वर्षा से हैं मेरी अभिलाषा-
रेगिस्तान
में आ बरस
प्यास बुझे तरस
सूखे
खेतों पर
हो रिमझिम
फसल की भरमार
तालाबों पर
हो झमाझम
पानी का हो भंडार
धोरो में हो
मूसलाधार
घास उगे अपार
जीवो का उपकार
मरुधर
मे हो
हरा-भरा श्रंगार
ऐसा हो
वर्षा का चमत्कार।