केंद्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान ने ऑक्सीजन कंसेन्ट्रेटर प्रौद्योगिकी और हाई फ्लो रेट आयरन रिमूवल संयंत्र टेक्नोलॉजी का हस्तांतरण किया

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Published on : 07 May, 21 01:05

गोपेन्द्र भट्ट-

केंद्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान ने ऑक्सीजन कंसेन्ट्रेटर प्रौद्योगिकी और हाई फ्लो रेट आयरन रिमूवल संयंत्र टेक्नोलॉजी का हस्तांतरण किया

नई दिल्ली । भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के अंतर्गत संचालित केंद्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीएमईआरआई) ने ऑक्सीजन कंसेन्ट्रेटर (प्रौद्योगिकी) और हाई फ्लो रेट आयरन रिमूवल संयंत्र टेक्नोलॉजी का हस्तांतरण किया है। यह हस्तांतरण पांच मई, 2021 को वर्चुअल रूप सेआयोजित एक कार्यक्रम में किया गया ।

ऑक्सीजन कंसेन्ट्रेटर प्रौद्योगिकी मेसर्स सी एंड आई कैलिब्रेशंस प्रा.लि., कोटा, राजस्थान तथा मेसर्स एसए कॉर्प, आईएमटी मानेसर, गुरुग्राम, हरियाणा को हस्तांतरित की गई है। पानी से लौह तत्त्वों को दूर करने के लिये हाई फ्लो रेट आयरन रिमूवल संयंत्र प्रौद्योगिकी मेसर्स मा दुर्ग सेल्स एजेंसी, गुवाहटी (असम) को दी गई है।

सीएसआईआर-सीएमईआरआई के निदेशक प्रो. (डॉ.) हरीश हिरानी ने कहा कि उनका संस्थान सूक्ष्म , लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) की मदद करना चाहता है, ताकि वे जन-जन तक पहुंचने वाले उत्पाद बना सकें। सीएसआईआर-सीएमईआरआई का मूलमंत्र है सबकी मदद करना, ताकि नवाचारों को आम लोगों तक पहुंचाया जा सके। इस काम के लिये ऐसे एमएसएमई का सहयोग जरूरी है, जिनके पास सस्ते निर्माण की क्षमता मौजूद हो।

इस अवसर पर सी एंड आई कैलिब्रेशंस प्रा.लि. कोटा, राजस्थान के अशोक पटनी ने प्रो. हिरानी  और संस्थान के दल को धन्यवाद दिया कि उन लोगों ने प्रौद्योगिकी प्रदान की और ऑक्सीजन कंसेन्ट्रेटर के उत्पादन के लिये प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि उनके पास इसके उत्पादन का पर्याप्त बुनियादी ढांचा है और उनके पास एनएबीएल द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयोगशालायें भी मौजूद हैं। वे लोग 700 से अधिक उपकरणों की जांच कर रहे हैं। मौजूदा महामारी के मद्देनजर, वे चाहते हैं कि उत्पादन बढ़ाकर समाज की मदद की जाये, ताकि लोगों को राहत मिल सके और उन्हें अस्पतालों का रुख न करना पड़े। उन्होंने बताया कि इस समय उनका सारा फोकस पांच लीटर क्षमता वाले कंसेन्ट्रेटर के निर्माण पर है और वे उसे देश के कोने-कोने तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। मौजूदा वक्त में उनकी कंपनी हर महीने 3000 से 4000 कंसेन्ट्रेटर यूनिटों का निर्माण कर रही है। कच्चा माल हासिल करने में कई अड़चने जरूर हैं और लागत का मसला भी है, लेकिन वे आयात के जरिये इस अड़चन को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।

एसए कॉर्प, आईएमटी मानेसर, गुरुग्राम के दीपक जैन ने बताया कि उनकी कंपनी प्रोटोटाइप के विकास पर काम कर रही है। उनका लक्ष्य है कि हर महीने पांच हजार यूनिटों का निर्माण किया जाये, जिसे जल्द से जल्द बढ़ाया जायेगा। उन्होंने यह भी बताया कि प्रोटोटाइप के विकास की वर्तमान लागत लगभग 40,000 से 45,000 तक आती है, क्योंकि कच्चे माल की कीमत में हाल में बहुत तेजी आ गई है। उम्मीद की जाती है कि बड़े पैमाने पर निर्माण करने से लागत कम होगी। इसके बारे में भी उन्होंने संस्थान से निवेदन किया।

मेसर्स मा दुर्गा सेल्स एजेंसी, गुवाहाटी के ओमकार बंसल ने कहा कि असम में कई क्षेत्रों में पीने के पानी में लौह तत्त्व बडी मात्रा में मौजूद हैं, जिनके कारण पानी दूषित होने की समस्या पैदा हो गई है। उनकी कंपनी चार सबसे ज्यादा समस्याग्रस्त जिलों में पानी को शुद्ध करने की तैयारी कर रही है। ये जिले हैं कामरूप मेट्रो, कामरूप अर्बन, बारपेटा और सिवसागर। इस समय कंपनी 700 जल शुद्धिकरण प्रणाली लगाने की दिशा में काम कर रही है। ये छोटे संयंत्र होंगे और इनकी क्षमता 1000 लीटर प्रति घंटा होगी, यानी एक घंटे में इन संयंत्रों से 1000 लीटर पानी साफ होगा। कंपनी की योजना है कि हाई फ्लो रेट (6000 से 12000 लीटर प्रति घंटा) आयरन फिल्टर प्रौद्योगिकी को असम के विभिन्न जिलों में शुरू किया जाये। यह प्रौद्योगिकी सीएसआईआर-सीएमईआरआई की है और इसे स्वीकृत सरकारी परियोजनाओं के अंग के रूप में चलाया जायेगा। इसमें सम्बंधित पंचायतों और भारत सरकार के जल जीवन मिशन की भी भागीदारी होगी।

उल्लेखनीय  कि भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय का  सीएसआईआर विविध क्षेत्रों में अपने अग्रणी अनुसंधान एवं विकास ज्ञानाधार के लिए विख्यात एक समसामयिक अनुसंधान एवं विकास संगठन है।


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