गोयल की चित्र कृतियां अमर रहेगी

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Published on : 21 May, 21 02:05

-लक्ष्मीनारायण खत्री

गोयल की चित्र कृतियां अमर रहेगी

मैं कोई चार-पांच महीने पहले प्रसिद्ध चित्रकार स्वर्गीय लक्ष्मण गोयल के घर गया था तथा उनके फोटो मैंने एक लेख लिखने के लिए खिंचे थे।गोयल के जीते जी मैं उनके बारे में लेख नहीं लिख सका जिसका मुझे अफसोस है।

जैसलमेर के यशस्वी चित्रकार लक्ष्मण गोयल का पिछले दिनों कोरोना महामारी की पीड़ा से झुंझते हुए मृत्यु हो गई। वे लगभग 65 वर्षों के थे तथा लम्बे कद के थे।तथा उनका उन्नत ललाट था।वह मिलनसार तथा हंसमुख स्वभाव के धनी व्यक्ति थे।गोयल ने जीवन भर पेंटिंग बनाई तथा आजीविका ही कमाई।वह अपने काम में व्यस्त तथा मस्त थे तथा अल्हड़ प्रवृत्ति के व्यक्ति थे।वे अपने सिद्धांतों के पक्के थे तथा धुन के धनी थे।जब उनकी इच्छा होती थी तो वह कई दिनों तक लगातार पेंटिंग बनाते रहते थे।

स्वर्गीय श्री गोयल ने चित्रकला किसी स्कूल या विश्वविद्यालय से नहीं सीखी थी बल्कि अपने नाना से किशोरावस्था में कला की बारीकियों तथा रंगों का मिश्रण एवं संयोजन सीखा था।गोयल राजस्थान की पारंपरिक शैली की पेंटिंग बनाने में उस्ताद थे।उनके चित्र शैली में उदयपुर,जोधपुर,किशनगढ़ तथा जैसलमेर शैली का गहरा प्रभाव था।वह राधा कृष्ण की रासलीला,राजपूतों की शान , पाबूजी की पड़,गणगौर,दशहरा,होली के अलावा,बनी-ठनी ,रेगिस्तान का जनजीवन,प्रकृति,नारी सौंदर्य आदि पेंटिंग के प्रिय विषय रहे हैं।इसके अलावा वह किसी भी व्यक्ति या विषय का स्केच या पोर्ट्रेट,पोस्टर भी बनाने में सिद्धहस्त थे।गोयल की पेंटिंग में तलवार,भाला, त्रिशूल तथा घोड़े एवं ऊँठ आदि की विशेष झलक देखने को मिलती है।

वह पारंपारिक प्राकृतिक रंगों को बनाने के जानकार थे। तथा पुरानी पेंटिंग का पुनः सरंक्षण करने की महारत भी उन्हें हासिल थी।वह जैसलमेर के अलावा जोधपुर की अनेक आर्ट गैलरीयो से जुड़े हुए थे तथा उनकी ख्याति भी थी।

वे नगर की अनेक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हुए थे तथा नई पीढ़ी एवं विद्यार्थियों को चित्रकला की शिक्षा प्रदान करने में सक्रिय थे।वह कला को सरस्वती का प्रसाद मानते थे अतः कला एवं ज्ञान को इसे बांटने में विश्वास रखते थे।


जैसलमेर के फोर्ट पैलेस म्यूजियम में लक्ष्मण गोयल के बनाए अनेक चित्र प्रदर्शित हैं,यहां जैसलमेर के संस्थापक जैसल देव से लगाकर स्वर्गीय महारावल बृजराज सिंह के चित्र लगे हुए हैं।जैसलमेर के भादरिया मंदिर लाइब्रेरी में भी गोयल के बने हुए 300 चित्र लगे हुए हैं।इसके अलावा डेजर्ट कल्चरल म्यूजियम में भाटी का नगारा तथा दी थार हेरिटेज म्यूजियम में कृष्ण राधा तथा भाटी शौर्य की कृतियां शोभायमान है।जैसलमेर स्थापना दिवस पर गिरधर स्मारक धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा गोयल को महारावल अमरसिंह पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

भले ही चित्रकार लक्ष्मण गोयल इस संसार को छोड़कर चले गए हैं लेकिन उनके द्वारा बनाई गई चित्र कृतियां उन्हें सदा अमर रखेगी।


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