डिजीटल लर्निंग आज की महत्ती आवश्यकताः डाॅ. राठौड़

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Published on : 25 Jun, 21 05:06

डिजीटल लर्निंग आज की महत्ती आवश्यकताः डाॅ. राठौड़
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय ने माननीय राज्यपाल महोदय के स्मार्ट विलेज इनिशिएटिव के तहत् मदार व ब्राम्हणों की हुन्दर गांव का चयन किया। जिसमें आज समन्वित कृषि पद्धति द्वारा ग्राम विकास अन्तर्गत कन्दीय फसलों पर प्रशिक्षण एवं आदान वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
उक्त कार्यक्रम का आयोजन डाॅ. नरेन्द्र सिंह राठौड़ सा. माननीय कुलपति, मप्रकृप्रौविवि, उदयपुर के मुख्य आतिथ्य में किया गया। उन्होनें अपने अभिभाषण में डिजिटल लर्निंग के महत्व के बारे में बताया और कहा कि यह राष्ट्र की आवश्यकता है। उन्होनें बताया कि विश्वविद्यालय ने काॅलेज में आॅनलाईन कक्षाओं की है ताकि इस महामारी की भीषण स्थिति में बच्चांे की पढ़ाई खराब ना हो। अतः डिजीटल लर्निंग आज की एक बड़ी आवश्यकता है। इस अवसर पर माननीय कुलपति द्वारा स्कूल के बच्चों को टेबलेट भेंट करवाए गये ताकि ग्रामीण स्तर पर भी डिजीटल पद्धति को बढ़ावा मिल सके। उन्होनें छात्राओं से आव्हान किया कि वे इन्टरनेट कनेक्शन लेकर यू-ट्यूब आदि से ज्ञान प्राप्त करें। इस उपलक्ष्य पर आई.आई.एफ.एल. मुम्बई की श्रीमती मधु निर्मल जैन को धन्यवाद दिया कि उन्होनें विश्वविद्यालय के आग्रह पर राज्यपाल महोदय के स्मार्ट विलेट गांव के तहत् चयनित गांवों में 60 टेबलेट भेट किये। डाॅ. आई.जे. माथुर, ओ.एस.डी., स्मार्ट विलेज एवं पूर्व निदेशक, प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया व बताया कि गोदित गांव को भी डिजिटल गांव में बदलने की पहल आज हो रही है। साथ ही गांव के लोगों को कन्दीय फसलों के कन्द, स्प्रेयर, कोविड किट आदि वितरीत किये गये। 
इस कार्यक्रम में डाॅ. एस.एल. मून्दड़ा, निदेशक, प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर ने स्कूल की छात्राओं को 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाने वाली छात्राओं को बधाई दी और प्रोत्साहित किया कि वे सभी उन टेबलेट से बारी-बारी ज्ञान प्राप्त करेगी व साथीयों को भी समझाएगी। डाॅ. एस.के. शर्मा, निदेशक, अनुसंधान निदेशालय, उदयपुर ने विश्वविद्यालय द्वारा ग्रामीण विकास हेतु किये जा रहे अनुसंधानों के बारे में चर्चा की एवं सभी छात्राओं को स्कूली शिक्षा के बाद कृषि शिक्षा से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। 
डाॅ. दिलीप सिंह, अधिष्ठाता, राजस्थान कृषि महाविद्यालय ने कृषक भाईयों एवं बहिनों को उन्न्त कन्दीय फसलों के बारे में बताया व कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा बताये गये निर्देशों की पालना करते हुए कन्दीय फसलों को लगाने से अधिक उत्पादन मिलेगा। इस अवसर पर डाॅ. वीरेन्द्र सिंह, सह-प्राध्यापक (उद्यानिकी), श्रीमान् ओ.पी. आमेटा, ब्लाॅक शिक्षा अधिकारी ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. लतिका व्यास ने किया और धन्यवाद श्रीमती सीता मोंगिया, प्रधानाध्यापक, स्कूल मदार ने किया। 

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