कठिन समय में उद्यमिता -अंतर्राष्ट्रीय वर्चुअल कांफ्रेंस का समापन

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Published on : 20 Jun, 21 14:06

कठिन समय में उद्यमिता -अंतर्राष्ट्रीय वर्चुअल कांफ्रेंस का समापन

प्रबंध अध्ययन संकाय, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में संचालित उद्यमिता प्रकोष्ठ एवम अटल बिहारी सेंटर फॉर एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट एंड स्किल डिवेलपमेंट के तत्वावधान में " कठिन समय में उद्यमिता " विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वर्चुअल कांफ्रेंस का समापन किया गया। इससे पूर्व उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि मिनिस्ट्री ऑफ़ एजुकेशन से डॉ. मोहित गंभीर एवं विशिष्ठ अतिथि महामहिम यूनेस्को पुरस्कार विजेता प्रो. सर बशीरूअरेमु थे । मुख्य वक्ता के रूप में इटली से प्रो. ग्रानाता थे। कांफ्रेंस के संरक्षक प्रो. अमरीका सिंह जी थे।विभिन्न स्थानों से प्रतिभागियों के शोध विद्वान और मुख्य वक्ताओं ने इस सम्मेलन को सफल बनाया।  सभी व्यक्तिगत ट्रैक की अध्यक्षता संसाधन व्यक्ति और मुख्य वक्ता ने की। 

