अच्छे नेतृत्व का समाज के सृजनात्मक विकास में योगदान जरुरी - डॉ नरेन्द्र सिंह राठौड़

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Published on : 23 Jun, 21 04:06

अच्छे नेतृत्व का समाज के सृजनात्मक विकास में योगदान जरुरी - डॉ नरेन्द्र सिंह  राठौड़

उदयपुर, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संघटक कॉलेज राजस्थान कृषि महाविद्यालय के प्रसार शिक्षा विभाग द्वारा "युवाओं में नेतृत्व विकास :अवसर एवं साहस" विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का ऑनलाइन आयोजन किया गया ।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. शंभू सिंह सिसोदिया ने बताया कि इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ.नरेंद्र सिंह राठौड़, कुलपति, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर थे। डॉ.राठौड़ ने बताया कि नेतृत्व एक विशेष प्रकार का कौशल है जिसको प्रशिक्षण एवं अनुभव से प्राप्त किया जाता है। नेतृत्व में क्षमता एवं सामर्थ्य का होना अति आवश्यक है जिससे समाज में सृजनात्मक सुधार एवं परिवर्तन लाया जा सकता है। अपने भाषण में कुलपति महोदय ने एक अच्छे नेतृत्व का समाज के सृजनात्मक विकास के योगदान हेतु जिम्मेदारी ,जवाबदेही, पारदर्शिता, समय पर कार्य करने की प्रवृत्ति ,परेशानी मुक्त दृष्टिकोण ,संवेदनशीलता ,कार्य दक्षता, मूलभूत तत्वों में विश्वास, रचनात्मकता, इच्छा शक्ति ,कार्यक्रम आयोजन एवं संरेखण जैसी विशेषताओं का होना अति आवश्यक है। माननीय कुलपति महोदय ने अपने उद्बोधन में प्रतिभागियों को  बताया कि इस विश्वविद्यालय का नामकरण महाराणा प्रताप के नाम पर किया गया है। महाराणा प्रताप में एक कुशल नेतृत्व की विशेषताएं थी जैसे लक्ष्य की प्राप्ति हेतु मानसिक निश्चय करना ,शारीरिक शक्ति, व्यक्तिगत इच्छाशक्ति ,मूल प्रतिभा को सुरक्षित रखना, वर्तमान परिस्थितियों में प्रबंध कौशल ,समय समर्पण जिनको युवाओं द्वारा आत्मसात करके अपने क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए।
कुलपति महोदय ने यह भी बताया कि नेतृत्व को अपने कार्य का परीक्षण 360 डिग्री फीडबैक पर एवं सभी संभावित स्त्रोतों से लेना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने युवाओं में कृषि क्षेत्र में व्यवसायिक दक्षता पर जोर देते हुए कहा कि आज के समय में युवाओं को रोजगार प्राप्त करने के बजाय रोजगार प्रदाता  बनना चाहिए।
कार्यक्रम के प्रख्यात वक्ता डॉ प्रदीप कुमार शर्मा, पूर्व कुलपति शेर ए कश्मीर यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी जम्मू कश्मीर ने अपने उद्बोधन में युवाओं में नेतृत्व विकास :अवसर एवं साहस विषय पर विस्तार से अपनी बात कही  डॉ शर्मा ने अपने प्रस्तुतीकरण से बताया कि युवाओं के पास दृष्टि है जबकि वृद्धों में सपने होते हैं उन्होंने यह भी बताया कि उर्जा ही युवा है और युवा ही ऊर्जा है। इसलिए समाज के सृजनात्मक विकास के लिए युवाओं में परिवर्तन लाना होगा। जीवन में नई चुनौतियों का सामना करने के लिए युवाओं को तैयार करना होगा ,जिससे उनकी क्षमताओं का अधिक से अधिक उपयोग किया जा सके। प्रत्येक युवा के अंदर किसी कार्य को करने के प्रति एक दृष्टिहोती है जिसमें नेतृत्व विकास द्वारा वास्तविकता में बदला जा सकता है ।डॉ शर्मा ने युवाओं में नेतृत्व विकास की आवश्यकता, नेतृत्व के गुण, नेतृत्व दक्षता का विकास ,नेतृत्व एवं संचालक के बीच अंतर के बारे में विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में राजस्थान कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रोफेसर दिलीप सिंह ने अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए अपने उद्बोधन में वेबीनार के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
इस कार्यक्रम में डॉ शांति कुमार शर्मा निदेशक ,अनुसंधान ने अतिथियों द्वारा दिए गए व्याख्यान को सारांश के रूप में प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. वीरेंद्र नेपालिया , विशेषाधिकारी, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर ने किया।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. शंभू सिंह सिसोदिया ने अंत में अतिथियों , आयोजन समिति के सदस्यों  एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया एवं बताया कि इस कार्यक्रम में  650 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।


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