जल संरक्षण का संदेश है निर्जला एकादशी का व्रत

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Published on : 21 Jun, 21 08:06

-नीति गोपेन्द्र भट्ट-

जल संरक्षण का संदेश है निर्जला एकादशी का व्रत

निर्जला एकादशी इस बार 21 जून सोमवार को मनाई जाएगी। हमारे सनातम मान्यताओं तथा पौराणिक साहित्य में अनेक व्रत, उपवास, पर्व आदि बड़े हर्षोल्लास के साथ एक निश्चित तिथि पर मनाया जाता है। यदि किसी व्यक्ति को इतनी गर्मी में एक दिन बिना पानी का रहना पड़े तो क्या होगा। पृथ्वी से जल समाप्त हो जाए तो क्या होगा। इन्ही बातों को ध्यान में लाने के लिए जल का संरक्षण आवश्यक है। इस दुनिया में हम पानी निर्मित नहीं कर सकते, इसको बचाना होगा इन्हीं बातों को केन्द्रित कर एक विष्णु भगवान का अत्यंत प्रिय व्रत आता है जिसका नाम है निर्जला एकादशी, इस व्रत को पानी का एक बूंद पीए बिना तब किया जाता है जब ज्येष्ठ माह की एकादशी अर्थात ग्रीष्म ऋतु जब अपने चरम पर होती है।

हमारे महर्षियों ने प्रत्येक व्रत का पूर्णतः वैज्ञानिक विधि से निर्धारण किया है, आज जहां एक ओर लोग पानी से गाड़ी धोना साफ-सफाई के नाम पर पानी का फिजूल खर्च करने में कोई कसर नहीं छोड़ते वहीं चेन्नई जैसे अन्य महानगरों में भी पीने की पानी के अभाव को पूरा करने के लिए रेल से अन्य साधनों से सरकार पानी उपलब्ध करवाने में लगी है, पर क्या यह सरकार की जिम्मेदारी है। हमारा कोई दायित्व नहीं है। उत्तर होगा बिल्कुल प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है कि पानी का बहाव आदि अनावश्यक खर्च पर अंकुश लगाना होगा। इसीलिए महर्षियों ने प्रत्येक नागरिक को इस निर्जला एकादशी का महत्व समझाया है। पौराणिक साहित्य में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है। यही कारण है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है।

मान्यता है कि एकादशी व्रत रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। व्रती सभी सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष को जाता है। हर माह दो एकादशी तिथि आती हैं। एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में। पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 21 जून दिन सोमवार को पड़ रही है। इस दिन शिव योग के साथ सिद्ध योग भी बन रहा है। शिव योग 21 जून को शाम 05 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा। ज्योतिष शास्त्र में सिद्ध योग को अत्यंत शुभ माना जाता है। यह योग ग्रह-नक्षत्रों के शुभ संयोग से बनता है। यह योग सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला माना जाता है। इस योग में किए गए कार्यों में सफलता हासिल होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शिव का अर्थ शुभ होता है। ज्योतिष शास्त्र में इसे अतीव शुभ योग के अंतर्गत गिना जाता है। इस समय किए गए कार्यों में शुभ परिणाम प्राप्त होने की मान्यता है। निर्जला एकादशी व्रत में जल का त्याग करना होता है। इस व्रत में व्रती पानी का सेवन नहीं कर सकता है। व्रत का पारण करने के बाद ही व्रती जल का सेवन कर सकता है।

श्रीकल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय निंबाहेड़ा (चित्तौड़गढ़) के विभागाध्यक्ष ज्योतिष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार निर्जला एकादशी के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होना चाहिए । घर के मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित कर  भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक और  भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करना चाहिए । अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखना चाहिए । भगवान की आरती और  भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक वस्तुओं का भोग लगाया जाए । भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर प्रयोग करें। क्योंकि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। इस पवित्र दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें। विष्णु सहस्त्र नाम गीता आदि धार्मिक ग्रंथों को पढ़ें भगवान का कीर्तन भजन भी करें।  
 


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