिटल आने पर रोगी की सी टी एन्जिओग्रफी की गयी, रिपोर्ट में रोगी की सबसे बड़ी आर्टरी एओर्टा में रुकावट पायी गयी| रोगी यदि क्षणिक देर से आता तो उसकी टांग काटनी पड़ती परन्तु रोगी व उसका परिवार जागरूक थे वह रोगी को समय से हॉस्पिटल ले आये | डॉ. गाँधी ने बताया कि रोगी को तुरंत ओ.टी में लेकर ऑपरेशन किया गया व रोगी की टांग को काटने से बचा लिया गया और एओर्टा में से खून के थक्के बाहर निकाल दिए गए| रोगी अभी स्वस्थ है एवं हॉस्पिटल द्वारा उसे छुट्टी दे दी गयी है|

गीतांजली हॉस्पिटल के सीईओ प्रतीम तम्बोली ने बताया कि गीतांजली मेडिसिटी पिछले 14 वर्षों से सतत् रूप से मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रूप में परिपक्व होकर चुर्मुखी चिकित्सा सेंटर बन चुका है| यहाँ जटिल से जटिल ऑपरेशन एवं प्रक्रियाएं एक ही छत के नीचे निरंतर रूप से कुशल डॉक्टर्स द्वारा की जा रही हैं|


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