विभिन्न पारिवारिक जीवन चक्र परिप्रेक्ष्य में पिताओं के लिए मुद्दे और चुनौतियाँ

( 12417 बार पढ़ी गयी)
Published on : 21 Jun, 21 04:06

विभिन्न पारिवारिक जीवन चक्र परिप्रेक्ष्य में पिताओं के लिए मुद्दे और चुनौतियाँ

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय , उदयपुर के सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय के मानव विकास और परिवार अध्ययन विभाग की छात्राओं पूजा चंदा और श्वेता चरण  द्वारा फादर्स  डे के अवसर पर ”विभिन्न पारिवारिक जीवन चक्र परिप्रेक्ष्य में पिताओं के लिए मुद्दे और चुनौतियाँ” विषयक परिचर्चा का आयोजन जूम वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर दोपहर 3:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक किया गया। अधिष्ठाता डॉ ,मीनू श्रीवास्तव ने स्वागत करते हुए कहा की परवरिश में पिता की अहम भूमिका होती है ,जिन पर वर्तमान में समझ काफी बढ़ी है।

विभागध्यक्षा डॉ. गायत्री तिवारी, ने पूरे कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों के साथ सुखद और आसान समन्वय और बातचीत की।

प्रतिभागियों में विभागध्यक्षा के सदस्यों के साथ छात्राएं उपस्थित थीं। परिचर्चा में चार श्रेणी के पिताओं  यथा पूर्व एवम उत्तर बाल्यावस्था  आयुवर्ग के बालक ,टीनएजर्स एवम बालिग़ बालक /बालिकाओं के  को शामिल किया गया।परिचर्चा ऐस परिकल्पना पर आधारित थी की हर आयुवर्ग के बालकों के पिताओं के लिए भिन्न भिन्न मुद्दे और चुनौतियां होती हैं। अनुभवों के विनिमय से प्रतिभागियों की समझ का मार्ग प्रशस्त होगा। श्री गिरधर पाल सिंह का तीन साल का एक बेटा है, डॉ. बहादुर सिंह के दो बच्चे हैं एक बेटा और एक बेटी, श्री मुकेश कुमार मीणा एक किशोर के पिता हैं और श्री अनिल मेहता दो वयस्कों के पिता हैं जो दोनों बेटियां हैं। . सभी पिताओं ने अपने अनुभव और अपने विचार साझा किए और बताया कि उनके लिए पितृत्व का तजुर्बा कैसा है। । विभिन्न आयु समूहों जैसे प्रारंभिक बचपन, मध्य बचपन, किशोर और वयस्क बच्चों के मुद्दों और चुनौतियों को प्रकाश में लाया गया। 

पिताओं ने क्रोध, पारस्परिक मुद्दों, सहकर्मी संबंधों आदि जैसे विभिन्न मुद्दों से निपटने की अपनी रणनीतियों पर भी चर्चा की। प्रत्येक उम्र के मुद्दों को हल करने के लिए कुछ दृष्टिकोण और बच्चों के विभिन्न मुद्दों को संबोधित करने के महत्व और इससे निपटने के तरीके भी सुझाए गए । पिता द्वारा बच्चों के जिज्ञासु प्रश्नों का उत्तर कैसे दिया जाए, इस प्रश्न पर एक लंबी चर्चा हुई, खासकर जब कामुकता जैसे संवेदनशील मामलों की बात आती है। विभाग के विभिन्न छात्र भी चर्चा में शामिल हुए और बड़े प्रश्न के संबंध में अपने-अपने विचार साझा किए। इसके अलावा, फादर्स डे के इतिहास और उत्पत्ति को साझा करते हुए कार्यक्रम को आगे बढ़ाया, श्वेता चरण द्वारा साझा की गई एक सुंदर कविता के साथ, सभी को फादर्स डे की शुभकामनाएं दीं। डॉ तिवारी ने सुझाव दिया कि बच्चों को पिता में परानुभूति , कारण -परिणाम की विवेचना करना ,गुणवत्तापूर्ण समय बिताने जैसे गुण होने चाहिए। इससे निश्चित रूप से लगाव बढ़ेगा और भावनात्मक अभिव्यक्ति उनके रिश्ते में खुशी, विश्वास और संतुष्टी लाएगी। कार्यक्रम संयोजन में  डॉ। स्नेहा जैन ,रेखा राठौड़,   शैलजा कमल और विशाखा त्यागी का सहयोग रहा। 

साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.