 
इसमें दो दिन में चार सत्रों का आयोजन कल किया गया जिसमें सत्र एक के चेयरमैन प्रो. भगवान सिंह एवं को-चेयर डॉ. आनंद सोनी  तथा दो के चेयरमैन एलंगबम निक्सन सिंह तथा सह चेयर डॉ. धर्मेंद्र मेहता थे।दूसरे दिन प्रातः दो सत्रों का आयोजन किया गया जिसमे तीसरे ट्रैक में श्री लंका से 
धमिका एवं डॉ. अम्ब्रीश सिंह सह चेयर थे।  चौथे सत्र में कश्मीर विश्वविद्यालय के प्रो बसीर एवम  डॉ. आशीष माथुर थे. समापन समारोह 1 बजे आयोजित किया गया। अतिथियों का स्वागत प्रो. मीरा माथुर ने  किया।इसके पश्चात सम्मेलन की रिपोर्ट पढ़ते हुए कांफ्रेंस के आयोजन सचिव डा सचिन गुप्ता ने कहा कि इस अंतराष्ट्रीय सम्मेलन में देश विदेश के विभिन्न स्थानों से प्रतिभागियों एवम मुख्य वक्ताओं ने इस सम्मेलन को सफल बनाया।
प्रतियोगियों के प्रतिपुष्टि के अनुसार यह बहुत ही रोमांचक और बौद्धिक रूप से उत्तेजक अंतरराष्ट्रीय दो दिवसीय सम्मेलन था। 
सम्मेलन ने उद्यमिता और चुनौतियों जैसे चार अलग-अलग ट्रैक पर प्रकाश डाला। इस ट्रैक में राष्ट्र के विकास में महिला उद्यमियों की भूमिका के साथ छोटे और मध्यम उद्यमियों पर कोविड-19 के प्रभाव के संबंध में कई शोध पत्रों और केस स्टडी पर चर्चा की गई। मध्यम और लघु उद्योग के लिए अवसर और चुनौतियों के साथ महिला उद्यमी के प्रदर्शन को निर्धारित करने वाले कारक के आधार पर पेपर और केस स्टडी प्रस्तुत किए गए थे। इसने उद्यमिता और स्टार्ट-अप वित्तपोषण में इसके समर्थन का एक विस्तृत दृष्टिकोण प्रदान किया। इस चल रही महामारी के दौरान उद्यमी के सामने आने वाली समस्याएं और चुनौतियाँ और इससे उबरने की रणनीति।
दूसरा ट्रैक था सोशल एंटरप्रेन्योर। इस ट्रैक में ग्रामीण उद्यमी और उसके अवसर के बारे में काफी चर्चा की गई है। इस ट्रैक पर प्रस्तुत किए गए कागजात में ग्रामीण और आदिवासी अर्थव्यवस्था पर महामारी के प्रभाव और समग्र रूप से इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला गया। इस ट्रैक में प्रस्तुत किए गए पेपर में उद्यमी की नई नस्ल की मानसिकता और समग्र रूप से इसके सामाजिक निहितार्थ के बारे में चर्चा की गई। सामाजिक उद्यमी का प्रभाव और वह अवसर जो वह समाज में गरीबों और विकलांगों के उत्थान के लिए प्रदान कर रहा है और उन्हें रचनात्मक गतिविधियों में संलग्न कर रहा है और उन्हें आजीविका का साधन भी प्रदान कर रहा है।
तीसरा ट्रैक डिजिटल उद्यमी था क्योंकि इस ट्रैक में चर्चा किए गए कागजात ने इस चल रही महामारी के दौरान डिजिटल उद्यमी के बारे में एक समावेशी विचार प्रदान किया, इसने डिजिटल मार्केटिंग, सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स की भूमिका प्रदान की। इस ट्रैक पर चर्चा किए गए पेपर में ई-कॉमर्स, मोबाइल कॉमर्स और डिजिटल मार्केटिंग की भूमिका पर प्रकाश डाला गया, जिससे डिजिटल उद्यमी को अपने सभी हितधारकों को अपनी सेवाएं प्रदान करने और व्यवसाय बढ़ाने में मदद मिली।
वास्तविक जीवन के उदाहरणों की सहायता से विभिन्न व्यवसाय मॉडल जैसे व्यवसाय से व्यवसाय, व्यवसाय से उपभोक्ता, उपभोक्ता से व्यवसाय, सरकार से उपभोक्ता पर चर्चा की गई। इस ट्रैक में तकनीकी उद्यमी और वैश्वीकरण जैसे व्यवसाय को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका जैसे मामले का अध्ययन प्रस्तुत किया गया था। इस ट्रैक में प्रस्तुत किए गए और चर्चा किए गए कागजात ई-रिटेलर की विशेषताओं और उपभोक्ता खरीद व्यवहार पर इसके प्रभाव को उजागर करते हैं क्योंकि महामारी के दौरान अधिक से अधिक उपयोगकर्ता ऑनलाइन खरीद के लिए जा रहे हैं। ट्रैक ने भारत को डिजिटल डेस्टिनेशन का हब बनाने और पूरी दुनिया के लिए स्टार्ट अप पर जोर दिया।
चौथे ट्रैक एंटरप्रेन्योर ने मुश्किल समय में महामारी के इस समय के दौरान उद्यमी के सामने आने वाली चुनौतियों और समस्या पर चर्चा की। इस ट्रैक में प्रस्तुत किए गए पेपर्स ने प्रारंभिक स्टार्ट-अप के लिए बैंकिंग क्षेत्र पर महामारी के प्रभाव और इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान अपनी स्थिरता के लिए चुनी जाने वाली रणनीति पर प्रकाश डाला।
उद्यमी, ग्रामीण उद्यमी और स्टार्ट अप पर महामारी के प्रभाव के संबंध में बहुत सारे केस स्टडी पर चर्चा की गई, इसने इस महामारी के दौरान डिजिटल बाजार में मानसिक भलाई और उछाल की प्रासंगिकता पर भी प्रकाश डाला। इस ट्रैक में प्रस्तुत किए गए पत्रों ने इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान उद्यमी की विकास रणनीति और स्थिरता और चुनौतीपूर्ण समय में अपने अस्तित्व के लिए रोड मैप के बारे में बताया। इसने यह भी प्रदान किया कि एक उद्यमी जोखिम को कम कर सकता है और बेंचमार्क सेट करके नेतृत्व कर सकता है। 
इस सम्मेलन में हर ट्रैक ने नए विचारों, तरीकों और रणनीति को सुनियोजित और सहयोगपूर्ण फैशन में काम करने के लिए लाया था कि वह सफलता की ओर चल सकेगा, जोखिम से बचकर समाज और उसके सभी हितधारकों के लिए बदलाव ला सकेगा।
इसके पश्चात गेस्ट ऑफ ओनर पोलैंड के प्रो पोलोकोवस्की थे जिन्होंने पोलैंड एवं अंतराष्ट्रीय संदर्भ में उद्यमिता पर चर्चा करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग से हरित (ग्रीन) उद्यमिता को अंतर्राष्ट्रीय ट्रेंड बताया। आई पी विश्वविधालय में मैनेजमेंट की डीन प्रो नीना सिन्हा ने उदयपुर को उद्यमिता क्षेत्र में अग्रणी दर्शाते हुए बताया कि जब वे प्रबंध अध्ययन संकाय में विद्यार्थी थी तभी से वे देख रही है की उदयपुर के लोग उद्यमिता में रुचि रखते है उन्होंने उदयपुर के कई प्रतिष्ठित संस्थानों तथा उद्यमियों के उदाहरण के साथ अपने बात की पुष्टि की। साथ ही उन्होंने प्रतिभागियों के साथ उद्यमिता के गुर साझा किए। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद प्रस्ताव संकाय के निदेशक एवम कांफ्रेंस चेयर प्रो हनुमान प्रसाद ने दिया तथा उन्होंने बेस्ट पेपर विजेताओं के नामों की घोषणा की। प्रथम ट्रेक में डा अर्जुन गोप तथा हरी प्रसाद अग्रवाल, द्वितीय ट्रेक में डा हेमंत कदुनिया, तृतीय ट्रेक में कीर्ति राठी एवम पलक कन्नौजिया तथा चतुर्थ ट्रेक में जया कृतिका ओझा को बेस्ट पेपर के लिए चुना गया।संचालन श्रीमती रानू नागोरी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में संकाय के तरन्नुम हुसैन, देवेंद्र मेघवाल, ट्विंकल  जैन , वैशाली खंडेलवाल,  श्रेया सिंघवी, शुभ्रा जैन के अतिरिक्त रविंद्र  मीणा, रिया गर्ग, उमेश, गजेंद्र, प्रियंका, हेमंत एवं किरण सहित करीब 100 प्रतिभागी उपस्थित थे।


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